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    सीसैट: छात्रों और विपक्ष ने खारिज किया सरकार का फार्मूला

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    Updated: Wed, 06 Aug 2014 02:52 AM (IST)

    नए फार्मूले की घोषणा के बाद भी यूपीएससी परीक्षा में सीसैट के विवाद पर मचा घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। आंदोलनकारी छात्रों से लेकर अधिकांश विपक्षी दलों ने इस फार्मूले को खारिज कर दिया है। आंदोलनकारी छात्र जहां सीसैट को पूरी तरह से हटाने की मांग को लेकर नई दिल्ली में जंतर-मंतर पर डटे हुए हैं, वहीं हंगामे के कारण संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित हुई। लेकिन सरकार ने फार्मूले पर पुनर्विचार करने से इन्कार कर दिया है। इससे कुपित विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मुद्दे पर बयान देने की मांग की।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नए फार्मूले की घोषणा के बाद भी यूपीएससी परीक्षा में सीसैट के विवाद पर मचा घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। आंदोलनकारी छात्रों से लेकर अधिकांश विपक्षी दलों ने इस फार्मूले को खारिज कर दिया है। आंदोलनकारी छात्र जहां सीसैट को पूरी तरह से हटाने की मांग को लेकर नई दिल्ली में जंतर-मंतर पर डटे हुए हैं, वहीं हंगामे के कारण संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित हुई। लेकिन सरकार ने फार्मूले पर पुनर्विचार करने से इन्कार कर दिया है। इससे कुपित विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मुद्दे पर बयान देने की मांग की।

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    संसद में यूपीएससी के मुद्दे पर सबसे अधिक हंगामा राज्यसभा में हुआ, जहां नौ विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर विस्तृत चर्चा की मांग की। कांग्रेस, सपा, बसपा, जदयू समेत तमाम क्षेत्रीय दलों ने सरकार के सुझाए फार्मूले को खारिज करते हुए 24 अगस्त को होने वाली प्रारंभिक परीक्षा स्थगित करने की मांग की। विपक्षी दलों ने प्रश्नकाल स्थगित कर इस विवाद पर तत्काल चर्चा कराने का नोटिस दिया था, लेकिन सभापति ने इसे खारिज कर दिया। क्षेत्रीय दलों का कहना था कि यूपीएससी की परीक्षा सभी क्षेत्रीय भाषाओं में होना चाहिए तो कांग्रेस के प्रमोद तिवारी ने विवाद सुलझाने के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के गठन की मांग की।

    तिवारी का कहना था कि सरकार ने इसे ¨हदी-अंग्रेजी का मुद्दा बना दिया है, जबकि यह सभी भारतीय भाषाओं से जुड़ा है। विपक्षी दलों के हंगामे के कारण लोकसभा की कार्यवाही भी थोड़ी देर के लिए बाधित हुई। सरकार के प्रस्तावित फार्मूले से सबसे अधिक नाराज दक्षिण भारत के सांसद दिखे। अंग्रेजी भाषा के अंकों को योग्यता सूची में नहीं शामिल करने को वे ¨हदी के पक्ष में लिया गया फैसला बता रहे थे। डीएमके की कनीमोरी ने कहा कि इस फार्मूले में सभी पक्षों को ध्यान में नहीं रखा गया है। उन्होंने प्रारंभिक परीक्षा में सभी भारतीय भाषाओं को सम्मिलित करने की जरूरत पर बल दिया ताकि अंग्रेजी और ¨हदी नहीं जानने वाले छात्रों का नुकसान न हो।

    इस बीच, आंदोलनकारी छात्रों ने भी सरकार के फार्मूले को खारिज करते हुए सीसैट खत्म होने तक आंदोलन जारी रखने का एलान किया है। दिल्ली विश्वविद्यालय के करीब मुखर्जी नगर में पिछले 26 दिनों से डटे छात्र अब संसद के करीब जंतर-मंतर पहुंच गए हैं। इन छात्रों का कहना है कि उनका आंदोलन अंग्रेजी भाषा के सवालों के खिलाफ नहीं होकर, पूरे सीसैट पेपर को लेकर था। लेकिन सरकार ने केवल अंग्रेजी के सवालों के अंक योग्यता सूची में नहीं शामिल करने का फैसला किया है। कई छात्रों ने प्रारंभिक परीक्षा के बहिष्कार की भी धमकी दी है। लेकिन सरकार ने फार्मूले को सही बताते हुए उस पर पुनर्विचार से इन्कार कर दिया है। सरकार ने पूरे विवाद के लिए संप्रग सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए फार्मूले को छात्रों के हित में बताया है।

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