कैब कंपनियों के दबाव में झुकी सरकार, उबर को अब मिलेगा लाइसेंस!
दुष्कर्म मामले में बदनाम हुई एप आधारित अमेरिकन कैब सेवा प्रदाता कंपनी उबर सहित इस तरह की अन्य तमाम कंपनियों को दिल्ली सरकार का परिवहन विभाग परिचालन का ...और पढ़ें

नई दिल्ली, [संतोष कुमार सिंह]। दुष्कर्म मामले में बदनाम हुई एप आधारित अमेरिकन कैब सेवा प्रदाता कंपनी उबर सहित इस तरह की अन्य तमाम कंपनियों को दिल्ली सरकार का परिवहन विभाग परिचालन का लाइसेंस प्रदान करेगा। इनका बाकायदा पंजीकरण किया जाएगा और दूसरी अन्य कैब सेवाओं की तरह इनको भी अपनी सेवा देने की इजाजत होगी। हालांकि, इन्हें यह अधिकार हासिल करने के लिए परिवहन विभाग द्वारा तैयार किए जा रहे कड़े दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा।
उपराज्यपाल नजीब जंग की अध्यक्षता में बृहस्पतिवार को हुई एक विशेष बैठक में यह तय किया गया कि एप व वेब आधारित कैब सेवाओं के लिए दिशा-निर्देश बनाकर इनका भी पंजीकरण किया जाए। जिससे कि इनकी टैक्सियों का परिचालन दिल्ली में हो सके। दिलचस्प यह है कि महज दो दिन पहले ही सरकार ने उबर के खिलाफ न सिर्फ मुकदमा दर्ज कराया था बल्कि दिल्ली में एप व वेब आधारित सभी कैब कंपनियों की टैक्सियों के चलने पर रोक भी लगा दी थी। समझा जा रहा है कि निजी कंपनियों के दबाव में सरकार यह कदम उठाने जा रही है।
मोबाइल एप्लीकेशन के जरिए कारोबार करने वाली कंपनियां अपनी टैक्सी रखने के बजाए ऐसे लोगों को जोड़ती हैं जिनके पास अपनी टैक्सी हो। स्मार्ट फोन के जरिए उन्हें निर्देश दिए जाते हैं। यात्री इन कंपनियों के एप पर जाकर कैब बुक करते हैं और कंपनी के कॉल सेंटर से इसकी सूचना कैब चालक को दी जाती है, जिससे कि वह यात्री तक पहुंच सके। इस तरह से कंपनियां कैब चालक व यात्री के बीच बिचौलिये की भूमिका निभाती हैं।
इस तरह की कंपनियों के लिए देशभर में कहीं भी दिशा-निर्देश नहीं हैं। इसलिए इन्हें अपना कारोबार करने के लिए परिवहन विभाग से किसी तरह का लाइसेंस हासिल नहीं करना पड़ता है। इससे इन पर सरकार की किसी तरह की निगरानी नहीं होती है। उबर के जिस कैब में युवती के साथ दुष्कर्म किया गया था उसका ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट था। लेकिन उसे लोकल टैक्सी की तरह चलाया जा रहा था। कैब में ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम (जीपीएस) भी नहीं लगा हुआ था।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली सरकार ने वर्ष 2006 में रेडियो टैक्सी योजना शुरू की थी। इसी तरह से वर्ष 2010 में इकॉनमी रेडियो टैक्सी योजना की शुरुआत की गई थी। इनके लिए दिशा-निर्देश भी बनाए गए हैं। जिसके तहत ईजी कैब, मेगा कैब, मेरू कैब, चैनसन कैब, यो कैब तथा एयर कैब की लगभग 5100 टैक्सियां चल रही हैं। टैक्सी कंपनी के पंजीकरण के लिए उसके बेड़े में कम से कम 500 टैक्सी तथा पार्किंग स्थल जरूरी है। सभी टैक्सी में जीपीएस होना भी अनिवार्य है। रेडियो टैक्सी ऑपरेटर के कॉल सेंटर पर यात्री अपनी शिकायत दर्ज करा सके इसकी व्यवस्था भी होनी चाहिए। लेकिन एप आधारित अधिकांश कंपनियों में इस तरह की सुविधा नहीं है। यात्रियों को अपनी शिकायत ऑनलाइन दर्ज करानी पड़ती है।
अपने चालकों का वेरिफिकेशन करेगी उबर
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। कैब चालक द्वारा युवती से दुष्कर्म की शर्मनाक घटना सामने आने के बाद दिल्ली पुलिस ने उबर कंपनी के पदाधिकारियों से पूछताछ की। कैब पदाधिकारियों से पूछताछ के एक दिन बाद उबर कंपनी ने अपने बेवसाइट पर बयान जारी किया है। जिसमें कहा गया है कि कंपनी कुछ महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। इस दौरान शहर में कैब परिचालन पूर्णतया बंद रहेगा। कंपनी ने अपने ग्राहकों को मेल भेज उन्हें क्रेडिट बैलेंस चुकाने के लिए कहा है।
अपने बयान में कंपनी ने कहा है कि दिल्ली में परिचालन में कुछ चूक हुई है। कंपनी बेहतर करेगी। कंपनी ऑडिट एवं चालकों का वेरिफिकेशन करेगी, ग्राहकों एवं सहयोगियों का फीडबैक लेगी, सभी चालकों का अच्छी तरह सत्यापन कराएगी।
गौरतलब है कि दुष्कर्म मामले की जांच में सहयोग के दौरान दिल्ली पुलिस से एशिया रीजन के हेड एरिक एलेक्जेंडर ने वायदा किया था कि वो सभी सवालों के जवाब देंगे। पुलिस ने कंपनी से आरोपी शिव कुमार यादव द्वारा प्रयोग की जा रही कैब का जीपीएस डाटा भी मांगा है। कंपनी ने अपने बयान में कहा कि दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा प्राथमिकता रही है। महिलाओं की यात्रा सुरक्षित बनाने के लिए वह एडवांस टेक्नोलाजी का प्रयोग करेगी।

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