मेरिट में नहीं जुड़ेंगे अंग्रेजी के अंक, जारी रहेगा सीसैट
मोदी सरकार ने यूपीएससी परीक्षा में सीसैट के विवाद को खत्म करने के फार्मूले की घोषणा की है। बीच का रास्ता निकालते हुए सरकार ने सीसैट को पूरी तरह खत्म करने व परीक्षा को स्थगित करने की मांग ठुकरा दी है, लेकिन अंग्रेजी भाषा के सवालों के अंक को योग्यता या मेरिट तय करने में नहीं शामिल करने का फैसला किया है। यानी सरकार ने हिंदी भाषी छात्रों के लिए अंग्रेजी की बाधा खत्म कर दी। यूपीएससी की सहमति के बाद सरकार की ओर से प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मोदी सरकार ने यूपीएससी परीक्षा में सीसैट के विवाद को खत्म करने के फार्मूले की घोषणा की है। बीच का रास्ता निकालते हुए सरकार ने सीसैट को पूरी तरह खत्म करने व परीक्षा को स्थगित करने की मांग ठुकरा दी है, लेकिन अंग्रेजी भाषा के सवालों के अंक को योग्यता या मेरिट तय करने में नहीं शामिल करने का फैसला किया है। यानी सरकार ने हिंदी भाषी छात्रों के लिए अंग्रेजी की बाधा खत्म कर दी। यूपीएससी की सहमति के बाद सरकार की ओर से प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने संसद में इसकी घोषणा की। वैसे अंग्रेजी के अंक नहीं जोड़े जाने को लेकर दक्षिण भारत के सांसदों ने राज्यसभा में जमकर हंगामा किया।
यह है फार्मूला:
फार्मूले की घोषणा करते हुए जितेंद्र सिंह ने कहा कि 'सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा के प्रश्नपत्र-दो में अंग्रेजी भाषा वाले प्रश्नों के अंकों का मेरिट के लिए सम्मिलित करने का कोई औचित्य नहीं है।' यानी अब परीक्षा में योग्यता सूची 400 अंकों के बजाय 377.5 अंकों के आधार पर तैयार होगी। इसके साथ ही सरकार ने 2011 में सीसैट के लागू होने के समय सिविल सेवा की परीक्षा देने वालों को एक और अवसर देने की घोषणा की है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सरकार के इस मत से यूपीएससी को औपचारिक रूप से अवगत करा दिया गया है। यूपीएससी जल्द ही इसे मंजूर करते हुए कार्मिक मंत्रालय को जरूरी अधिसूचना जारी करने के लिए कहेगा।
मिलीजुली प्रतिक्रिया:
सरकार के इस फैसले पर राजनीतिक दलों की मिलीजुली प्रतिक्रिया रही। अंग्रेजी भाषा के अंकों को योग्यता सूची में नहीं शामिल किए जाने से दक्षिण भारत के सांसद खासे नाराज थे। इन सांसदों के हंगामें के कारण राज्यसभा की कार्रवाई को तीन बार स्थगित करनी पड़ी। जदयू और राकांपा ने सरकार के फैसले का स्वागत किया है। जबकि कांग्रेस ने फार्मूले को खारिज कर दिया है। कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा कि सरकार ने समस्या का समाधान निकालने के बजाय उसे और ज्यादा उलझा दिया है। उनके अनुसार सरकार ने इस फार्मूले से देश के दूसरे हिस्सों में पड़ने वाले प्रभाव के बारे में सोचा ही नहीं।
वहीं सपा नेता नरेश अग्रवाल ने फार्मूले को खारिज करते हुए कहा कि यह आंदोलनकारी छात्रों को संतुष्ट करने में विफल रहा है। फार्मूले को सही ठहराते हुए सूचना व प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडे़कर ने कहा कि इस फैसले से जनता के प्रति मोदी सरकार की संवेदनशीलता साफ दिखती है। उनके अनुसार संप्रग सरकार तीन साल में जिस समस्या का समाधान नहीं कर पाई, उसका मोदी सरकार ने अच्छे फैसले के साथ पटाक्षेप कर दिया है।
आंदोलनकारी असंतुष्ट:
वहीं सरकार के इस फार्मूले को लेकर आंदोलनकारी ¨हदी भाषा के छात्रों में कोई उत्साह नहीं है। आंदोलन से जुड़े एक छात्र ने कहा कि सरकार की ओर से अंग्रेजी से ¨हदी में अनुवाद पर कुछ नहीं कहा गया है, जबकि सबसे अधिक शिकायत इसी को लेकर थी। इसके साथ ही सरकार ने परीक्षा को स्थगित करने की मांग भी ठुकरा दी है। वैसे आंदोलनकारी छात्र फिलहाल सरकार के फैसले पर विचार-विमर्श करने में जुटे हैं और मंगलवार तक अपनी आगामी रणनीति की घोषणा करेंगे। लेकिन माना जा रहा है कि 24 अगस्त को प्रारंभिक परीक्षा के देखते हुए छात्र नए सिरे से सड़क पर उतरने से परहेज करेंगे।
'सरकार का यह मत है कि सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा के प्रश्नपत्र-दो में अंग्रेजी भाषा वाले प्रश्न-भाग के अंकों का मेरिट के लिए सम्मिलित करने का कोई औचित्य नहीं है।'
-जितेंद्र सिंह, पीएमओ में राज्यमंत्री
'हम जितेंद्र सिंह के लोकसभा में दिए बयान से संतुष्ट नहीं हैं। हम सीसैट को पूरी तरह से खत्म करने की मांग कर रहे हैं। हमने अपनी लड़ाई जारी रखने का फैसला किया है।'
-पवन, आंदोलनकारी छात्र नेता
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