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    नया चलन: कभी भी ऑफिस आओ-जाओ, बस काम पूरा करो

    By Abhishek Pratap SinghEdited By:
    Updated: Mon, 16 May 2016 06:03 PM (IST)

    एक अध्‍ययन में सामने आया है कि पारंपरिक रूप से नौ से पांच की ऑफिस टाइमिंग अब बीते समय की बात होने जा रही है।

    एक नए अध्ययन में सामने आया है कि पारंपरिक रूप से नौ से पांच की ऑफिस टाइमिंग अब बीते समय की बात होने जा रही है। नियोक्ता अपने सभी कर्मचारियों को फ्लेक्िसबल टाइमिंग देने पर काम कर रही हैं।

    करीब 26 फीसद से अधिक कंपनियां अपने सभी कर्मचारियों को फ्लैक्सिबल वर्किंग पैटर्न (यानी जब कर्मचारियों को सहूलियत हो, तब वे काम करें) दे रही हैं, जबकि सात फीसद कंपनियां वरिष्ठ कर्मचारियों को यह सुविधा दे रही हैं।

    ऐसा इसलिए ताकि कर्मचारी अपनी अन्य प्रतिबद्धताओं जैसे बच्चों को समय देना आदि को पूरा करते हुए ऑफिस के काम में पूरा योगदान दे सकें। हालांकि, नौकरी तलाश करने में मदद करने वाली ऑनलाइन साइट मॉन्सटर डॉट को डॉट यूके ने अपने सर्वे में पाया कि करीब 21 फीसद कर्मचारियों को पता ही नहीं है कि उनकी कंपनी की क्या पॉलिसी है।

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    यानी हर पांच में एक व्यक्ित को नहीं पता है कि उनकी कंपनी में किस तरह की सुविधाएं उन्हें मिल रही हैं। यूके और आयरलैंड में मॉन्सटर के एमडी एंडी समनेर ने कहा कि वर्तमान समय में कंपनियों के लिए फ्लैक्सिबल वर्किंग स्कीम देना पहले की तुलना में अधिक अहम हो गया है।

    फ्लैक्सिबल वर्किंग स्कीम्स के जरिये कर्मचारी ऑफिस के काम और आम जिंदगी में अच्छा संतुलन बनाने पाते हैं। इससे उनका जॉब सेटिस्फेक्शन, प्रोडक्िटविटी बढ़ती है और तनाव कम होता है, जो कंपनियों के लिए भी अच्छा होता है।

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