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    यूपी में कांग्रेस को नहीं मिली संजीवनी

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    Updated: Thu, 18 Sep 2014 09:25 AM (IST)

    कांग्रेस इस बात से भले ही खुश हो कि तीन महीने पहले लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा के पक्ष में बना माहौल अब 'डिफ्यूज' हो चुका है, लेकिन चुनावी धरातल पर उस ...और पढ़ें

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    लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। कांग्रेस इस बात से भले ही खुश हो कि तीन महीने पहले लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा के पक्ष में बना माहौल अब 'डिफ्यूज' हो चुका है, लेकिन चुनावी धरातल पर उसका फिसलना जारी है। ढाई साल पहले हुए विधान सभा के सामान्य निर्वाचन की तुलना में दो सीटों पर कांग्रेस की हालत सुधरी तो नौ विधान सभा सीटों पर वह और ज्यादा लुढ़क गई।

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    बिजनौर सीट पर ढाई साल पहले कांग्रेस प्रत्याशी शाहनवाज राणा को 22.67 प्रतिशत वोट मिले तो उपचुनाव में पार्टी उम्मीदवार हुमायूं बेग को महज 1.26 प्रतिशत वोट मिले। लखीमपुर खीरी की निघासन सीट पर विधान सभा चुनाव में अजय प्रकाश को आठ प्रतिशत वोट मिले तो इस बार शिव भगवान 3.38 प्रतिशत पर सिमट गए। कौशाम्बी की सिराथू सीट पर ढाई साल पहले मोहम्मद फरीद खान को 10.91 प्रतिशत वोट मिले जबकि उपचुनाव में लालचंद कुशवाहा को साढ़े तीन प्रतिशत से भी कम मत मिले।

    बहराइच की बलहा सीट पर पिछले चुनाव में पूनम किशोर को 11.84 प्रतिशत मिले तो ताजा चुनाव में श्यामता प्रसाद को 3.31 प्रतिशत वोट ही मिले। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र की रोहनिया सीट पर 2012 में कांग्रेस उम्मीदवार हीरालाल उर्फ छक्कन मौर्य को लगभग दस प्रतिशत वोट मिले थे। जबकि उपचुनाव में भावना पटेल को दो प्रतिशत वोट भी नहीं मिले।

    मुरादाबाद की ठाकुरद्वारा सीट पर गत चुनाव में 21.22 प्रतिशत वोट पाने वाली कांग्रेस इस बार केवल 7.48 प्रतिशत पर सिमट गई। यही हश्र लखनऊ पूर्व सीट पर हुआ जहां ढाई साल पहले रमेश श्रीवास्तव को 18.69 प्रतिशत वोट मिले तो इस बाद उन्हें लगभग सात प्रतिशत वोट ही मिल सके। सहारनपुर शहर सीट पर कांग्रेस का वोट प्रतिशत 33.05 से गिरकर 12.89 तथा नोएडा में 12.15 से गिरकर 10.33 प्रतिशत पर आ गया। अलबत्ता बुंदेलखंड की हमीरपुर और चरखारी सीट पर कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर हुआ। दोनों सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशी ढाई साल पहले वाले ही थे। हमीरपुर में केशव बाबू शिवहरे ने मत प्रतिशत 11.71 से बढ़ाकर 19.74 तथा चरखारी में राम जीवन ने 11.71 से बढ़ाकर 22.87 कर दिया।

    कांग्रेस को उम्मीद थी कि बसपा की गैरमौजूदगी में उसे दलितों का वोट मिलेगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डा. निर्मल खत्री का कहना है कि यह अच्छी बात है कि तीन महीने पहले का राजनीतिक माहौल डिफ्यूज हुआ है, लेकिन कांग्रेस के लिए अच्छा होता अगर हम जीतते। सहारनपुर, चरखारी और हमीरपुर में हमे जीत की उम्मीद थी, लेकिन सपा द्वारा सरकारी मशीनरी के जमकर दुरुपयोग होने से हमारी उम्मीदों पर पानी फिर गया।

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