Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    7.87 बिलियन यूरो की राफेल डील हुई पक्‍की, 23 को होंगे समझौते पर हस्‍ताक्षर

    By Kamal VermaEdited By:
    Updated: Fri, 16 Sep 2016 11:32 AM (IST)

    भारत और फ्रांस के बीच राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर 23 सितंबर को हस्‍ताक्षर किए जाएंगे। इसके साथ ही फ्रांस भारत को मेटेओर मिसाइल भी प्रदान करेगा। जिसका पाक और चीन के पास कोई तोड़ नहीं है।

    Hero Image

    नई दिल्ली। भारत और फ्रांस के बीच राफेेल विमान की खरीद समझौते को लेकर अब बादल पूरी तरह से छंट चुके हैं। अब इस सौदे पर 23 सितंबर को दोनों देशों की तरफ से हस्ताक्षर किए जाएंगे। इस सौदे के बाद लड़ाकू विमानों की कमी से जूूझ रही भारतीय वायुसेना मजबूती की ओर अग्रसर हो जाएगी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यह सौदा करीब 7.87 बिलियन यूरो का है। इस सौदे पर फ्रांस की ओर से रक्षा मंत्री जीन येवस ली ड्रायन साइन करेंगे। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 7.87 बिलियन यूरो के इस सौदे में करीब पचास फीसद ऑफसेट के तहत कवर होगा। इसका अर्थ है कि इस सौदे की आधी रकम या तो फ्रांस भारत में निवेश करेगा या फिर इस रकम के एवज में इसका सामान मुहैया करवाएगा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इस सौदे के तहत भारत को फ्रांस हवा से हवा में मार करने वाली विश्व की आधुनिक मिसाइल मेटेओर भी देगा। सौदे के तहत मिलने वाले विमान इस मिसाइल प्रणाली से लैसे होंगे। यह मिसाइल दुश्मनों के एयरक्राफ्ट और 100 किमी दूर स्थिति क्रूज मिसाइल को ध्वस्त करने में सक्षम है। इस मिसाइल को अपने बेड़े में शामिल कर लेने से भारत की स्थिति दक्षिण एशिया में और मजबूत हो जाएगी। पाकिस्तान और यहां तक कि चीन के पास भी इस श्रेणी की मिसाइल नहीं है।

    अमेरिका के अलावा किसी के पास नहीं है मेटेओर

    मेटेओर के समान मात्र एक अन्य मिसाइल एआईएम-120डी है जो कि हवा से हवा में मार करने वाली अमेरिका द्वारा निर्मित मध्यम श्रेणी की मिसाइल है जिसे 100 किमी से अधिक दूर के निशाने को भेदने के लिए बनाया गया है। हालांकि जानकारों का मानना है कि मेटेओर अपने रैमजेट इंजन के चलते अधिक घातक मिसाइल है।

    राफेल के साथ भारत को मिलेगी मेटेओर मिसाइल, पाक-चीन में मची खलबली

    कैसे काम करती है मेटेओर

    एक वेबसाइट वॉर इस बोरिंग के मुताबिक पारंपरिक ठोस-ईंधन बूस्टर लॉन्च के बाद हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों के समान मेटेओर को एक्सेलरेट करता है लेकिन हवा में यह मिसाइल एक पैराशूट को खोलती है जिससे हवा इंजन में समा जाती है। इसकी बदौलत ऑक्सीजन गर्म हो जाती है और यह सुपरसोनिक मिसाइल ध्वनि से चार गुना तेजी से आगे बढ़ती है।

    मेटेओर मतलब 'नो एस्केप जोन'

    इस मिसाइल का निर्माण करने वाले यूरोपीय फर्म एमबीडीए के इंजीनियरों ने कथित तौर पर दावा किया है मेटेओर में नो एस्केप जोन है जो कि एआईएम-120डी एएमआरएएएम मिसाइल से तीन गुना बड़ा है। वॉर इस बोरिंग के अनुसार, नो एस्केप जोन हवाई-युद्ध से जुड़ा एक टर्म है जिसका इस्तेमाल मिसाइल की क्षमता द्वारा निर्धारित किए गए एक शंकुआकार क्षेत्र के लिए किया जाता है, जहां से लक्षित एयरक्रॉफ्ट निशाने से बच नहीं सकता।

    युद्धक विमान खरीदने में अब ज्यादा देर नहीं करेगी केन्द्र सरकार

    राफेल से जुड़ी सभी खबरों को पढ़ने के लिए क्लिक करें