सर्जिकल स्ट्राइक के सुबूत मांगना गैरकानूनी और खतरनाक: उज्ज्वल निकम
पद्मश्री निकम मुंबई में हुए कई आतंकी हमलों के मुकदमे में विशेष सरकारी वकील रहे हैं और आरोपियों को फांसी की सजा दिलवा चुके हैं।
जेएनएन, मुंबई : वरिष्ठ वकील उज्ज्वल निकम का मानना है कि भारतीय सैनिकों द्वारा गुलाम कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर की गई सर्जिकल स्ट्राइक के सुबूत मांगना न सिर्फ गैरकानूनी बल्कि सेना के लिए खतरनाक भी हो सकता है। पद्मश्री निकम मुंबई में हुए कई आतंकी हमलों के मुकदमे में विशेष सरकारी वकील रहे हैं और आरोपियों को फांसी की सजा दिलवा चुके हैं।
निकम ने कहा, आतंकी ठिकानों पर भारतीय जवानों की कार्रवाई से जुड़ी तस्वीरें और वीडियो सार्वजनिक करना भविष्य में सेना व देश की सुरक्षा के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इससे दुश्मन देश को हमारे हमले की काट ढूंढकर हम पर हमला करने का मौका मिल सकता है। निकम ने सवाल किया कि जो लोग सर्जिकल स्ट्राइक के सुबूत सार्वजनिक करने की मांग कर पाकिस्तानी मीडिया में सुर्खियां बटोर रहे हैं, क्या उन्हें इसके गंभीर परिणामों का भी अहसास है?
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निकम मुंबई आतंकी हमले (26/11) के मुकदमे की सुनवाई का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि उस समय भी आतंकियों और सुरक्षा बलों के बीच हुई मुठभेड़ के सुबूत सार्वजनिक करने की बात आई थी। विशेष अदालत जानना चाहती थी कि एनएसजी के कमांडो ने किस प्रकार पाकिस्तान से आए आतंकियों का मुकाबला किया था?अदालत चाहती थी कि मैं होटल ताज, ट्राइडेंट और नरीमन हाउस जैसी जगहों पर आतंकियों का मुकाबला करने वाले एनएसजी कमांडो को गवाह के रूप में बुलाकर उनसे पूछूं कि उन्होंने किस प्रकार आतंकियों से लोहा लिया। लेकिन मैंने ऐसा करने से मना कर दिया था। हाई कोर्ट ने भी फैसला दिया था कि आतंकियों से लड़ने में सुरक्षा बलों द्वारा अपनाई गई रणनीति उजागर करना जनहित के विरुद्ध होगा। इसलिए आज सर्जिकल स्ट्राइक के सुबूत मांगना न सिर्फ हास्यास्पद है बल्कि ऐसा करना दुश्मन देश के लिए मददगार भी साबित हो सकता है।
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