कश्मीर पर पाक को संयुक्त राष्ट्र का ठेंगा
कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाने में जुटे पाकिस्तान ने एक बार फिर मुंह की खाई है। संयुक्त राष्ट्र ने कश्मीर कश्मीर मामले में दखल देने की पाकिस्तान की मांग को ठुकरा दिया है। संयुक्त राष्ट्र ने भारत और पाकिस्तान को मिलकर इस मसले को सुलझाने को कहा है। भारत ने भी पाकिस्तान पर प्रहार करते हुए कहा है कि असल मुद्दों से दुनिया का ध्यान बंटाने की इस तरह की हरकत सफल नहीं होगी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाने में जुटे पाकिस्तान ने एक बार फिर मुंह की खाई है। संयुक्त राष्ट्र ने कश्मीर कश्मीर मामले में दखल देने की पाकिस्तान की मांग को ठुकरा दिया है। संयुक्त राष्ट्र ने भारत और पाकिस्तान को मिलकर इस मसले को सुलझाने को कहा है। भारत ने भी पाकिस्तान पर प्रहार करते हुए कहा है कि असल मुद्दों से दुनिया का ध्यान बंटाने की इस तरह की हरकत सफल नहीं होगी। कश्मीर पर गंभीरता से बातचीत की नसीहत देते हुए विदेश मंत्रालय ने सख्त संदेश में यह भी जता किया कि कश्मीर का फैसला भारत ही करेगा दुनिया नहीं।
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने मंगलवार को कहा कि यूएन महासचिव को चिट्ठी लिखना पाकिस्तान का पुराना शगल है। पहले भी यह काम नहीं किया और अब भी नहीं करेगा। पिछले हफ्ते के आखिर में पाकिस्तान ने भारत पर संघर्ष विराम तोड़ने का आरोप लगाते हुए यूएन को एक चिट्ठी भेजी थी। इसमें कहा गया था कि भारत लगातार एलओसी पर फायरिंग कर रहा है। इसके साथ ही लंबे समय से लटके पड़े कश्मीर मामले को सुलझाने के लिए यूएन से पहल करने की मांग की गई थी।
यूएन ने पाकिस्तान के इस पत्र पर जवाब देते हुए कश्मीर मामले में दखल देने से इन्कार कर दिया है। पाकिस्तान का प्रस्ताव ठुकराते हुए यूएन ने कहा कि इस मसले को भारत और पाकिस्तान दोनों को सुलझाना होगा।
भारत ने कहा, पाक से वार्ता सिर्फ शांतिपूर्ण माहौल में:
संयुक्त राष्ट्र। भारत ने कहा है कि पाकिस्तान के साथ सिर्फ शांतिपूर्ण माहौल में ही द्विपक्षीय वार्ता हो सकती है, आतंक के साए में नहीं। संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक चर्चा के दौरान पाकिस्तानी राजनयिक द्वारा कश्मीर का मुद्दा उठाए जाने पर भारतीय मिशन के सचिव अभिषेक सिंह ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि यह अफसोस की बात है कि पाकिस्तान जम्मू और कश्मीर का हवाला दे रहा है जो भारत का अभिन्न अंग है।
भारत और पाकिस्तान के बीच शांति और सहयोग की राह इस्लामाबाद से लाहौर होते हुए दिल्ली को आती है। अगर आप रास्ते को न्यूयार्क या कहीं और मोड़ेंगे तो इससे कुछ नहीं हासिल होगा। यह सिर्फ भटकाने की रणनीति होगी।
-सैयद अकबरुद्दीन, भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता
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