चुनाव बाद हो सकता है उद्धव-राज का भरत मिलाप
करीब सात वर्ष से एक-दूसरे को नीचा दिखाने में लगे चचेरे भाई उद्धव और राज ठाकरे भाजपा-सेना गठबंधन टूटने के बाद करीब आते दिख रहे हैं। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद सत्ता के लिए दोनों और करीब आ सकते हैं। विधानसभा चुनाव के लिए अपनी पहली प्रचार सभा में बोलते हुए रविवार को राज ठाकरे ने भा
मुंबई [ओमकाश तिवारी]। करीब सात वर्ष से एक-दूसरे को नीचा दिखाने में लगे चचेरे भाई उद्धव और राज ठाकरे भाजपा-सेना गठबंधन टूटने के बाद करीब आते दिख रहे हैं। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद सत्ता के लिए दोनों और करीब आ सकते हैं।
विधानसभा चुनाव के लिए अपनी पहली प्रचार सभा में बोलते हुए रविवार को राज ठाकरे ने भाजपा को जमकर निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि भाजपा अविश्वसनीय पार्टी है। वह राजनीति की दीमक है। जो एक कोने से खोखला करती है। राज ने हालांकि शिवसेना पर भी उन्होंने यह कहते हुए प्रहार किया कि जब गठबंधन तोड़ ही दिया है तो केंद्रमें सत्ता में क्यों बने हैं।
अपने ताऊ बाल ठाकरे को याद करते हुए राज ने कहा कि यदि वह जिंदा होते तो शिवसेना का अपमान करनेवाली भाजपा को लात मारकर दूर कर देते। माना जा रहा है कि चचेरे छोटे भाई से नसीहत मिलने के बाद ही उद्धव ठाकरे ने केंद्रसरकार में शामिल शिवसेना के एकमात्र मंत्री अनंत गीते से इस्तीफा दिलवाने का फैसलाकिया है। गीते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेश से वापस लौटते ही अपनी इस्तीफा उन्हें सौंप देंगे।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा का शिवसेना से दूर होना दोनों भाइयों को और करीब ला सकता है। खासतौर से सत्ता की चाह में विधानसभा चुनाव के बाद दोनों एक-दूसरे से हाथ मिला सकते हैं। भाजपा से गठबंधन टूटने के बाद शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे को फोन करके उनकी तबीयत का हालचाल पूछा था। उसके बाद से ही एक-दूसरे के प्रति दोनों दलों के नेताओं के सुर बदल गए हैं। भाजपा से अलग होने के बाद कई स्थानीय निकायों में सत्ता में बने रहने के लिए शिवसेना को मनसे की मदद लेने की जरूरत पड़ सकती है। इसी प्रकार पंचकोणीय संघर्ष वाले विधानसभा चुनाव के बाद भी शिवसेना को सत्ता के लिए मनसे की जरूरत पड़ सकती है। इसलिए दोनों परिवारों के करीब रहे लोगों ने उद्धव और राज को और नजदीक लाने की कोशिशें अभी से शुरू कर दी हैं।
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