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    दहशत: युद्ध के बन रहे हालत को देखकर ग्रामीणों ने छोड़े घर-बार

    By Rajesh NiranjanEdited By:
    Updated: Fri, 10 Oct 2014 10:49 AM (IST)

    पाकिस्तानी सेना न दिन देखती है और न ही रात। अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर देती है। तीन दिनों से हो रही गोलीबारी से हताश लोग अपना कीमती सामान समेटकर रिश्तेदारों के घर चले चले गए। जिनका कोई नहीं उन्होंने मजबूर होकर हायर सेकेंडरी स्कूल में शरण ले ली है। हालांकि, हायर सेकेंडरी स्कूल में भी

    परगवाल, [विजय शर्मा]। पाकिस्तानी सेना न दिन देखती है और न ही रात। अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर देती है। तीन दिनों से हो रही गोलीबारी से हताश लोग अपना कीमती सामान समेटकर रिश्तेदारों के घर चले चले गए। जिनका कोई नहीं उन्होंने मजबूर होकर हायर सेकेंडरी स्कूल में शरण ले ली है। हालांकि, हायर सेकेंडरी स्कूल में भी लोग अपने आपको महफूज नहीं महसूस कर रहे हैं। सीमा से उसकी दूरी भी कोई ज्यादा नहीं है।

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    काका कुमार, राज कुमार, नीता देवी और अजय कुमार ने बताया की जिस स्कूल में हमने शरण ले रखी है उसमें पिछले वर्ष इसी माह में आगे-पीछे पाक रेंजर्स के गोले गिरे थे। उन्होंने प्रशासन से अपील की है कि उनको सुरिक्षत स्थानों पर रखा जाए।

    ग्रामीणों में इस बात को लेकर भी रोष है कि प्रशासन उनकी सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं है। उनका कहना है कि जब पाक रेंजर्स के गोले हम पर बरसते हैं तो प्रशासनिक अधिकारी गांव में आकर हमें सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए कहते हैं। मगर हमारा प्रशासन व स्थानीय नेताओं से यही सवाल है कि हम कहां जाएं? क्या उन्होंने हमारे लिए कोई सुरक्षित जगह बनवाकर रखी है? वहीं, ग्रामीणों ने बताया की जब पिछले दिनों हुई बारिश में आई बाढ़ से हमारा गांव हमीरपुर चिनाब के पानी में डूब रहा था तो ग्रामीणों को हायर सेकेंडरी परगवाल में रखा गया। बाढ़ आए या फिर पाक के गोले बरसे ग्रामीणों को उठाकर हायर सेकेंडरी स्कूल में फेंक दिया जाता है। प्रशासन को हमारे नुकसान से कोई लेना-देना नहीं है। पाकिस्तान तो सुधरने वाला नहीं है पर हमारी सरकार को चाहिए कि बच्चों के भविष्य के लिए कोई ठोस कदम उठाए।

    फायरिंग में अमन सिंह पुत्र दलजीत सिंह निवासी हमीरपुर, सुरेश कुमार पुत्र शमशेर सिंह निवासी हमीरपुर, बबली कुमार पुत्र रा सिंह, बलदेव राज निवासी भलाभाल मोलू घायल हो गए, जिनका इलाज परगवाल पीएचसी चल रहा है। दो दिनों से हो रही फायरिंग में परगवाल टापू के 32 गांव को खतरा है। इस टापू के ग्रामीणों को भागने के लिए मात्र एक ही रास्ता है। सेना उसे लोगों की सुरक्षा के लिए बंद कर देती है। क्योंकि, पाक रेंजर्स के निशाने पर वह सड़क रहती है। पाक रेंजर उसी सड़क को अपना निशान बनाकर मोर्टार का रेंज रखते हैं।

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