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    चीन की बढ़ती सैन्य ताकत के प्रति सरकार सतर्क

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    Updated: Thu, 14 Aug 2014 06:21 AM (IST)

    भारत ने कहा कि वह चीन की बढ़ती सैन्य शक्ति के प्रति सजग व सतर्क है और पड़ोसी देश की ओर से सुरक्षा संबंधित किसी भी संभावित खतरे से निपटने के लिए कदम उठा रही है। रक्षा मंत्रालय ने अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा कि चीन के बढ़ते सैन्य बल के असर व सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचा विकसित करने के

    नई दिल्ली। भारत ने कहा कि वह चीन की बढ़ती सैन्य शक्ति के प्रति सजग व सतर्क है और पड़ोसी देश की ओर से सुरक्षा संबंधित किसी भी संभावित खतरे से निपटने के लिए कदम उठा रही है।

    रक्षा मंत्रालय ने अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा कि चीन के बढ़ते सैन्य बल के असर व सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचा विकसित करने के प्रति भारत सजग और सतर्क है। अपनी सुरक्षा पर किसी तरह के विपरीत असर से निपटने के लिए जरूरी क्षमताएं विकसित करने की दिशा में भी भारत आवश्यक कदम उठा रहा है।

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    रिपोर्ट में कहा गया कि दोनों देशों के बीच अनसुलझा सीमा विवाद भारत की सुरक्षा के लिए बड़ा मुद्दा है। जापान के साथ चीन के द्वीप विवाद व दक्षिण चीन सागर में समुद्री यातायात के विरोध पर मंत्रालय ने कहा कि एशिया-प्रशांत में तनाव ने क्षेत्र में तनाव पैदा किया है और क्षेत्रीय समुदाय में फूट डालने का काम कर रहा है।

    मंत्रालय ने कहा कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र से भारत के अहम राजनीतिक, आर्थिक व सामाजिक हित जुड़े हुए हैं और यहां शांति व स्थायित्व बेहद जरूरी है। रिपोर्ट में कहा गया कि भारत अंतरराष्ट्रीय समुद्री क्षेत्र में यातायात की छूट देने और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुसार आने-जाने के अधिकार का समर्थन करता है। भारत का मानना है कि सभी देशों को संयम बनाए रखना चाहिए और मुद्दों का बिना सैन्य बल के इस्तेमाल की धमकी के कूटनीतिक तरीके से हल निकालना चाहिए।

    क्षेत्रीय सुरक्षा हालात पर रिपोर्ट में कहा गया कि दक्षिण एशिया में हालात पल-पल बदल रहे हैं। हमारे निकट पड़ोस से ही आतंकवाद, उग्रवाद व सांप्रदायिक संघर्ष क्षेत्र के स्थायित्व को चुनौती दे रहे हैं।

    रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को लोक सभा को बताया कि सरकार रक्षा भूमि के नजदीक रिहायशी कालोनियों के लिए रक्षा मंत्रालय से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने की छूट पर सुरक्षा जरूरतों और मांग के प्रति संतुलित दृष्टिकोण अपनाएगी। इस मुद्दे पर ध्यानाकर्षण के जवाब में जेटली ने कहा कि विचार जानने के लिए हमने मामला रक्षा मुख्यालयों को भेजा है। जैसे ही हमें यह मिलेगा, हम तुरंत इसकी समीक्षा शुरू कर देंगे.. और एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाया जाएगा।

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