पीएम मोदी के इमोशनल कार्ड की काट ढूंढ़ेंगे गुजरात के कांग्रेसी नेता
गुजरात में भाजपा 15 साल बाद पहली बार सीधे नरेंद्र मोदी की अगुआई में सीधे तौर पर चुनाव में नहीं जा रही है।

संजय मिश्र, नई दिल्ली। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने अगले विधानसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुजराती अस्मिता के कार्ड का दांव चलने को लेकर सचेत किया है। पार्टी नेतृत्व ने गुजरात कांग्रेस के नेताओं को मोदी के इस इमोशनल कार्ड के सियासी असर को नाकाम करने के लिए जवाबी रणनीति तैयार करने को भी कहा है।
इस जवाबी रणनीति के तहत गुजरात में मोदी काल के करीब डेढ़ दशक के शासन की कथित नाकामियों का सुबूत समेत चार्जशीट तैयार करने पर भी पार्टी गंभीर मंथन कर रही है। गुजरात चुनाव में मोदी की गैरमौजूदगी से वापसी का बड़ा मौका देख रही कांग्रेस की चुनावी रणनीति में सबसे बड़ी चुनौती भी मोदी ही हैं। पिछले हफ्ते राहुल गांधी की गुजरात के नेताओं और एआईसीसी की नई टीम के साथ विधानसभा चुनाव को लेकर बैठक हुई थी। इस बैठक में ही मोदी की चुनावी अपील की काट ढूंढ़ने पर काफी गंभीर चर्चा हुई।
पार्टी के विश्वस्त सूत्रों के अनुसार बैठक के दौरान गुजरात के नेताओं के साथ ही राहुल का भी आकलन था कि कांग्रेस की बेहतर सियासी संभावनाओं को रोकने के लिए प्रधानमंत्री गुजराती अस्मिता का भावनात्मक कार्ड चलेंगे। राहुल ने यह भी कहा कि मोदी इस कार्ड को चलने के दौरान खुद को गुजरात का बेटा तो बताएंगे ही। साथ ही यह कहने से भी गुरेज नहीं करेंगे कि केंद्र में उनका बेटा मजबूती से रहे उसके लिए जरूरी है कि उनका घर गुजरात भी उनके हाथों में ही रहे। सूत्रों के मुताबिक बैठक में मौजूद गुजरात कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं शंकर सिंह वाघेला, भरत सोलंकी और शक्ति सिंह गोहिल ने भी राहुल के इस आकलन से पूरी सहमति जताई।
इसीलिए बैठक में तय हुआ कि गुजरात की चुनावी रणनीति में मोदी के ताकतवर इमोशनल कार्ड की धार कुंद करने के लिए तथ्यों के साथ कारगर तरीके से जनता के बीच रखने की रणनीति बनाई जाए। गुजरात के नए कांग्रेस प्रभारी महासचिव अशोक गहलोत सचिवों की अपनी टीम और सूबे के नेताओं के साथ मिलकर यह रणनीति बनाएंगे। सूत्रों ने बताया कि मोदी के इस दांव को रोकने के लिए जरूरी हुआ तो पार्टी निजी क्रिएटिव प्रचार एजेंसी की भी मदद लेगी।
गुजरात में भाजपा 15 साल बाद पहली बार सीधे नरेंद्र मोदी की अगुआई में सीधे तौर पर चुनाव में नहीं जा रही है। कांग्रेस मोदी के मुकाबले मुख्यमंत्री विजय रूपानी के छोटे कद और सत्ता विरोधी लहर के सहारे 20 साल बाद सत्ता में वापसी का मौका देख रही है। मगर पीएम मोदी की सत्ता विरोधी लहर को भी धराशायी करने की राजनीतिक क्षमता और करिश्मा कांग्रेस की चिंता की बड़ी वजह है।
खासकर यह देखते हुए कि भाजपा रूपानी नहीं बल्कि मोदी के चेहरे को केंद्र में रखते हुए ही चुनाव में जाने की तैयारी कर रही है। पिछले महीने सूरत में मोदी के हुए मेगा रोड शो में कांग्रेस को इसकी साफ झलक दिखाई दे चुकी है। वहीं कांग्रेस के सामने मोदी के चेहरे के सहारे गंभीर सत्ता विरोधी लहर को नाकाम कर दिल्ली निगम चुनाव में भाजपा की जीत का ताजा उदाहरण भी उसकी चिंता की वजह है।

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