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    मुख्यमंत्रियों की आपत्ति से अधर में लटका एनसीटीसी

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    Updated: Wed, 05 Jun 2013 11:11 PM (IST)

    नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। राष्ट्रीय आतंक रोधी केंद्र [एनसीटीसी] अधर में लटक गया है। मुख्यमंत्रियों ने नए स्वरूप में भी इसे नकार दिया है। मुख्यमंत्रियों को मनाने के लिए गृह मंत्रालय ने एनसीटीसी के कई प्रावधानों को हल्का कर दिया था। इसको लेकर सुरक्षा एजेंसियां पहले से नाराज थीं। आंतरिक सुरक्षा पर बुधवार को मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में गैर कांग्रेस शासित राज्यों के साथ कांग्रेस शासित राज्यों के कुछ मुख्यमंत्रियों ने भी एनसीटीसी के मौजूदा प्रावधानों को खारिज कर दिया।

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    नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। राष्ट्रीय आतंक रोधी केंद्र [एनसीटीसी] अधर में लटक गया है। मुख्यमंत्रियों ने नए स्वरूप में भी इसे नकार दिया है। मुख्यमंत्रियों को मनाने के लिए गृह मंत्रालय ने एनसीटीसी के कई प्रावधानों को हल्का कर दिया था। इसको लेकर सुरक्षा एजेंसियां पहले से नाराज थीं। आंतरिक सुरक्षा पर बुधवार को मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में गैर कांग्रेस शासित राज्यों के साथ कांग्रेस शासित राज्यों के कुछ मुख्यमंत्रियों ने भी एनसीटीसी के मौजूदा प्रावधानों को खारिज कर दिया।

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    पढ़ें: ..तो देश को चुकानी होगी कीमत

    नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में जरूर सभी मुख्यमंत्री एकजुट दिखे। सभी ने छत्तीसगढ़ में कांग्रेसी नेताओं पर हुए नक्सली हमले के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित कर नक्सलियों को लोकतंत्र और संविधान विरोधी करार दिया। इसे लोकतंत्र पर हमला बताते हुए प्रधानमंत्री ने भी कहा कि उनका कार्यालय कैबिनेट सचिवालय और गृह मंत्रालय के साथ मिलकर नक्सलियों के खिलाफ नई रणनीति बना रहा है। मुख्य सम्मलेन के बाद नक्सल प्रभावित नौ राज्यों के मुख्यमंत्रियों की अलग से बैठक हुई, जिसमें नक्सलियों के खिलाफ रणनीति पर विचार किया गया।

    एनसीटीसी पर मुख्यमंत्रियों की आपत्ति से गृह मंत्री की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे कई बार दावा कर चुके थे कि नए स्वरूप में एनसीटीसी पर किसी को आपत्ति नहीं हो सकती। हैरानी की बात यह है कि वह कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों को भी मनाने में विफल रहे। बिहार, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, पंजाब, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के साथ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चह्वाण और कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दरमैया ने भी एनसीटीसी को लेकर आपत्ति जताई।

    गृह मंत्री रहते हुए पी चिदंबरम ने दो फरवरी, 2012 को एनसीटीसी के गठन की अधिसूचना जारी कर दी थी। इसके अनुसार एक महीने के भीतर एनसीटीसी को काम शुरू कर देना था। लेकिन, मुख्यमंत्रियों की आपत्ति के बाद उन्हें पीछे हटना पड़ा था और सहमति बनाने के लिए प्रधानमंत्री को मुख्यमंत्रियों का विशेष सम्मेलन बुलाना पड़ा था।

    एनसीटीसी में किए गए बदलाव

    1. पुराने स्वरूप में एनसीटीसी को खुफिया ब्यूरो के अंतर्गत रखा गया था, लेकिन अब इसे गृह मंत्रालय के अधीन किया गया

    2. एनसीटीसी को आतंक से जुड़े मामलों में राज्य सरकार को सूचित किए बगैर देश के भीतर कहीं भी ऑपरेशन का अधिकार, नए स्वरूप में राज्य को सूचित कर ऑपरेशन होगा

    मुख्यमंत्रियों की मुख्य आपत्तियां

    -एटीएस पर्याप्त, एनसीटीसी की जरूरत नहीं: अखिलेश यादव

    -एनसीटीसी की जरूरत नहीं, एनआइए को मिले और अधिकार: नीतीश कुमार

    -केंद्र को ऑपरेशन अपने हाथ में लेने की जरूरत नहीं: शिवराज सिंह चौहान

    -संघीय ढांचे पर हमला: ममता बनर्जी

    -एनसीटीसी के प्रावधानों को स्पष्ट करने की जरूरत: पृथ्वीराज चह्वाण

    -एनसीटीसी बनाने का मूल उद्देश्य ही गलत: नरेंद्र मोदी

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