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यहां लाल नही सफेद जोड़े में होती है विदाई

शादी के समय दुल्हन तो लाल जोड़े में ही विदा होती है। सफेद रंग को शादी विवाह और शुभ कार्यो के लिये अशुभ भी माना जाता है। लेकिन मंडला के आदिवासी समाज में शादी का तरीका थोड़ा हटकर है। इस समाज के लोग शादी-ब्याह के मौके पर रंगीन की बजाय

By Babita kashyapEdited By: Published: Mon, 14 Sep 2015 12:03 PM (IST)Updated: Mon, 14 Sep 2015 02:20 PM (IST)

शादी के समय दुल्हन तो लाल जोड़े में ही विदा होती है। सफेद रंग को शादी विवाह और शुभ कार्यो के लिये अशुभ भी माना जाता है। लेकिन मंडला के आदिवासी समाज में शादी का तरीका थोड़ा हटकर है।

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इस समाज के लोग शादी-ब्याह के मौके पर रंगीन की बजाय सफेद कपड़े ही पहनते हैं। शादी में दूल्हा-दुल्हन के अलावा शामिल होने वाले लोग भी सफेद कपड़े ही पहनते है। चाहे बच्चा हो या बुजुर्ग, दुल्हन हो या विधवा सबके कपड़ों का रंग सफेद ही होता है।

यहां रहने वालों के लिए मौत और जश्न का एक ही रंग है सफेद। इस समाज में वधु पक्ष के घर में सिर्फ चार फेरे लिए जाते हैं और बचे हुए तीन फेरे विदाई के बाद वर पक्ष के घर में होते हैं।

गौंडी धर्म को मानने वाले यह लोग सफेद रंग को पवित्र भी मानते हैं और यह शांति का प्रतीक भी हैं। इसलिए ये लोग सफेद लिबास पहनना पसंद करते हैं। गौंडी धर्म के अनुयायी अन्यआदिवासियों की तुलना में बिल्कुल अलग होते हैं। इस गांव में शराब पीना पूर्णत: प्रतिबंधित है। अगर कोई शराब पीता है तो समाज उसका बहिष्कार कर देता है।

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