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    मेरा मौन वाणी से ज्यादा प्रखर

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    Updated: Fri, 09 May 2014 02:54 AM (IST)

    नरेंद्र मोदी जिस शैली के लिए जाने जाते हैं, उनके संसदीय क्षेत्र वाराणसी में उसका खुलकर प्रदर्शन हुआ। बृहस्पतिवार को वह आए, जमकर गरजे, थोड़ा मौन हुए, पूरी गंभीरता से जनता को भरोसा दिलाया, समर्थकों का हुजूम दिखाकर विपक्षियों पर दबाव बनाया और यह सवाल छोड़कर चले गए कि लड़ाई अभी बाकी है या खत्म हो गई है?

    वाराणसी, विशेष संवाददाता। नरेंद्र मोदी जिस शैली के लिए जाने जाते हैं, उनके संसदीय क्षेत्र वाराणसी में उसका खुलकर प्रदर्शन हुआ। बृहस्पतिवार को वह आए, जमकर गरजे, थोड़ा मौन हुए, पूरी गंभीरता से जनता को भरोसा दिलाया, समर्थकों का हुजूम दिखाकर विपक्षियों पर दबाव बनाया और यह सवाल छोड़कर चले गए कि लड़ाई अभी बाकी है या खत्म हो गई है? वाराणसी में हाई वोल्टेज चुनाव प्रचार, धरने तथा सीधे चुनाव आयोग से भाजपा की टक्कर के बीच मोदी ने सिर्फ एक रैली और एक अघोषित रोड शो किया लेकिन संदेश छोड़ गए। यह दावा भी कर गए कि विकास का दम उनमें ही है और काशी को उसके गौरव के अनुरूप वही सही स्थान दिलाएंगे। जनता का रुख भी तत्काल दिखा जब एक व्यक्ति ने कहा- 'यही हैं मोदी।'

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    प्रशासन ने जिस तरह मोदी को बेनियाबाग में रैली करने से रोका, उससे बृहस्पतिवार को माहौल गर्म था। भाजपा के लिए यह कहना मुश्किल नहीं था कि लड़ाई में एक तरफ मोदी और दूसरी तरफ बाकी सभी दल हैं। मोदी ने रोहनिया में सभा की तो सबका जवाब दिया। उन्होंने कहा- हमें रोका जा रहा है, कहा जा रहा है कि मेरी सुरक्षा को खतरा है.. वह मेरी वाणी से डरते हैं लेकिन मैं बताऊं कि मेरा मौन मेरी वाणी से ज्यादा प्रखर है। शायद रैली में उमड़ी भीड़ और उत्साह ने उन्हें भरोसा दिला दिया था कि जनता उनका संदेश समझ चुकी है। जनता के साथ तार जोड़ने में उन्होंने देर नहीं की। कहा- 'मेरा शायद काशी से कोई पुराना नाता रहा होगा.. अब आप पूरे अधिकार के साथ क्षेत्र के विकास के लिए मुझसे कह सकते हैं, मैं सेवक बनकर आया हूं और भरोसा दिलाता हूं इस क्षेत्र के विकास का दम मुझमें है।'

    रैली स्थल से बीएचयू कैंपस के हैलीपैड पर उतरे और फिर बंद गाड़ी में भाजपा कार्यालय की ओर कूच किया तो फिर से समर्थकों का सैलाब उनके साथ था। एक तरह से इस अघोषित रोड शो के जरिये उन्होंने तीन निशाने साधे। प्रशासन और चुनाव आयोग से अपनी नाराजगी जता दी, विपक्षियों पर दबाव बनाया और खुद भी आश्वस्त हो गए। कार्यकर्ता और आम जनता के आकर्षण ने यह जता दिया कि उन्हें विकास चाहिए। उन्हें स्वच्छ निर्मल गंगा चाहिए, रोजगार के साधन चाहिए और केंद्र में मजबूत सरकार चाहिए।

    गौरतलब है कि अब चुनाव प्रचार के सिर्फ दो दिन बचे हैं। शुक्रवार को वाराणसी में मोदी का कोई कार्यक्रम तय नहीं है। शनिवार को भी वह नहीं आए तो यह भी एक उदाहरण होगा कि उम्मीदवार ने अपने संसदीय क्षेत्र में महज एक सभा की। मोदी संदेशों के लिए भी जाने जाते हैं। अपनी पहली और संभवत: वाराणसी में अपनी आखिरी चुनावी सभा में आजाद हिंद फौज में सुभाष चंद्र बोस के साथी रहे कर्नल निजामुद्दीन को साथ खड़ा करके-उनके चरण स्पर्श करके संदेश दे दिया कि वह देश के सभी सपूतों का सम्मान करते हैं- जाति और संप्रदाय की सीमाओं को तोड़कर।

    ज्च्जत नहीं बचा पाएंगे मुलायम

    वाराणसी। भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव आजमगढ़ में अपनी ज्च्जत बचाने के लिए आए हैं लेकिन वह बचने वाली नहीं है। मोदी ने चुनाव आयोग पर पक्षपात तो केंद्र और उप्र सरकार पर परिवारवाद का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल के चुनाव में गड़बड़ी हुई है। इस बात की शिकायत चुनाव आयोग से की गई लेकिन वह अब तक मौन है। गुरुवार को आजमगढ़ और चंदौली की जनसभाओं में मोदी ने कांग्रेस, सपा और बसपा पर सीधा हमला बोला। कहा तीनों दल एक ही थाली के चट्टे-बट्टे हैं।

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