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असम में सेना पहुंची गांवों तक

असम के बोडो आदिवासी बहुल इलाकों में सांप्रदायिक हिंसा का तांडव लगातार सातवें दिन बुधवार को भी जारी रहा। प्रभावित इलाकों से आठ और शव मिलने से हिंसा में मारे गए लोगों की संख्या बढ़कर 40 हो गई है। सेना और अ‌र्द्धसैनिक बल गांवों तक पहुंच गए हैं, उन्होंने वहां पर तलाशी अभियान छेड़ दिया है। कोकराझाड़ में अनिश्चितकालीन क‌र्फ्यू जारी है। सुरक्षा बलों के साये में बुधवार दोपहर कम दूरी की पैसेंजर गाड़ियां और मालगाड़ियां चलाई गईं।

By Edited By: Published: Wed, 25 Jul 2012 02:18 PM (IST)Updated: Wed, 25 Jul 2012 08:11 PM (IST)
असम में सेना पहुंची गांवों तक

कोकराझाड़। असम के बोडो आदिवासी बहुल इलाकों में सांप्रदायिक हिंसा का तांडव लगातार सातवें दिन बुधवार को भी जारी रहा। प्रभावित इलाकों से आठ और शव मिलने से हिंसा में मारे गए लोगों की संख्या बढ़कर 40 हो गई है। सेना और अ‌र्द्धसैनिक बल गांवों तक पहुंच गए हैं, उन्होंने वहां पर तलाशी अभियान छेड़ दिया है। कोकराझाड़ में अनिश्चितकालीन क‌र्फ्यू जारी है। सुरक्षा बलों के साये में बुधवार दोपहर कम दूरी की पैसेंजर गाड़ियां और मालगाड़ियां चलाई गईं।

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बुधवार को पांच शव चिरांग जिले से और तीन शव कोकराझाड़ से बरामद हुए। हिंसा से सर्वाधिक प्रभावित कोकराझाड़ जिले मे अभी भी क‌र्फ्यू और देखते ही गोली मारने का आदेश लागू है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के हिंसा पर काबू पाने के कड़े निर्देश के बाद राज्य सरकार ने कोकराझाड़ के अतिरिक्त धुबड़ी, चिरांग और बोंगईगांव जिलों में भी सेना तैनात कर दी है। सभी जिलों में सेना का फ्लैग मार्च चल रहा है। रेल सेवा को सुरक्षित बनाने के लिए अ‌र्द्धसैनिक बलों के दो हजार जवानों को विभिन्न ट्रेनों में तैनात किया गया है। केंद्रीय गृह सचिव आरके सिंह के अनुसार ये जवान यात्रियों की सुरक्षा के साथ ही रेलवे ट्रैक की सुरक्षा पर भी नजर रखेंगे।

केंद्रीय गृह सचिव ने राज्य प्रशासन से हिंसा के लिए जिम्मेदार दोनों पक्षों के प्रमुख लोगों को गिरफ्तार करने का निर्देश दिया। हिंसा में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाए। बांग्लादेश से लगने वाली सीमा के नजदीक हो रही हिंसा में सीमापार से किसी मदद से इन्कार करते हुए केंद्रीय गृह सचिव ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सीमा को सील कर दिया गया है। सात दिनों से जारी हिंसा में करीब दो लाख लोगों ने अपना घर छोड़ा है, इनमें तमाम के घर जला दिए गए हैं। ज्यादातर लोग सरकार द्वारा बनाए गए 125 राहत शिविरों में रह रहे हैं।

मार्ग में रुकी ट्रेनों और रेलवे स्टेशनों पर अभी भी करीब 30 हजार लोग फंसे हुए हैं। सरकारी इंतजामों के बावजूद तमाम लोग खाद्य सामग्री और पेयजल की समस्या से जूझ रहे हैं। इन लोगों को उनके ठिकानों तक पहुंचाने के उपाय किए जा रहे हैं। रेलवे ने क्षतिग्रस्त रेल ट्रैक और सिग्नलों की मरम्मत का कार्य शुरू कर दिया है। स्थिति की समीक्षा के लिए मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने राज्य के प्रमुख अधिकारियों के साथ बुधवार को बैठक की। जबकि केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों का एक दल हालात पर नजर रखने के लिए हिंसाग्रस्त इलाके का दौरा कर रहा है।

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