अनोखी परंपरा : दहेज में दी जाती है बीयर
हमारे देश में शादी-ब्याह के मौके पर अजब-गजब परंपरायें निभायी जाती हैं। आज हम आपको छत्तीसगढ के बस्तर में निभायी जाने वाली एक परंपरा के बारे में बताते हैं।
हमारे देश में शादी-ब्याह के मौके पर अजब-गजब परंपरायें निभायी जाती हैं। आज हम आपको छत्तीसगढ के बस्तर में निभायी जाने वाली एक परंपरा के बारे में बताते हैं।
बस्तर इलाके में दुल्हन अपने दहेज में ससुराल बीयर लेकर जाती हैं। यह बीयर बाजार से खरीदकर नही लायी जाती बल्कि सल्फी नाम के पेड़ से निकलने वाले रस से तैयार की जाती है,
जब यह पेय बासी होने लगता है तो इसके सेवन से नशा होने लगता है। इसलिये इसे देसी बीयर कहा जाता है। यह पेय स्वास्थ्य के लिये लाभदायक माना जाता है।
सल्फी का पेड़ 9 से 10 वर्ष के बाद रस देना शुरु करता है। इसकी ऊंचाई 40 फुट तक होती है।
ऑक्सीफोरम फिजिरियम नामक फंगस के कारण सल्फी के पेड़ अब सूख रहे हैं। आदिवासी आय के साधन वाले सल्फी के पेडों के सूखने से
बहुत चिंतित हैं।
इनकी संख्या कम होने की वजह से इन पेड़ों का महत्व और भी बढ़ता जा रहा है। इसलिए लोग इस पेड़ को दहेज के रूप में अपनी बेटियों को देते हैं, बस्तर के इलाके में इन पेड़ों को सोने-चांदी से कम नहीं माना जाता।
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