...इसलिए हाई स्कूल से लिया एक साल का ब्रेक
तिरुचिरापल्ली की सागरिक्का सिवाकुमार ने दसवीं के बाद ग्यारहवीं में एडमिशन लेने के बजाए कुछ और ठान लिया।
नई दिल्ली। एक ओर जहां छात्रों की निगाहें यूनिवर्सिटी के कट ऑफ मार्क्स पर टिकी होती है वहीं तमिलनाडु की इस लड़की ने दसवीं के बाद ग्यारहवीं में एडमिशन को प्राथमिकता न देते हुए एक साल का ब्रेक ले लिया वह भी केवल इस लिए कि वह अपनी कुछ चाहतों को पूरा कर सके। अब वह अपनी किताब ‘माइ अनस्कूल्ड इयर’ को छपवाने में जुटी है।
तिरुचिरापल्ली की सागरिक्का सिवाकुमार ने दसवीं के बाद ग्यारहवीं में एडमिशन लेने के बजाए कुछ और ठान लिया। दसवीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद उसने पढ़ाई अधूरी छोड़ दी।
उसने कहा, ‘एक साल के ब्रेक में मैंने जीवन के विभिन्न पहलुओं पर हाथ आजमाया और अपने किताब ‘माई अनस्कूल्ड इयर’ के लिए पेज संकलित किया।
इंडिया टुडे के अनुसार, 2015 में चेन्नई के बाढ़ प्रभावित लोगों की मदद के लिए उसने अपना हाथ भी बढ़ाया।
अपने इस अवकाश के दौरान सागरिक्का ने निवेशक के गुण को भी उभारा और स्टॉक मार्केट में निवेश किया। वह कार्पोरेट वर्ल्ड में गयी, अस्पताल, बीपीओ, होटल, बैंक और कई एनजीओ में काम किया। यानि सागरिक्का ने मात्र एक साल में वो सारे काम कर लिए जो सामान्य तौर पर कई सालों में लोग नहीं कर पाते हैं।
केवल यही नहीं उसने कई जगहों की यात्रा भी की जैसे लेह और माउंट कैलाश आदि। अपने इस सफर को डॉक्यूमेंट करने के लिए उसने डॉक्यूमेंट्री और फिल्म मेकिंग के साथ शॉर्ट वीडियोज भी बनाना सीखा।
इसके अलावा सागरिक्का ने किताबें पढ़ीं और ब्लॉग भी लिखा। 16 वर्षीया सागरिक्का ने अब ग्यारहवीं कक्षा में एडमिशन ले लिया है साथ ही उसकी किताब के छपने की प्रक्रिया भी चल रही है जो अगस्त तक आ जाएगी।
प्रयत्न करने से कार्य सिद्ध नहीं हो रहा है, तो हमारे प्रयास में कहीं न कहीं कमी है