आगे की सरकारें बिजली में भ्रष्टाचार नहीं कर पाएंगीं : गोयल
बिजली, कोयला, नवीनकरणीय व खनन मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाल रहे पीयूष गोयल ने दैनिक जागरण के विशेष संवाददाता जयप्रकाश रंजन से विस्तार से बात की।

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। हाल के विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में सफलता के लिए सरकार की ऊर्जा स्कीमों को भी अहम कारण माना जा रहा है। क्या ऊर्जा स्कीमों की बदौलत चुनाव जीता जा सकता है? इनका भावी राजनीति पर क्या असर होगा? इन मुद्दों पर बिजली, कोयला, नवीनकरणीय व खनन मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाल रहे पीयूष गोयल ने दैनिक जागरण के विशेष संवाददाता जयप्रकाश रंजन से विस्तार से बात की।
-क्या सरकार की ऊर्जा स्कीमें वोट दिलाने में अहम भूमिका निभाने लगी हैं?
-देखिए बिजली या ऊर्जा के अन्य साधनों को पहले भी राजनीतिक एजेंडे में शामिल किया जाता था, लेकिन मोदी सरकार ने तीन साल के कार्यकाल में सुनिश्चित किया कि पहले स्कीमों को जनता तक पहुंचाया जाए और फिर जनता को बताया जाए। प्रधानमंत्री ने पहले ही तय कर दिया कि बिजली पहुंचाना या एलपीजी पहुंचाना हमारे लिए राजनीतिक एजेंडा नहीं होगा बल्कि हमने इसे जनता को उनका वाजिब हक दिलाने के तौर पर लिया। आज पर्याप्त बिजली मिलने से समाज के हर वर्ग व हर उद्योग को लाभ है। लेकिन हमने यह भी सुनिश्चित किया कि बिजली की दरें ज्यादा न बढ़ें। हमारे तीन साल के शासन की तुलना पूर्व की सरकार के चार वर्षों से करेंगे तो आप पाएंगे कि राष्ट्रीय स्तर पर बिजली की दरों में वृद्धि घट कर आधी रह गई।
-तो क्या आगे भी बिजली आपूर्ति राजनीतिक एजेंडा रहेगा?
-हम सुनिश्चित कर रहे हैं कि बिजली आने वाले दिनों में कभी राजनीतिक एजेंडा नहीं रहे। इसकी तीन वजहें हैं। पहला हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि देश में कभी बिजली का संकट पैदा नहीं हो। अभी भीषण गर्मी में भी देश के किसी भी हिस्से से बड़ी बिजली कटौती की सूचना नहीं आ रही और राज्य ऐतिहासिक कम दर पर बिजली खरीद रहे हैं। दूसरी बात यह है कि मोदी सरकार बिजली से जुड़े पूरे सिस्टम को इतना ईमानदार बना रही है कि इसमें अब कोई चाह कर भी भ्रष्टाचार नहीं कर पाएगा। आने वाले दिनों में हम ऐसे और कदम उठाएंगे कि बिजली दर तय करने से लेकर मीटर लगाने तक की व्यवस्था पारदर्शी हो। बिलिंग सिस्टम एकदम पारदर्शी होगा ताकि ग्राहक को मालूम हो वह कितना बिल दे रहा है। तीसरी बात नवीनकरणीय ऊर्जा पर हमारा फोकस एक-दो वर्ष में अपना असर दिखाना शुरू करेगा। ये तीनों तथ्य बिजली सेक्टर को जिस रास्ते पर डालेंगे वहां किसी भी दल के लिए बेईमानी की राजनीति करने की गुंजाइश नहीं रहेगी।
-बिजली दर तय करने की प्रक्रिया जटिल है। इसे आसान नहीं बनाया जा सकता?
-हम इसीलिए बिजली शुल्कों के पूरे ढांचे को ही बदलने जा रहे हैं। इस बारे में राज्यों के बिजली मंत्रियों के साथ मेरी कुछ दिन पहले बात हुई। केंद्र की तरफ से टैरिफ तय किया जा सकेगा। इसका पालन राज्यों को करना होगा। हर क्षेत्र की जनता को मालूम होगा कि उसके राज्य में किस दर पर बिजली खरीदी जा रही है और वह उसके लिए क्या दाम चुका रहा है। बिजली खरीद की कीमत और ग्राहकों से वसूली जा रही कीमत का पूरा डाटा वेबसाइट या ऐप पर होगा। बिजली कनेक्शन लेने की प्रक्रिया भी आसान बनाएंगे। हर व्यक्ति को बिजली कनेक्शन लेने का अधिकार होगा। भले ही वह भाड़े के मकान में रहे। तब भी वह अपने नाम पर बिजली कनेक्शन ले सकता है।
विएना एनर्जी फोरम में कई ऐसे प्रपत्र सामने रखे गये। माना गया कि बिजली की उपलब्धता का सीधा संबंध गरीबी उन्मूलन से है। बिजली कनेक्शन सिर्फ रोशनी व संचार से नहीं जुड़ा है बल्कि यह शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा जैसी बेहद बुनियादी जरूरतों को भी पूरा करने में अहम होता है।
-ऊर्जा क्षेत्र में सरकार की भावी योजनाएं क्या हैं?
-सबसे पहले, हर घर को बिजली देना। हम पहले से निर्धारित लक्ष्य 2022 के काफी पहले इसे हासिल कर लेंगे। दूसरा, हर घर में स्मार्ट मीटर लगाना। 25 करोड़ घरों में स्मार्ट मीटर लगेगा। फिर नवीकरणीय ऊर्जा में 1.75 लाख मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता स्थापित करना। दो दिन पहले राजस्थान में एक कंपनी ने सिर्फ 2.44 रुपये प्रति यूनिट की दर से सौर ऊर्जा प्लांट की निविदा हासिल की। हर राज्य में किसानों के लिए अलग फीडर लाइन की व्यवस्था पर भी आगे बढ़ेंगे। देसी कोल इंडिया व एनटीपीसी को वैश्विक ऊर्जा कंपनी के तौर पर स्थापित करना भी एजेंडे में है। इलेक्टि्रक कार से देश में प्रदूषण घटाना ऐतिहासिक कदम होगा।
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