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    लॉजिस्टिक्स को रफ्तार देने के लिए बन सकता है अलग मंत्रालय

    By Mohit TanwarEdited By:
    Updated: Mon, 15 May 2017 02:35 AM (IST)

    वाणिज्य मंत्रालय के लिए यह अध्ययन निर्यात संघों का फेडरेशन फियो यानी फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन करेगा।

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    लॉजिस्टिक्स को रफ्तार देने के लिए बन सकता है अलग मंत्रालय

    नितिन प्रधान, नई दिल्ली। सरकार तेज रफ्तार विकास की दिशा में देश में सामान लाने ले-जाने की सुविधा को विश्व स्तर पर लाने की दिशा में काम कर रही हैं। इस लक्ष्य को पाने के लिए अगर जरूरत पड़ी तो केंद्र में अलग से एक लॉजिस्टिक्स मंत्रालय के गठन पर भी विचार किया जा सकता है। इस निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए सरकार देश में उपलब्ध मौजूदा लॉजिस्टिक्स सुविधाओं का एक अध्ययन करा रही है। इस अध्ययन के आधार पर ही आगे कदम उठाया जाएगा।

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    प्रधानमंत्री कार्यालय ने लॉजिस्टिक्स की वर्तमान स्थिति का पता लगाने की जिम्मेदारी वाणिज्य मंत्रालय को सौंपी है। चूंकि लॉजिस्टिक्स का सर्वाधिक प्रभाव देश-विदेश के कारोबार से जुड़ा है इसलिए वाणिज्य मंत्रालय को एक व्यापक अध्ययन कराने को कहा गया है। वाणिज्य मंत्रालय के लिए यह अध्ययन निर्यात संघों का फेडरेशन फियो यानी फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन करेगा।

    सरकार के एक उच्चाधिकारी के मुताबिक बीते महीने प्रधानमंत्री कार्यालय में हुई एक बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि अभी देश में लॉजिस्टिक्स के तौर पर सब कुछ बिखरा हुआ है। बुनियादी ढांचे के तौर पर रेलवे, सड़क परिवहन, एविएशन और पोर्ट के लिए अलग अलग मंत्रालय हैं। ये सभी मंत्रालय नीति निर्धारण के समय केवल अपने लक्ष्यों पर ही फोकस करते हैं। बैठक में यह बात उभरकर सामने आई कि लॉजिस्टिक्स के देश में एक व्यापक और समग्र सोच का पूर्णत: अभाव है और नीतियों में इसकी कमी दिखती है।

    सूत्र बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्तर पर यह बात महसूस की जा रही है कि देश में लॉजिस्टिक्स पर सरकार का एक व्यापक नजरिया होना चाहिए। ऐसा होने के बाद ही इस दिशा में कारगर नीति तैयार करने में मदद मिल पाएगी। सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री कार्यालय इस बात के लिए भी राजी है कि अगर व्यापक नजरिये पर नीति बनाने के लिए मौजूदा अलग अलग मंत्रालय और विभाग अवरोध बन रहे हैं तो सरकार अलग से एक लॉजिस्टिक्स मंत्रालय गठित करने पर भी विचार कर सकती है।

    सरकार के लिए फियो की तरफ से होने वाले अध्ययन में देश में लॉजिस्टिक्स की मौजूदा स्थिति, भविष्य की चुनौतियों और उनसे निपटने के उपायों को शामिल किया जाएगा। साथ ही फियो इस संबंध में अंतरराष्ट्रीय स्तर के मानकों को भी शामिल करेगी। माना जाता है कि दक्षिण अफ्रीका में लॉजिस्टिक्स को लेकर एक संगठित नजरिये से काम हुआ है। इसलिए फियो के अध्ययन में इससे मिलने वाले फायदों को भी शामिल किया जा सकता है। अध्ययन रिपोर्ट में देश में लॉजिस्टिक्स के विकास को लेकर किस प्रकार आगे बढ़ा जा सकता है इस पर भी फियो अपनी राय देगा।

    फियो के महानिदेशक डॉ. अजय सहाय से जब अध्ययन के बारे में पूछा गया तो उन्होंने केवल इस बात की पुष्टि की कि फियो को वाणिज्य मंत्रालय से यह अध्ययन करने के लिए नियुक्त किया गया है। उन्होंने कहा,'अध्ययन किस दिशा में होगा इसका एक कॉन्सेप्ट पेपर हमने मंत्रालय को सौंप दिया है। इस पर मंजूरी मिलते ही हम काम शुरू करेंगे।' फियो को चुनने के बारे में पूछे जाने पर डॉ. सहाय ने कहा, 'चूंकि फियो का संबंध सीधे आयात और निर्यात से है और इसके लिए उसे जल, वायु, रेल और सड़क परिवहन की दिशा में आने वाली दिक्कतों का व्यापक अनुभव है। संभवत: इसीलिए हमें यह जिम्मेदारी दी गई है।'

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