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31 साल पहले एयर इंडिया की फ्लाइट-182 में रखा बम फटा और समुद्र में लाशें ही लाशें थीं

ठीक 31 साल पहले आज ही के दिन ऐसी घटना को अंजाम दिया गया था जिसने दुनिया को हिला कर रख दिया था। एयर इंडिया फ्लाइट-182 में बम धमाका।

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Published: Thu, 23 Jun 2016 02:43 PM (IST)Updated: Thu, 23 Jun 2016 06:34 PM (IST)
31 साल पहले एयर इंडिया की फ्लाइट-182 में रखा बम फटा और समुद्र में लाशें ही लाशें थीं

ठीक 31 साल पहले आज ही का दिन था। 23 जून 1985। सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था। पूरी दुनिया के लोग अपने-अपने काम पर जाने की तैयारी में थे। लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ जिसने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया। कनाडा के टोरन्टो से उड़ी एयर इंडिया-182 ‘कनिष्क’ जिसका नाम कुशान वंश के राजा कनिष्क के नाम पर रखा गया था। इसका अगला पड़ाव था मोंट्रियाल एयरपोर्ट और फिर लंदन का हेथ्रो।

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इस जहाज में 329 लोग सवार थे। इनमें 22 क्रू मेम्बर भी थे। लंदन पहुंचने में अभी सिर्फ़ 45 मिनट बचे थे। शेनोन एयर ट्रैफिक कंट्रोल से इसका आखिरी कांटेक्ट हुआ और फिर ये जहाज रडार से गायब हो गया। चारों तरफ लोग परेशान थे। आखिर क्या हुआ।

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लेकिन उसी वक्त आयरलैंड की सीमा से लगभग 190 कि.मी. दूर हवा में एक ब्लास्ट हुआ। और जहाज के टुकड़े हो गए। फ्लाइट में बैठे सभी 329 लोग मारे गए थे, जो आयरलैंड की सीमा के ठीक पास अंटार्कटिक में बिखर गए। अंटार्कटिक का वो इलाका लाशों और जहाज के टुकड़ों से भर गया था।

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ये घटना इतनी भयानक थी कि 29 पूरे परिवार खत्म हो गए। 32 लोगों ने अपना सबकुछ और 7 कपल्स ने अपने बच्चे खो दिए और कुछ बच्चे जिनके मां-बाप अब नहीं थे। मरने वालों में 268 केनेडियन नागरिक थे। जिनमें ज्यादातर भारतीय मूल के थे और 24 भारतीय नागरिक। बाद की जांच में यह बताया गया कि इस जहाज के कार्गो सेक्शन में बॉम्ब से भरा एक बैग रखा गया था। और रखने वाले ने फ्लाइट बोर्ड नहीं की थी।

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इस हमले को दुनिया में हुए आज तक के हवाई धमाकों में सबसे खतरनाक माना जाता है। यहां तक कि इंडिया में हुए 26/11 से भी ज्यादा भयानक था यह ब्लास्ट।

लेफ्टिनेंट कमांडर जेम्स रॉबिन्सन जो आयरलैंड के नेवी ऑफिसर थे, कहते हैं, हम वहां पहुंचे और रेस्क्यू करने की कोशिश में थे। लेकिन तब हमें ये बहुत जल्दी समझ आ गया था कि हम अपने चारों ओर सिर्फ तैर रहे लाशों से घिरे हैं।

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इस ब्लास्ट का मास्टर माइंड तलविंदर सिंह परमार 1992 में मुम्बई में मारा गया। जब आरोपियों के नाम सामने आने शुरू हुए तब लोगों को यह पता लगा कि यह ब्लास्ट 1984 में हुए ऑपरेशन ब्लू स्टार के जवाब में किया गया था। ये लोग उनमें से ही थे जो आजाद खालिस्तान की मांग को लेकर अड़े थे।

पेनिन्सुएला के वेस्ट कॉर्क में ‘अहाकिस्ता’ गांव में एक मेमोरियल बनाया गया है। जहां आज भी इस ब्लास्ट में मारे गए लोगों की याद में उनके रिश्तेदार हर साल पहुंचते हैं।

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