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    भारत से पहले किसके पास था कोहिनूर हीरा, जानें पूरा इतिहास

    By anand rajEdited By:
    Updated: Wed, 20 Apr 2016 12:35 PM (IST)

    कोहिनूर हीरा पिछले 165 साल से ब्रिटेन में है। भारत में इसे वापस लाये जाने की मांग उठी। जानिए कोहिनूर के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें

    नई दिल्ली (जेएनएन)। भारत का गौरव कहे जाने वाला कोहिनूर इस समय ब्रिटेन की महारानी के ताज की शोभा बढ़ा रहा है। कोहिनूर को मुगल शासक अकबर से लेकर शाहजहां तक ने पहना, फिर यह लुटकर ईरान पहुंच गया और वापस भारत आया भी तो अंग्रेज ले गये।

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    कोहिनूर हीरे से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियांः

    1. प्राचीन भारत की शान कोहिनूर हीरे की खोज भारत के आंध्र प्रदेश राज्य के गोलकुंडा की खदानों में हुई थी। एक समय इसे दुनिया का सबसे बड़ा हीरा माना जाता था।

    2. कोहिनूर का अर्थ होता है रोशनी का पहाड़ लेकिन इस हीरे की चमक से कई सल्तनत के राजाओं का सूर्ये अस्त हो गया। ऐसी मान्यता है की यह हीरा अभिशप्त है। यह हीरा सिर्फ औरतों और संत के लिए ही भाग्यशाली होगा। हालांकि तब उसकी बात को उसका वहम कह कर खारिज कर दिया गया पर यदि हम तब से लेकर अब तक का इतिहास देखे तो कह सकते है की यह बात काफी हद तक सही है।

    3. कोहिनूर सबसे पहले 12वीं शताब्दी में काकतीय साम्राज्य के पास था। जहां वारंगल के एक मंदिर में कोहिनूर हिंदू देवता की आंख के तौर पर मंदिर की शोभा बढ़ा रहा था। सबसे पहले वहां से अलाउद्दीन खिलजी के सेनापति मालिक काफूर ने 1310 में इसे लूट लिया और खिलजी को भेंट कर दिया। इसके बाद इसने दिल्ली सल्तनत के विभिन्न राज्यों की शोभा बढ़ाई।

    4. बाबर ने 1526 में इब्राहिम लोधी से दिल्ली की सत्ता छीनने के साथ ही इसे भी छीन लिया। बाबर के बाद हुमायूं ने इसे ‘बाबर हीरे’ का नाम दिया। तब से कोहिनूर मुगल सल्तनत के पास बना रहा।

    5. 1739 में फारसी शासक नादिर शाह भारत आया और उसने मुगल सल्तनत पर आक्रमण कर दिया। इस तरह मुगल सल्तनत का पतन हो गया और नादिर शाह अपने साथ तख्ते ताउस और कोहिनूर हीरों को पर्शिया ले गया। उसने इस हीरे का नाम कोहिनूर रखा।

    6. 1747 में नादिरशाह की हत्या हो गयी और कोहिनूर हीरा अफ़गानिस्तान शाहंशाह अहमद शाह दुर्रानी के पास पहुंच गया। और उनकी मौत के बाद उनके वंशज शाह शुजा दुर्रानी के पास पहुंचा। पर कुछ समय बाद मो. शाह ने शाह शुजा को अपदस्त कर दिया।

    7. साल 1830 में अफगानिस्तान का तत्कालीन पदच्युत शासक शूजाशाह किसी तरह कोहिनूर के साथ बच निकला और पंजाब पहुंचा। उसने यह हीरा महाराजा रणजीत सिंह को भेंट किया। इसके बदले में रणजीत सिंह ने ईस्ट इंडिया कंपनी को अपनी सेना अफ़ग़ानिस्तान भेज कर शाह शूजा को वापस गद्दी दिलाने के लिए तैयार कर लिया।

    8. कुछ सालो बाद महाराजा रणजीत सिंह की मृत्यु हो जाती है और अंग्रेज सिख साम्राज्य को अपने अधीन कर लेते है। इसी के साथ यह हीरा ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा हो जाता है। कोहिनूर हीरे को ब्रिटेन ले जाकर महारानी विक्टोरिया को सौप दिया जाता है।

    9. साल 1852 में महारानी विक्टोरिया को कोहीनूर हीरे की चमक कुछ कम लगती है, इसलिए हीरे को दोबारा तराशा गया, जिससे वह 186.16 कैरेट से घट कर 105.602 कैरेट का हो गया।

    10. महारानी विक्टोरिया को इस हीरे के श्राप के बारे में बताया जाता है। वो हीरे को ताज में जड़वा के 1852 में स्वयं पहनती है और यह वसीयत करती है की इस ताज को सदैव महिला ही पहनेगी। यदि कोई पुरुष ब्रिटेन का राजा बनता है तो यह ताज उसकी जगह उसकी पत्नी पहनेगी।


    11. कोहिनूर की वर्तमान कीमत लगभग 150 हजार करोड़ रुपए है। 105 कैरेट (लगभग 21.600 ग्राम) का यह हीरा महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के ताज का हिस्सा है।

    12. भारत अकेला देश नहीं है जो इस हीरे पर दावा जता रहा है। अपने लंबे सफर के बाद यह हीरा कई राजाओं के हाथों से गुजरा है। साल 1976 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फीकार अली भुट्टो ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री जिम कैलेघन से इसे उनके देश को लौटाने का अनुरोध किया था। इसके अलावा अफगानिस्तान के तालिबान शासक और ईरान ने भी इस पर अपना दावा पेश किया है। लेकिन ब्रिटेन ने उनके अनुरोध को ठुकरा दिया था

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