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सरकार बनाते ही 'आप' के क्या होंगे कदम और किन्हें मिलेगा मंत्री पद?

[राजकिशोर] नई दिल्ली। दिल्ली की सत्ता को लेकर चल रहे सस्पेंश से पर्दा अब बहुत जल्द उठने वाला है। आम आदमी पार्टी (आप) द्वारा सरकार बनाने को लेकर जनता से मांगी गई राय की अवधि रविवार को खत्म हो रही है। ऐसे में अभी तक जितने भी जवाब 'आप' को मिले हैं, प्राप्त जानकारी के अनुसार अधिकतर का मत यही है कि 'आप' दिल्ली में सर

By Edited By: Published: Sat, 21 Dec 2013 10:56 AM (IST)Updated: Sat, 21 Dec 2013 02:08 PM (IST)

[राजकिशोर] नई दिल्ली। दिल्ली की सत्ता को लेकर चल रहे सस्पेंश से पर्दा अब बहुत जल्द उठने वाला है। आम आदमी पार्टी (आप) द्वारा सरकार बनाने को लेकर जनता से मांगी गई राय की अवधि रविवार को खत्म हो रही है। ऐसे में अभी तक जितने भी जवाब 'आप' को मिले हैं, प्राप्त जानकारी के अनुसार अधिकतर का मत यही है कि 'आप' दिल्ली में सरकार बनाए। इस बात की पुष्टि 'आप' के नेता मनीष सिसोदिया ने भी की है। सरकार बनाने के लिए 'आम आदमी पार्टी' सोमवार को अपना दावा पेश करते हुए उप-राज्यपाल को प्रस्ताव पत्र सौंप सकती है।

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अब यहां सवाल यह उठता है कि जब 'आप' को कांग्रेस से बिना शर्त समर्थन मिल ही रहा था तो वो जनता के बीच दोबारा क्यों गई? उसके पीछे जो सबसे बड़ा कारण निकलकर सामने आया, वो यही है कि जनमत संग्रह के कारण उनके ऊपर कोई दोष नहीं रहेगा। पहले तो पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल ने इस बात को प्रमुखता से कहा था कि वे न तो किसी को समर्थन देंगे और ना ही लेंगे, लेकिन अब वे कांग्रेस का समर्थन लेने को मजबूर है। ऐसे में वे यही साबित करना चाहते हैं कि उनकी इच्छा ऐसी तो नहीं है, लेकिन जनता चाहती है कि वे सरकार बनाएं, इसलिए उन्हें समर्थन लेना पड़ रहा है।

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उनके इस फैसले से 'आप' के दामन पर कोई दाग नहीं लगेगा। वे यह साबित करना चाहते हैं कि वे किसी जिम्मेदारी से भाग नहीं रहे हैं। वे जनता के द्वारा चुने गए हैं और यह पार्टी जनता के दम पर ही खड़ी हुई है, इसलिए सरकार बनाने संबंधित कोई भी फैसला जनता की राय से ही ली जाएगी। यही कारण है कि उन्होंने जनता से राय मांगी है। अरविंद केजरीवाल यह बताना चाहते हैं कि वे सिर्फ जनता-जनता नहीं करेंगे, बल्कि जनता की चलाएंगे भी।

सरकार बनाते ही क्या कदम उठाएंगेभाजपा और कांग्रेस द्वारा दबाव बनाए जाने के बाद सरकार बनाने के बाद 'आप' के सामने सबसे बड़ी चुनौती किए गए वादों को पूरा करने की है, जिसे वह अच्छी तरह समझती है। इसलिए यह संभव है कि सरकार बनाते ही वह कुछ ऐसे फैसले लेगी, जिससे भाजपा और कांग्रेस को बैकफुट पर ढकेला जा सके। वह कोई भी फैसला बेधड़क ले सकती है, जिससे यह साबित करने की कोशिश होगी कि वे जनता की ही सुन रहे हैं और सिस्टम बदलना चाहते हैं। यह सब आप खुद पर से दबाव हटाने के लिए कर सकती है।

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किसे मिलेगा मंत्री पदसरकार बनाने के बाद अब सवाल यह उठता है कि अरविंद केजरीवाल पहले मंत्रिमंडल के गठन में किसे मंत्री पद देंगे। पहले मंत्रिमंडल गठन में अरविंद केजरीवाल समेत 7 मंत्री पद दिए जाने हैं, जिसमें पार्टी के विश्वासी और कोर टीम के सदस्य मनीष सिसोदिया का स्थान पक्का है। इसके अलावा राजकुमार चौहान जैसी हस्ती को पराजित करने वाली राखी बिड़ला को भी पहले मंत्रिमंडल गठन में ही मंत्री पद दिया जा सकता है। जहां, तक रही अन्य नेताओं की बात तो दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप की तरफ से 8 दलित नेता जीते हैं, जबकि तीन महिलाएं भी जीत दर्ज करने में कामयाब हुई हैं। इन समीकरणों को देखते हुए यह भी लग रहा है कि पहले मंत्रिमंडल गठन में वे एक दलित विधायक के साथ-साथ एक महिला विधायक को भी मंत्री पद दे सकते हैं। इस बात की भी संभावना है कि वे पहले मंत्रिमंडल के गठन में कुछ मंत्री पद खाली भी रख सकते हैं।

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कुल मिलाकर अब कहा जा सकता है कि आप दिल्ली में सरकार बनाने को लेकर पूरी तरह तैयार हो चुकी है और वह आगे की रणनीतियों पर विचार भी करने लगी है। अब देखना यह है कि वे किए गए वादों को पूरा करने में कितना सफल हो पाती है?

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