एक नजर में पढ़ें अब तक बड़े रेल हादसे
नई दिल्ली। बिहार के खगड़िया जिले के समस्तीपुर डिविजन के भमारा रेलवे स्टेशन के पास सोमवार की सुबह राज्यरानी एक्सप्रेस से कटकर 40 कांवड़ियों की मौत हो गई। सूत्रों ने बताया कि रेलवे ट्रैक पार करते समय तीर्थयात्री ट्रेन की चपेट में आ गए। मेडिकल वैन को घटनास्थल पर भेजा गया है। दुर्घटना के बाद रेल सेवा पूरी तरह रद्द कर दी गई है।
नई दिल्ली। बिहार के खगड़िया जिले के समस्तीपुर डिविजन के भमारा रेलवे स्टेशन के पास सोमवार की सुबह राज्यरानी एक्सप्रेस से कटकर 40 कांवड़ियों की मौत हो गई। सूत्रों ने बताया कि रेलवे ट्रैक पार करते समय तीर्थयात्री ट्रेन की चपेट में आ गए। मेडिकल वैन को घटनास्थल पर भेजा गया है। दुर्घटना के बाद रेल सेवा पूरी तरह रद्द कर दी गई है।
देश में सबसे भीषण रेल हादसा 1981 में हुआ था जब एक ट्रेन पुल से नदी में गिर गई थी। इस हादसे में करीब 800 लोग मारे गए थे। हर छह या सात महीने में होने वाले ये हादसे एशिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्क की खोखली परतें खोल देते हैं। साल 2000 से अब तक हुए बड़े रेल हादसों पर एक नजर:
3 दिसंबर 2000: पंजाब में सराय बंजारा और साधुगढ़ के बीच हावड़ा-अमृतसर मेल पटरी से उतरी मालगाड़ी पर चढ़ गई। इस हादसे में 46 लोगों की मौत हो गई थी और 130 से अधिक लोग घायल हो गए थे।
22 जून 2001: केरल में कोझिकोड के निकट मंगलोर-चेन्नई मेल कडालुंदी नदी में गिर गई थी। इस हादसे में 40 लोग मारे गए थे।
12 मई 2002: नई दिल्ली से पटना जा रही श्रमजीवी एक्सप्रेस उत्तर प्रदेश के जौनपुर में पटरी से उतर गई थी जिसमें 12 लोगों की मौत हुई थी।
4 जून 2002: कासगंज एक्सप्रेस उत्तर प्रदेश में एक रेलवे क्त्रॉसिंग पर एक बस से टकरा गई थी जिसमें 34 लोगों की मौत हो गई थी।
10 सितंबर 2002: कोलकाता से नई दिल्ली आ रही राजधानी एक्सप्रेस बिहार में एक पुल पर पटरी से उतर गई थी जिसमें 120 लोग मारे गए थे।
3 जून 2003: दक्षिण-मध्य महाराष्ट्र में एक एक्सप्रेस गाड़ी के तीन डिब्बे पटरी से उतर गए थे जिसमें 18 लोगों की मौत हो गई थी।
15 मई 2003: पंजाब में एक तेज रफ्तार पैसेंजर रेलगाड़ी में स्टोव के फटने से आग लग गई थी जिसमें 40 लोगों की मौत हुई थी और 50 से अधिक घायल हो गए थे।
22 जून 2003: पहला बड़ा रेल हादसा महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले में कोंकण रेलखंड के वैभववाड़ी स्टेशन के निकट हुआ था। इसमें करवार-मुम्बई सेंट्रल होलीडे स्पेशल गाड़ी के तीन डिब्बे इंजन सहित पटरी से उतर गए थे। इस हादसे में तीन बच्चों सहित 53 लोगों की मौत हो गई थी और 25 घायल हो गए थे।
2 जुलाई 2003: आंध्र प्रदेश में एक रेलगाड़ी के दो डिब्बे इंजन सहित एक पुल के नीचे से गुजर रहे वाहनों पर गिर गए थे। इस हादसे में वाहन सवारों सहित कम से कम 22 यात्रियों की मौत हो गई थी।
16 जून 2004: मुम्बई जा रही मत्स्यगंधा एक्सप्रेस महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में एक पुल पार करते समय पटरी से उतर गई थी। इस हादसे में 20 लोग मारे गए थे और 60 से अधिक घायल हो गए थे।
28 मई 2010: पश्चिम बंगाल में रेल पटरियों में तोड़फोड़ के कारण ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस के 13 डिब्बे पटरियों से उतर गए थे और उनमें एक मालगाड़ी ने टक्कर मार दी थी। इस हादसे में 148 लोगों की मौत हुई थी।
19 जुलाई 2010: सियालदह जा रही उत्तरबंगा एक्सप्रेस पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में सैंथिया स्टेशन पर वनांचल एक्सप्रेस से टकरा गई थी जिसमें कम से कम 60 लोग मारे गए थे।
22 मई 2011: बिहार के मधुबनी जिले में एक मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग पर एक पैसेंजर ट्रेन एक वाहन से टकरा गई थी। इस हादसे में वाहन में सवार 16 लोगों की मौत हो गई थी।
7 जुलाई 2011: उत्तर प्रदेश में एक मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग पर 80 यात्रियों को लेकर जा रही एक बस के रेलगाड़ी से टकरा जाने पर कम से कम 31 लोगों की मौत हो गई थी।
22 नवंबर 2011: झारखंड के गिरिडीह में हावड़ा-देहरादून एक्सप्रेस में आग लग जाने से सात लोग जिंदा जल गए थे।
11 जनवरी 2012: दिल्ली जा रही ब्रह्मपुत्र मेल और एक मालगाड़ी के बीच टक्कर में पांच लोगों की मौत हो गई थी।
22 मई 2012: बेंगलूर जा रही हम्पी एक्सप्रेस आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में एक मालगाड़ी से टकरा गई थी। इस हादसे में कम से कम 25 लोग मारे गए थे।
31 मई 2012: हावड़ा से देहरादून जा रही दून एक्सप्रेस उत्तर प्रदेश में जौनपुर के निकट पटरी से उतर गई थी। इस हादसे में कम से कम सात लोगों की मौत हो गई थी।
30 जुलाई 2012: दिल्ली से चेन्नई जा रही तमिलनाडु एक्सप्रेस की एक बोगी में आंध्र प्रदेश के नेल्लोर के समीप आग लग जाने से कम से कम 35 यात्री जिंदा जल गए।
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