टल सकती है सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा
संघ लोक सेवा आयोग [यूपीएससी] की परीक्षा में हो रही हिंदी की उपेक्षा को ले कर जारी छात्रों के विरोध प्रदर्शन के बाद अब केंद्र सरकार हरकत में आ गई है। सरकार ने यूपीएससी को कहा है कि जब तक पाठ्यक्रम और अन्य मसलों पर स्पष्टता नहीं बने, सिविल सेवा परीक्षा टाल दी जाए। हालांकि परीक्षा की सारी तैयारी हो
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। संघ लोक सेवा आयोग [यूपीएससी] की परीक्षा में हो रही हिंदी की उपेक्षा को ले कर जारी छात्रों के विरोध प्रदर्शन के बाद अब केंद्र सरकार हरकत में आ गई है। सरकार ने यूपीएससी को कहा है कि जब तक पाठ्यक्रम और अन्य मसलों पर स्पष्टता नहीं बने, सिविल सेवा परीक्षा टाल दी जाए। हालांकि परीक्षा की सारी तैयारी हो जाने की वजह से यूपीएससी इसे टालने से बच रहा है। सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षा [पीटी] 24 अगस्त से होने वाली है। केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने मंगलवार को कहा, किसी भाषा को ले कर कोई दुराग्रह नहीं होना चाहिए।
सरकार ऐसी किसी पहल का समर्थन नहीं करती। सरकार ने यूपीएससी को अनुरोध किया है कि जब तक स्थिति पूरी तरह स्पष्ट नहीं हो जाए,यह परीक्षा नहीं करवाई जाए। साथ ही यह भी कहा गया है कि इस मामले पर विचार करने को बनाई गई समिति की रिपोर्ट जल्दी से जल्दी तैयार की जाए। उन्होंने कहा, समाज के विभिन्न वर्गो की चिंता और इस मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए यह अनुरोध किया गया है। अभी छात्रों में काफी भ्रम है। जब तक स्थिति स्पष्ट नहीं होगी, छात्र उस तरह की तैयारी करने की स्थिति में नहीं होंगे, जैसी इस परीक्षा को पास करने के लिए जरूरी होती है। अनशन कर रहे छात्रों को अनुरोध किया गया है कि वे ऐसा कदम नहीं उठाएं।
वहीं, यूपीएससी के सूत्रों के मुताबिक, इस परीक्षा के लिए पहले से बहुत सी तैयारियां करनी होती हैं। अंतिम समय में इसे टालने या रद करने से काफी परेशानी खड़ी हो सकती हैं। इसलिए आयोग जल्दबाजी में कोई फैसला करने से बचेगा। हिंदी को प्रोत्साहन के मामले पर गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में सभी जरूरी कदम उठाने का भरोसा दिलाया। उन्होंने कहा कि सरकार इसके लिए सभी विभागों को निर्देश देगी।
संस्कृत के उच्चारण को पूरी दुनिया ने मान्यता दी है। अगर कोई व्यक्ति संस्कृत सीख लेता है तो वह कोई भी भाषा बोल सकता है। भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने सिविल सेवा में हिंदी माध्यम के अधिकारियों की घटती संख्या पर चिंता जताई। यूपीएससी ने जो नीति लागू की है, उससे हिंदी ही नहीं तेलुगू, कन्नड़, तमिल आदि सभी भाषाओं की यही हालत हो जाएगी।
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