कहीं सरबजीत और किरपाल की तर्ज पर न बन जाए कुलभूषण जाधव की कहानी
कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान की कोर्ट से मिली फांसी की सजा के बाद सभी को यह डर सताने लगा है कि कहीं यह कहानी भी सरबजीत और किरपाल की कहानी की तरह तो नहीं बन जाएगी।
नई दिल्ली (जेएनएन)। कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान में भारत का जासूस बताकर सुनाई गई फांसी की सजा से एक बार फिर भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में गिरावट का आना तय है। यहां पर यह बात बतानी इस लिहाज से भी जरूरी है क्योंकि पिछले कुछ समय से दोनों देशों के बीच लगातार खटास बढ़ी ही है। पिछले वर्ष जम्मू कश्मीर के उड़ी में सेना के कैंप पर हुए हमले ने दोनों देशों के रिश्तों से जो कडवाहट पैदा हुई थी, उसे जाधव को मिली फांसी की सजा और बढ़ा देगी। इसके अलावा सिंधु जल समझौता, पाकिस्तान में चीन के सहयोग से बन रहा आर्थिक कॉरिडोर, गिलगिट बलूचिस्तान को सूबा बनाने का फैसला समेत कई ऐसे मुद्दे हैं जिन पर विवाद कायम है। जाधव को मिली फांसी की सजा के बाद इन सभी मुद्दों पर खाई और बढ़ेगी।
भारतीय जेल में बंद पाक कैदियों की रिहाई पर रोक
जाधव को पाकिस्तान की कोर्ट द्वारा दी गई फांसी की सजा के तुरंत बाद भारत ने एक बड़ा फैसला लेते हुए यहां की विभिन्न जेलों में बंद पाकिस्तानी कैदियों की रिहाई रोक दी है। ऐसे करीब एक दर्जन कैदी है जिनकी सजा पूरी हो चुकी है और जिन्हें बुधवार को वापस पाकिस्तान भेजा जाना था। लेकिन अब जाधव को सजा मिलने के बाद इन्हें वापस जेल में रहना होगा। भारत ने इस तरह का फैसला पाकिस्तान पर दबाव बनाने की नीति के तहत लिया है। उड़ी हमले के बाद भारत के कूटनीतिक दबावों से पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर काफी जिल्लत झेलनी पड़ी थी। इसके चलते पाकिस्तान को सार्क सम्मेलन तक रद करना पड़ गया था।
सरबजीत की को भ्ाी बताया था जासूस
यहां पर ध्यान देने वाली बात यह भी है कि जाधव इस फहरिस्त में पहले ऐसे व्यक्ति नहीं हैं जिन्हें पाकिस्तान ने भारतीय जासूस बताकर फांसी की सजा सुनाई हो। इससे पहले सरबजीत को भी इसी तरह से पाकिस्तान की कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी। हालांकि बाद में काफी जद्दो-जहद और कूटनीतिक प्रयासों के बाद पाकिस्तान उन्हें रिहा करने को राजी हो गया था। लेकिन इसके बाद भी पाकिस्तान की जेल से उसकी रिहाई तब हुई जब उसकी आंखें हमेशा के लिए बंद हो चुकी थीं। कोट लखपत जेल में बंद एक कैदी के हमले में गंभीर रूप घायल होने के बाद सरबजीत ने अस्पताल में दम तोड़ दिया।
कुछ ऐसा ही किरपाल का भी मामला
इसके अलावा पाकिस्तान की जेल में बंद एक अन्य भारतीय कैदी किरपाल सिंह को भी जासूस बताते हुए पाकिस्तान की कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी। कूटनीतिक प्रयासों के बावजूद किरपाल की भी संदग्धि हालत में वहां मौत हो गई थी। हालांकि पाकिस्तान सरकार ने इसकी वजह हार्ट-अटैक बताई थी, लेकिन किरपाल के घर वालों को पाक सरकार की इस बात पर आज भी भरोसा नहीं है। किरपाल ने 24 साल और सरबजीत ने करीब 23 वर्षों तक पाकिस्तान की जेल में यातना का दर्द झेला था। इन दोनों को इस तरह की घटना का ताजा उदाहरण माना जा सकता है। कुलभूषण जाधव की कहानी भी अब कुछ ऐसा ही मोड़ लेती दिखाई दे रही है।
चमेल सिंह की भी थी यही कहानी
जम्मू जिले के चमेल सिंह को पाकिस्तानी सेना ने 2008 में गिरफ्तार किया था। उन पर जासूसी करने का आरोप लगा था । इसके बाद उनपर अपना जुर्म कबूलने को लेकर मानसिक और शारीरिक दबाव भी डाला गया। इसी दौरान 2013 में जेल में पुलिसवालों की पिटाई से उनकी जान चली गई। बाद में पाकिस्तान द्वारा उनकी मौत पर पर्दा डालने और इसको एक प्राकृतिक मौत साबित करने की भी पूरी कोशिश की गई थी।
सजा पूरी होने के बाद भी पाक जेल से नहीं लौटा अंसारी
मुंबई निवासी एक भारतीय इंजीनियर नेहाल हामिद अंसारी भी वर्ष 2012 से ही पाकिस्तान की जेल में बंद है। उसकी सजा पूूरी होने के बाद भी उसे अब तक छोड़ा नहीं गया है। पाकिस्तान सरकार और कोर्ट यह मानती है कि वह अपनी एक महिला दोस्त की विनती पर पाकिस्तान में गलत तरीके से दाखिल हुआ था। उसपर जासूसी जैसे कोई आरोप भी नहीं है और उसकी सजा भी पूरी हो चुकी है, इसके बाद भी उसको अभी तक रिहा नहीं किया गया है। अंसारी को लेकर भी भारत कूटनीतिक प्रयास कर रहा है, जिसपर पाकिस्तान की तरफ से अब तक कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला है।
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