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    पोखरण में फिर गरजेगा अर्जुन टैंक

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    Updated: Mon, 09 Sep 2013 10:56 AM (IST)

    कई सुधारों के बाद तैयार किए गए स्वदेश निर्मित अर्जुन टैंक-2 के गोलों की गूंज शीघ्र ही राजस्थान स्थित पोखरण फायरिंगरेंज में सुनाई देगी। इसकी सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।

    जयपुर, नरेंद्र शर्मा। कई सुधारों के बाद तैयार किए गए स्वदेश निर्मित अर्जुन टैंक-2 के गोलों की गूंज शीघ्र ही राजस्थान स्थित पोखरण फायरिंगरेंज में सुनाई देगी। इसकी सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।

    पढ़ें : अर्जुन टैंक के उन्नत संस्करण का अंतिम परीक्षण अगले माह

    सेना के कई सुझावों को समाहित करते हुए नए सिरे से तैयार किए गए इस नए संस्करण को सैन्य विशेषज्ञों के कड़े इम्तिहान से गुजरना पड़ेगा। परीक्षण में खरा उतरने के बाद सेना डीआरडीओ को इसकी खरीद का ऑर्डर देगी। इससे पहले रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन की ओर से करीब तीन दशक के अथक प्रयास के बाद तैयार किए गए 124 अर्जुन-1 खरीदने का ऑर्डर दिया गया था। इसमें से अधिकांश टैंक सेना को मिल चुके हैं। इन्हें काम में ले रही सेना ने इस टैंक में करीब 80 सुधार करने के डीआरडीओ को निर्देश दिए थे। सेना के निर्देश पर डीआरडीओ ने अब इस टैंक में सभी सुधार कर अर्जुन-2 के नाम से नया वर्जन तैयार किया है।

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    डीआरडीओ के वैज्ञानिकों का मानना है कि कई तरह के तकनीकी सुधार के बाद अब यह टैंक किसी मायने में दुनिया के बेहतरीन टैंकों के पीछे नहीं है। वर्तमान में अमरीका में निर्मित अब्राहम-1 टैंक को पूरी दुनिया में श्रेष्ठ माना जाता है। वर्तमान मौसम टैंक परीक्षण के लिए बेहतर माना जाता है। इसे ध्यान में रखते हुए इस माह के अंत तक इसका परीक्षण शुरू कर दिया जाएगा। परीक्षण शुरू होने पर सेना के विशेषा इसकी मारक क्षमता सहित अन्य खूबियों का नजदीकी से परीक्षण करेंगे। अपेक्षाओं पर खरा उतरने के बाद ही इसके निर्माण के लिए ऑर्डर दिया जाएगा।

    राजस्थान के जैसलमेर सैन्य क्षेत्र के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार नए टैंक में काफी सुधार करने और कई नए तरह के उपकरण जोड़ने के कारण इसकी क्षमता बहुत अधिक बढ़ गई है, लेकिन साथ ही इसका भार भी पहले की अपेक्षा करीब नौ टन बढ़ गया है। अर्जुन टैंक-1 का भार 58 टन है, जबकि नए संस्करण का भार 67 टन है। नए संस्करण की मारक क्षमता बढ़ने के साथ-साथ काफी सटीक भी है। इसकी गति बढ़ाने के साथ ईधन की खपत क्षमता भी काफी कम की गई है। साथ ही गति तेज होने और आधुनिक डिजाइन के कारण जमीन पर भार कम पड़ेगा। नया वर्जन हथियार भी अधिक ढो सकता है। साथ ही सटीक निशानेबाजी के लिए अत्याधुनिक उपकरण लगाए गए हैं।

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