Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    550 साल पुरानी रहस्यमई ममी, जिसके लगातार बढ़ रहे हैं बाल और नाखून

    By Abhishek Pratap SinghEdited By: Abhishek Pratap Singh
    Updated: Wed, 03 Aug 2016 01:19 PM (IST)

    एक ममी है 550 साल पुरानी इसमें कोई नई बात नहीं है ममियां होती ही हैं पुरानी से पुरानी लेकिन हैरान कर देने वाली बात ये है कि इस ममी के बाल और नाखून लगातार बढ़ रहे हैं आखिर कैसे...

    Hero Image

    हिमाचल प्रदेश के गियू गांव में 550 साल पुरानी एक ऐसी ममी सामने आई है जिसने देश के ही नहीं बल्कि विदेश के लोगों में भी कौतुहल भर दिया है। सालभर में 5 से 8 महीने बर्फ से ढ़के रहने वाले इस गांव में लोग विदेशों से इस ममी को देखने पहुंच रहे हैं। भारत तिब्बत सीमा पर बसा यह गांव इस ममी की वजह से चर्चित है। दरअसल इस ममी के बाल और नाखून बढ़ते रहते हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    किसी भी इंसान कि मौत के बाद उसके शव को केमिकल्स से संरक्षित करके ममी बनाई जाती है, यह विधि प्राचीन मिस्त्र सभ्यता में बड़े पैमाने पर अपनाई जाती थी। मिस्त्र के अलावा दूसरे देशो में भी शवों की ममी बनाई गयी है, जैसे कि इटली का कापूचिन कैटाकॉम्ब जहां पर सदियो पुराने 8000 शवो को ममी बनाकर रखा गया है, लेकिन विश्व में अनेक जगह प्राकृतिक ममी भी पायी गई हैं। जी हां बिना किसी केमिकल के संरक्षित किए सदियों पुराने ऐसे शव जो आज भी सामान्य अवस्था में है।

    पढ़ें- अगर लग जाए करंट तो अपनाएं ये तरीका और बचा लें जान

    यह ममी लगभग 550 साल पुरानी बताई जाती है। इस ममी के बाल और नाख़ून आज भी बढ़ रहे है। एक खास बात और भी है कि ये ममी बैठी हुई अवस्था में है जबकि दुनिया में पायी गई तमाम बाकी ममीज लेटी हुई अवस्था में मिली हैं। गीयू गांव साल में 6 से 8 महीने तक बर्फ की वजह से बाकी दुनिया से कटा रहता है। इतना ही नहीं गियू गांव तिब्बत से मात्र 2 किलोमीटर दूर है।

    पढ़ें- भारत की वो जगहें जहां पर विदेशियों को जाने की इजाजत है लेकिन इडियन्स को नहीं

    गांव वालो के अनुसार ये ममी पहले गांव में ही रखी हुई थी और एक स्तूप में स्थापित थी पर 1974 में भूकम्प आया तो ये कहीं पर दब गयी। उसके बाद सन 1995 में आईटीबीपी के जवानों को सड़क बनाते समय यह ममी मिली थी। गीयू के ग्रामीण बताते हैं कि खुदाई के दौरान ममी के सिर में कुदाल के बाद ममी के सिर से खून भी निकला जिसका निशान आज भी मौजूद है। इसके बाद सन 2009 तक ये ममी आईटीबीपी के कैम्पस में ही रखी रही। बाद में गांव वालो ने इस ममी को गांव में लाकर स्थापित कर दिया।

    ममी को रखने के लिए शीशे का एक कैबिन बनाया गया है, जिसमें इसे लोगों के देखने के लिए रखा गया है। इस ममी की देखभाल गांव में रहने वाले परिवार बारी-बारी से करते हैं। यहां आने वाले पर्यटकों को वे ममी के बारे में जाकारी देते हैं। सालाना यहां पर देश विदेश के हजारों पर्यटक इस मृत देह को देखने आते हैं।

    पढ़ें- देश का एक जिला जहां के गावों में कई सालों से नहीं हुआ है कोई अपराध

    ममी निकलने के बाद इसकी जांच की गयी थी जिसमें वैज्ञानिको ने बताया था कि ये 545 वर्ष पुरानी है, पर इतने साल तक बिना किसी लेप के और जमीन में दबी रहने के बावजूद ये ममी कैसे इस अवस्था में है ये आज तक आश्चर्य का विषय बना हुआ है।

    इस ममी के बारे में कुछ लोगों की मान्यता है कि करीब 550 वर्ष पूर्व गीयू गांव में एक संत थे। गीयू गांव में इस दौरान बिच्छुओं का बहुत प्रकोप बढ़ गया था। इस प्रकोप से गांव को बचाने के लिए इस संत ने ध्यान लगाने के लिए लोगों से उसे जमीन में दफन करने के लिए कहा।

    रोचक, रोमांचक और जरा हटके खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें