Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    चलती फिरती बम मशीन है टुंडा

    By Edited By:
    Updated: Sun, 18 Aug 2013 05:40 AM (IST)

    अब्दुल करीम उर्फ टुंडा चलती फिरती बम बनाने की मशीन है। उसकी तकनीक का लोहा लश्कर ए तैयबा ही नहीं, सुरक्षा एजेंसियां भी मानती हैं। एक पुलिस अधिकारी के अ ...और पढ़ें

    Hero Image

    नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। अब्दुल करीम उर्फ टुंडा चलती फिरती बम बनाने की मशीन है। उसकी तकनीक का लोहा लश्कर ए तैयबा ही नहीं, सुरक्षा एजेंसियां भी मानती हैं। एक पुलिस अधिकारी के अनुसार, स्थानीय बाजार में उपलब्ध जिलेटिन छड़, अमोनियम नाइट्रेट, यूरिया, पोटेशियम क्लोराइड, साइकिल के छर्रे और चीनी की मदद से बनाए गए उसके बम के फेल होने की संभावना बहुत कम होती थी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पढ़ें: हाथ आया लश्कर का टुंडा

    कैप्सूल बम बनाने में भी उसे महारत हासिल है। पिछले साल टुंडा द्वारा प्रशिक्षित किए गए एक लश्कर आतंकी के कब्जे से पुलिस ने 2000 खाली कैप्सूल, डेटोनेटर व सल्फ्यूरिक एसिड पकड़ा था। अधिकारियों के अनुसार सीमा से आरडीएक्स की तस्करी बंद हो जाने के बाद वर्ष 2000 के बाद टुंडा की मांग आतंकी संगठनों में बढ़ गई थी। वह देसी तकनीक से बम बनाना सिखाता था। दिल्ली में 2008 में हुआ महरौली ब्लास्ट, 2010 का जामा मस्जिद ब्लास्ट और दिल्ली हाई कोर्ट बम धमाके बिल्कुल वैसे ही थे, जैसे टुंडा 1990 के दशक में करता था।

    लश्कर का मददगार

    पाकिस्तान में वर्ष 1990 में अस्तित्व में आया आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा भारत में टुंडा की अंगुली पकड़कर ही दाखिल हुआ था। 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाए जाने के बाद भारतीय मुस्लिम संगठनों के बीच लश्कर की घुसपैठ टुंडा और मुंबई के डॉक्टर जलीस अंसारी ने 'तंजीम इस्लाह उल मुस्लिमीन' नामक संगठन बनाकर की थी। इसके बाद पूरे देश में लश्कर ए तैयबा का नेटवर्क फैल गया।

    बोधगया धमाकों का खुलासा संभव

    टुंडा की गिरफ्तारी बोधगया श्रृंखलाबद्ध विस्फोट मामले की जांच को नई दिशा दे सकती है। दिल्ली पुलिस की पूछताछ में सामने आया है कि टुंडा के रोहिंग्या मुस्लिम कट्टरपंथियों से करीब रिश्ते रहे हैं। स्पेशल सेल के विशेष आयुक्त एसएन श्रीवास्तव का कहना है कि टुंडा से बोधगया मामले में पूछताछ की जाएगी। पता चला है कि वह बांग्लादेश तथा म्यांमार जाकर समय समय पर बौद्धों के खिलाफ रणनीति बनाने को लेकर रोहिंग्या मुस्लिम नेताओं से मिलता रहा है। हाफिज सईद के बेहद करीब रहने के कारण उसे देश में होने वाली तमाम आतंकी घटनाओं की सूचना हो सकती है। इसलिए किसी भी पहलू को नजरंदाज नहीं किया जा सकता। उल्लेखनीय है कि 7 जुलाई को बोधगया में हुए श्रृंखलाबद्ध बम धमाकों में दो बौद्ध भिक्षुओं समेत छह लोग घायल हो गए थे।

    हरियाणा को भी दहलाया

    पानीपत। अब्दुल करीम टुंडा हरियाणा को भी तीन बार दहला चुका है। सोनीपत और पानीपत में हुए धमाकों में पुलिस को उसकी तलाश थी। अब उसे प्रोडक्शन वारंट पर लाने के लिए तैयारी शुरू कर दी गई है। टुंडा ने 28 दिसंबर, 1996 को शाम के समय सोनीपत में दो बम धमाके किए थे। इसमें करीब डेढ़ दर्जन लोग घायल हुए थे। एक महीने बाद ही 1 फरवरी, 1997 में पानीपत बस अड्डे पर बम धमाका हुआ, जिसमें एक बच्चे की मौत हो गई जबकि 12 लोग घायल हो गए।

    मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर