साइबर जासूसी पर मोदी सरकार ने अमेरिका को चेताया
अमेरिका के साइबर जासूसी कार्यक्रम पर मोदी सरकार ने सख्त रुख अख्तियार किया है। सरकार ने अमेरिका को चेताया है कि इंटरनेट निगरानी के बहाने अमेरिकी एजेंसियों द्वारा भारतीय कानून का उल्लंघन स्वीकार्य नहीं है। संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने शुक्रवार को राज्यसभा में बताया कि अमेरिका को इस बारे में आगाह कर दिया गया
नई दिल्ली। अमेरिका के साइबर जासूसी कार्यक्रम पर मोदी सरकार ने सख्त रुख अख्तियार किया है। सरकार ने अमेरिका को चेताया है कि इंटरनेट निगरानी के बहाने अमेरिकी एजेंसियों द्वारा भारतीय कानून का उल्लंघन स्वीकार्य नहीं है। संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने शुक्रवार को राज्यसभा में बताया कि अमेरिका को इस बारे में आगाह कर दिया गया है।
एक सवाल के लिखित जवाब में प्रसाद का कहना था, 'इंटरनेट पर भारत से जारी सूचनाओं की अमेरिका द्वारा निगरानी पर सरकार ने सख्त आपत्ति व्यक्त की है। उसने अपनी चिंता से अमेरिका को अवगत करा दिया है।' बकौल संचार मंत्री, 'सरकार लोगों की निजता की सुरक्षा से संबंधित भारतीय कानून का अमेरिकी एजेंसियों द्वारा उल्लंघन किसी कीमत पर सहन नहीं करेगी। जासूसी कार्यक्रम पर अमेरिका को भारतीय दृष्टिकोण से अवगत करा दिया गया है।' प्रसाद के अनुसार, 'हम किसी भी नागरिक की निजता के अधिकार की रक्षा के लिए कृत संकल्प है। अमेरिकी जासूसी कार्यक्रम के तहत किसी भी व्यक्ति की निजता की सुरक्षा से संबंधित कानून का अगर उल्लंघन होता है तो सरकार कड़े कदम उठाएगी।' उन्होंने बताया कि जून, 2013 में जब विदेशी मीडिया में अमेरिकी जासूसी कार्यक्रम के बारे में खबर प्रकाशित हुई तो भारत सरकार ने तत्काल अपनी आपत्ति दर्ज कराई। सबसे पहले सीआइए के पूर्व कर्मचारी एडवर्ड स्नोडेन ने यह कह कर सनसनी फैला दी थी कि अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनएसए) दुनिया भर में इंटरनेट से सूचनाओं की प्रवाह की निगरानी कर रही है। साइबर जासूसी के इस काम में वह गूगल, फेसबुक, माइक्रोसाफ्ट जैसे कंपनियों की मदद ले रही है। प्रसाद ने बताया कि सरकार इंटरनेट पर मौजूद आंकड़ों और जानकारियों की हिफाजत के लिए तकनीकी स्तर पर जरूरी कदम उठा रही है। इसके लिए साइबर और संचार क्षेत्र के बुनियादी ढांचे को और पुख्ता करने के लिए पहल शुरू कर दी गई।