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राजस्थान उप चुनाव: भाजपा को झटका, कांग्रेस को मिली संजीवनी

राजस्थान की चार विधानसभा सीटों पर हुए उप चुनाव में भाजपा को करारा झटका लगा है। कांग्रेस नौ महिने पहले विधानसभा चुनाव और फिर लोकसभा चुनाव में चली मोदी लहर और वसुंधरा राजे की चमक दोनों को पीछे छोड़ते हुए चार में से तीन सीटों पर विजय हांसिल की है। नौ माह पूर्व हुए विधानसभा चुनाव में इन सभी सीटों पर

By Edited By: Published: Tue, 16 Sep 2014 05:57 PM (IST)Updated: Wed, 17 Sep 2014 07:31 AM (IST)
राजस्थान उप चुनाव: भाजपा को झटका, कांग्रेस को मिली संजीवनी

जयपुर [नरेंद्र शर्मा]। राजस्थान की चार विधानसभा सीटों पर हुए उप चुनाव में भाजपा को करारा झटका लगा है। कांग्रेस नौ महीने पहले विधानसभा चुनाव और फिर लोकसभा चुनाव में चली मोदी लहर और वसुंधरा राजे की चमक दोनों को पीछे छोड़ते हुए चार में से तीन सीटों पर विजय हासिल की है। नौ माह पूर्व हुए विधानसभा चुनाव में इन सभी सीटों पर भाजपा ने कांग्रेस प्रत्याशियों को भारी मतों के अंतर से हराया था और फिर इसके बाद हुए लोकसभा चुनाव में भी भाजपा की बढ़त कायम रही। ये चारों सीटें लोकसभा चुनाव जीत चुके भाजपा विधायकों के इस्तीफों के कारण रिक्त हुई थी। भाजपा ने चारों सीटों पर अपनी जीत पक्की मानकर चल रही थी, लेकिन ना तो वसुंधरा राजे सरकार और ना ही भाजपा संगठन जनता के मूड को समझ सके। मतदाताओं ने भाजपा से अधिक कांग्रेस पर भरोसा किया, जिसका नतीजा यह रहा कि चार में से मात्र एक सीट जीत कर भाजपा को संतोष करना पड़ा।

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राज्य और केंद्र में सत्ता हासिल करने के कुछ माह बाद हुए चार सीटों के उप चुनाव में मतदाताओं ने भाजपा को यह सोचने को विवश कर दिया कि कहीं ना कहीं तो गलती हो रही है। हालांकि केंद्र की मोदी सरकार और राज्य की वसुंधरा राजे सरकार ने जनहित के कई निर्णय किए। लेकिन भाजपा संगठन और विधायकों की कमी यह रही कि इन निर्णयों को मतदाताओ तक प्रचारित नहीं कर सके। कार्यकर्ता स्वयं की सत्ता में हिस्सेदारी महसूस नहीं कर रहा। उम्मीदवारों का चयन, आंतरिक कलह, विधानसभा से इस्तीफा देकर सांसद बने चारों नेताओं द्वारा की गई भीतरघात और बाहरी नेताओं को क्षेत्र बदलकर चुनाव लड़वाया जाना भाजपा की हार के कारण माने जा रहे हैं।

भाजपा की चुनावी कमान पूरी तरह से मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के हाथ में रही, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी और संगठन के पदाधिकारी चुनाव अभियान में जुटे ही नहीं। वहीं कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट ने राज्य के सभी वरिष्ठ नेताओ को साथ लेकर चुनाव अभियान चलाया, उम्मीदवारों का चयन स्थानीय नेताओं की सलाह से किया गया। जातिगत समीकरणों का भी प्रत्याशी चयन में ध्यान रखा गया।

चार में से भाजपा ने एक मात्र सीट कोटा दक्षिण पर जीत हासिल की है। यहां भाजपा प्रत्याशी संदीप शर्मा ने कांग्रेस के शिवकांत नंदवाना को 27,760 वोटों से हराया। हालांकि यहां भी जीत का अंतर नौ माह पूर्व हुए विस एवं लोस चुनाव से काफी कम रहा।

नसीराबाद विधानसभा सीट पर कांग्रेस के रामनारायण गुर्जर ने भाजपा की सरिता गैना को 386 वोटों से हराया। वहीं वैर विधानसभा सीट पर कांग्रेस के भजन लाल ने भाजपा के गंगाराम कोली को 25,108 वोटों से हराया। सूरतगढ़ सीट से कांग्रेस के श्रवण कुमार ने भाजपा क दिगंबर सिंह को 3271 वोटों से हराया। इन चारों सीटों के परिणाम से वसुंधरा सरकार को विधानसभा में विश्वास मत को लेकर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है, क्योंकि उनके पास पूर्ण बहुमत है। लेकिन यह जीत भाजपा में आंतरिक कलह बढ़ाने के साथ ही कांग्रेस के लिए संजीवनी का काम कर सकती है।

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