'इराक में अगवा भारतीयों के बारे में पुख्ता जानकारी नहीं'
इराक में आइएस आतंकियों द्वारा अगवा किए गए भारतीयों की हत्या कर दिए जाने की रिपोर्ट पर आज संसद भी जमकर हंगामा और बहसबाजी हुई। विपक्षी सांसदों ने इसपर गंभीर चिंता जताते हुए सरकार से जवाब देने की मांग की।
नई दिल्ली / जालंधर। इराक में आइएस आतंकियों द्वारा अगवा किए गए भारतीयों की हत्या कर दिए जाने की रिपोर्ट पर आज संसद में जमकर हंगामा और बहसबाजी हुई। विपक्षी सांसदों ने इसपर गंभीर चिंता जताते हुए सरकार से जवाब देने की मांग की। इस पर विदेश मंत्री ने संसद में साफतौर पर कहा कि लापता भारतीय जिंदा हैं या नहीं, दोनों ही बारे में कोई ठोस सबूत नहीं है।
कांग्रेस ने सरकार पर हमला करते हुए कहा कि राजग सरकार को इस बारे में जानकारी देनी चाहिए। क्या सरकार अंधकार में थी। सपा के रामगोपाल वर्मा ने सरकार पर हमला करते हुए कहा कि सरकार बताए अगवा भारतीय जीवित हैं या नहीं। बसपा की मायावती ने कहा कि यह एक गंभीर मसला है। सरकार इसे गंभीरता से ले।
इसका जवाब देते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि छह सूत्रों से इस बात के संकेत हैं कि वे अभी मारे नहीं गए हैं। उन्होंने कहा कि बांग्लादेशी नागरिकों के बयान पर इस बात की पुष्टि नहीं की जा सकती है कि अगवा भारतीय मार दए गए हैं। इससे पहले सुषमा स्वराज ने संसद सदस्यों से अपील की कि वे लापता भारतीयों के बारे में मृतक शब्द इस्तेमाल न करें बल्कि कथित मृतक कहें।
गौरतलब है कि एक टीवी न्यूज चैनल पर गुरुवार शाम इराक में बंधक बनाए गए पंजाबियों को आतंकियों द्वारा मार दिए जाने की खबर चलाए जाने के बाद उनके परिजनों का बुरा हाल है। हालांकि इसके बारे में कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है, लेकिन इस खबर ने बंधकों के परिवारों की चिंता बढ़ा दी है। इस बीच शुक्रवार को संसद में मामला गूंजा।
परिजनों के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। परिजनों ने भारत सरकार से अगवा पंजाबियों के बारे में सही जानकारी देने की मांग की है। अपहृतों में से एक की बहन ने गुरुवार को ही दावा किया था कि उसकी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से बात हुई है और वे आज संसद में इस बारे में बयान दे सकती हैं।
इराक में बंधक 39 भारतीयों में ज्यादातर पंजाब के हैं। अगवा नौजवानों की अपने परिजनों से जून के मध्य में अंतिम बार बात हुई थी। तब से परिजन दिल्ली में विदेश मंत्रालय का चक्कर भी कई बार लगा चुके हैं। उनका कहना है कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने उन्हें आश्वासन दिया था, लेकिन अब उनकी नींद हराम हो गई है। नौजवानों के बंधक बनाए जाने के कुछ दिनों बाद खबर आई थी कि इन बंधकों में से एक गुरदासपुर के गांव काला अफगाना निवासी हरजीत मसीह आतंकियों के चंगुल से फरार हो गया था। उसकी ओर से खबर दी गई थी कि अगवा पंजाबियों को आतंकियों ने मार दिया है, लेकिन बाद में कुछ पता नहीं चला।
इराक में बंधकों की पकड़ से बचकर भागे हरजीत की मां शिंदर मसीह ने बताया है कि दस दिन पूर्व हरजीत की बात चचेरे भाई रोबिन मसीह के साथ हुई है। इस बातचीत में हरजीत ने बताया था कि वह एंबेसी में सुरक्षित है। एंबेसी के अधिकारियों ने उसे भरोसा दिया है कि दस दिसंबर तक उसे भारत भेज दिया जाएगा।
दूसरी तरफ इराक में अगवा कपूरथला के गांव मुरार निवासी भुबिंदर सिंह राणा के भाई दविंदर का कहना है कि हरजीत तो शुरू से ही कह रहा था कि सभी अगवा भारतीयों को आतंकियों ने मौत के घाट उतार दिया था लेकिन भारत सरकार के भरोसे पर उनकी दुनिया आबाद है।
गौरतलब है कि चैनल ने 39 भारतीयों की हत्या की आशंका जताई है। यह दावा दो बांग्लादेशी नागरिकों शफी और हसन के इंटरव्यू पर आधारित है, जिनसे कुर्दिस्तान की राजधानी इरबिल में चैनल ने बातचीत की। शफी और हसन के मुताबिक, आईएसआईएस के चंगुल से बचकर निकले भारतीय वर्कर हरजीत ने उन्हें बताया कि उसने अपने साथियों की हत्या होते देखी। शफी ने बताया कि वे मोसुल से बगदाद की यात्रा पर थे, जब आईएसआईएस के आतंकियों ने उन्हें अगवा कर लिया। अगवा लोगों में 51 बांग्लादेशी और 40 भारतीय शामिल थे।
हरजीत ने शफी को 15 जून को बताया कि आईएसआईएस के आतंकी सभी 40 भारतीयों को अपने साथ पहाड़ी इलाकों में ले गए, जहां सभी को गोली मार दी गई। हरजीत को भी दो गोलियां लगीं, लेकिन उसने मरने का नाटक किया। हरजीत से भारतीय खुफिया एजेंसियां पूछताछ करती रही हैं, लेकिन उन्हें उसके दावे पर कम ही भरोसा है।
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