इराक में भारतीय की आपबीती, ऐसा लगता है कि हम जेल में बंद हैं
तिरुवनंतपुरम। दो दिन बीत गए हैं। ऐसा लगता है जैसे हम किसी जेल में बंद हैं। हर बार फोन की घंटी बजने पर उम्मीद होती थी कि कोई अच्छी खबर होगी, लेकिन ऐसा ...और पढ़ें

तिरुवनंतपुरम। दो दिन बीत गए हैं। ऐसा लगता है जैसे हम किसी जेल में बंद हैं। हर बार फोन की घंटी बजने पर उम्मीद होती थी कि कोई अच्छी खबर होगी, लेकिन ऐसा नहीं होता। यह कहना है इराक के बसरा में काम करने वाले केरल के एक कामगार का। बसरा में बढ़ई का काम करने वाले इस शख्स ने फोन पर अपनी आपबीती सुनाई।
उसके मुताबिक, भारत के विभिन्न हिस्सों से हम कुल 57 लोग यहां से जाने के लिए तैयार बैठे हैं। हमने अपना काम बंद कर दिया है और वापसी के इंतजार में हैं। शनिवार को सुबह इराक में भारत के राजदूत अजय कुमार ने फोन किया था, लेकिन उन्होंने भी यह सुनिश्चित नहीं किया कि हमारी वापसी कब होगी।
उसने बताया कि अजय ने सभी लोगों की विस्तृत जानकारी केरल के मंत्री केसी जोसेफ के पास ईमेल से भेजने की बात कही। ये कामगार जुलाई, 2012 से बसरा में हैं। उन्हें पांडिचेरी की एक कंपनी यहां लाई थी। कंपनी के लोग हमें यहां छोड़कर भारत वापस जा चुके हैं। हम उम्मीद कर रहे हैं कि भारत सरकार हम लोगों को यहां से सुरक्षित वापस ले जाने के लिए कदम उठाएगी।
इस बीच, तिकरित में फंसी केरल की नर्सो को लेकर मीडिया में खबरों की बाढ़ को देखते हुए सरकार ने नर्सो को मीडिया से फोन पर बात न करने की सलाह दी है।
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