जानिए, बादल फटने की दस बड़ी घटनाएं
अगस्त 1998 में कुमाऊं जिले के काली घाटी में बादल फटने से लगभग 250 लोग मारे गए। इनमें कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने वाले 60 लोग भी शामिल थे। इस घटना में प्रसिद्ध उड़िया डांसर प्रोतिम बेदी भी थी, जो कैलाश मानसरोवर जा रही थी। लेकिन बाढ़ और भूस्खलन की
नई दिल्ली। बादल फटने से हर साल भारी तबाही मचती है और जान-माल की क्षति होती है। आईए जानते हैं बादल फटने की दस बड़ी घटनाएं-
1. अगस्त 1998- कुमाऊं जिले के काली घाटी में बादल फटने से लगभग 250 लोग मारे गए। इनमें कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने वाले 60 लोग भी शामिल थे। इस घटना में प्रसिद्ध उड़िया डांसर प्रोतिम बेदी भी थी, जो कैलाश मानसरोवर जा रही थी। लेकिन बाढ़ और भूस्खलन की चपेट में आने से उनकी मौत हो गई।
2. जुलाई 2005- मुंबई में हुई बादल फटने की घटना में 50 से भी ज्यादा लोग मारे गए थे। इस दौरान मुंबई में 950 मिमी बारिश दर्ज की गई और अगल दस-बारह घंटों के लिए पूरा शहर थम सा गया था।
3. जुलाई 2005- हिमाचल प्रदेश के घानवी में बादल फटने की घटने की घटना हुई जिसमें करीब 10 लोग मारे गए।
4. अगस्त 2010- जम्मू-कश्मीर के लेह में बादल फटने से 1000 से ज्यादा लोग मारे गए और 400 से अधिक घायल हुए। इस घटना में लद्दाख क्षेत्र के कई गांव उजड़ गए और 9000 से ज्यादा लोग प्रभावित हुए।
5. जून 2011- जम्मू के पास डोडा-बटोटे हाइवे के पास बादल फटने की घटना हुई। इसमें 4 लोग मारे गए और दर्जनों लोग घायल हो गए।
6. जुलाई 2011- मनाली शहर से 18 किलोमीटर दूर उपरी मनाली क्षेत्र में बादल फटने की घटना हुई जिसमें 2 लोग मारे गए और 22 लोग लापता हो गए।
7. सितम्बर 2012- उत्तराखंड के उत्तरकाशी में बादल फटने की घटना हुई जिसमें 45 लोग मारे गए और 15 लोग घायल हो गए। बादल फटने के बाद एकाएक आई बाढ़ में 40 लोग गुम हो गए जिनमें से केवल 22 लोगों के शव मिले और बाकी का कोई अता-पता नहीं चला।
8. जून 2013- उत्तराखंड के केदारनाथ में बादल फटने से 150 से ज्यादा लोग मारे गए और हजारों लोगों को अभी तक कोई पता नहीं चल पाया है। मरने वालों में से ज्यादातर तीर्थयात्री थे।
9. जुलाई 2014- उत्तराखंड के टिहरी जिले में बादल फटने की घटना हुई जिसमें 4 लोग मारे गए।
10. सितम्बर 2014- कश्मीर घाटी में बादल फटने से भारी तबाही मची जिसमें 200 लोग मारे गए। भारी वर्षा के कारण 1,84,000 लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया गया।
क्या होता है बादल फटना
जब बादल बड़ी मात्रा में पानी के साथ आसमान में चलते हैं और उनकी राह में कोई बाधा आ जाती है, तब वे अचानक फट पड़ते हैं। इससे एक सीमित जगह पर कई लाख लीटर पानी एकाएक जमीन पर गिर पड़ता है, जिसके कारण उस क्षेत्र में तेज बहाव वाली बाढ़ आ जाती है। बादल फटने के दौरान लगभग 100 मिलीमीटर प्रति घंटा की दर से बारिश होती है। कुछ ही मिनट में 2 सेंटीमीटर से अधिक वर्षा हो जाती है, जिस कारण भारी तबाही होती है। सामान्य बारिश के दौरान पानी धीरे-धीरे बरसता है, जो ड्रेनेज सिस्टम से निकलता रहता है और धरती भी उसे धीरे-धीरे सोखती जाती है। लेकिन बादल फटने से पानी इतनी ज्यादा मात्रा में गिर पड़ता है कि वह तेजी से निचले इलाकों की ओर बहने लगता है। जब पानी को निकलने की जगह नहीं मिलती तो वहां बाढ़ आ जाती है। कई बार एक तो पानी का वेग बहुत तेज होता है, दूसरे इतने ही वेग से कभी-कभी ओले भी गिरने लगते हैं। ऐसा होने पर बाढ़ के साथ ही भारी तबाही मचती है।
क्यों फटते हैं बादल
मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक हमारे देश में हर साल मॉनसून के समय पानी से भरे हुए बादल उत्तर की ओर बढ़ते हैं, जिनके लिए हिमालय पर्वत एक बड़े अवरोधक के रूप में आता है। इसीलिए बादल फटने की ज्यादातर घटनाएं हिमालय क्षेत्र में ही होती है। बादल जरा सी भी गर्मी बर्दाश्त नहीं कर पाते। यदि गर्म हवा का झोंका उन्हें छू जाए, तो उनके फट पड़ने की आशंका बन जाती है। इसलिए दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में भी कई बार बादल फटने की घटनाएं देखी गई है।