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इस बार अलग दिख सकता है संसदीय सत्र

दो सत्र से अटका जीएसटी विधेयक शीतकालीन सत्र में पारित हो सकता है। सरकार जहां नरम पड़ते हुए कांग्रेस के संशोधनों को शामिल करने तक का संकेत दे चुकी है। वहीं विपक्ष भी आर्थिक सुधार के इस मुद्दे पर और अड़ना नहीं चाहता है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2015 07:53 PM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2015 08:29 PM (IST)
इस बार अलग दिख सकता है संसदीय सत्र

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दो सत्र से अटका जीएसटी विधेयक शीतकालीन सत्र में पारित हो सकता है। सरकार जहां नरम पड़ते हुए कांग्रेस के संशोधनों को शामिल करने तक का संकेत दे चुकी है। वहीं विपक्ष भी आर्थिक सुधार के इस मुद्दे पर और अड़ना नहीं चाहता है।

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खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जीएसटी को पारित कराने की अपील करते हुए सर्वदलीय बैठक में कहा कि वित्तमंत्री विभिन्न दलों से बात कर उनकी आशंकाएं दूर करेंगे। हालांकि विपक्षी दलों के रुख से भी साफ है कि वह पहले अपनी कुछ शर्ते पूरी कर ही सरकार की मदद के लिए आगे बढ़ेगा।

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शीतकालीन सत्र सरकार के लिए बहुत अहम है। लिहाजा सर्वदलीय बैठक के अलावा भी राजग और फिर संसदीय दल कार्यकारिणी की बैठक कर भाजपा ने अपनी रणनीति तय की। सूत्रो के अनुसार हर स्तर पर यह आम राय बनी कि आरोपों का माकूल जवाब तो दिया जाए लेकिन विपक्षी दलों को साधने में कोई कसर भी न छोड़ी न जाए। अपनी तरफ से उनसे संपर्क साधा जाए और जहां तक संभव हो उनकी इच्छाओं को समाहित किया जाए। थोड़ी परेशानी यहीं हो सकती है क्योंकि विपक्ष सबसे पहले असहिष्णुता, दादरी जैसे मुद्दों पर चर्चा के लिए दबाव बनाएगा। विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार से इस आश्वासन की भी मांग कर सकता है कि ऐसी घटनाएं दोबारा नहीं होंगी। जबकि संघीय ढांचे में केंद्र सरकार के लिए राज्य सरकार की कानून व्यवस्था पर आश्वासन देना मुश्किल होगा।

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सुबह ही सर्वदलीय बैठक में इसकी झलक दिखी। कुछ देर के लिए पहुंचे प्रधानमंत्री ने सभी से अपील से की संसद की कार्यवाही चलाने में मदद करें और जीएसटी जैसे महत्वपूर्ण विधेयक को पारित करें। उन्होंने कहा- 'अरुण जेटली जी सभी से बात कर आशंकाएं दूर करेंगे।' खुद जेटली पहले ही कह चुके हैं कि वह हर मुद्दे पर बातचीत को तैयार हैं। संभवत: संशोधन भी मान लिए जाएंगे।

सूत्रों की मानी जाए तो जदयू ने जीएसटी के लिए समर्थन जता दिया है। कांग्रेस अपने संशोधनों पर अड़ी है। जबकि माकपा चाहती है कि राज्यों से भी बात की जाए। बहरहाल, सूत्रों का मानना है कि इस बार जीएसटी को पारित होने की राह तैयार हो गई है। ध्यान रहे कि 1 अप्रैल 2016 से इसे लागू करने के लिए इस सत्र में जल्द से जल्द विधेयक पारित होना चाहिए क्योंकि इसके बाद राज्यों की विधानसभाओं से भी इसका अनुमोदन होना है।

बताते हैं कि विधेयकों को पार लगाने से पहले असहिष्णुता के मुद्दे पर चर्चा होगी। कांग्रेस और माकपा की ओर से सदन में नोटिस भी दिया जा चुका है। राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस के सुखेन्दु शेखर ने भी राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह के बयान पर चिंता जताते हुए नोटिस दी है। महंगाई भी विपक्ष के लिए चर्चा का एक मुद्दा है।


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