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    बैंकों को नहीं मिल रहे पर्याप्त नए नोट, दिक्कत यूं ही जारी रहने के आसार

    By Sanjeev TiwariEdited By:
    Updated: Thu, 24 Nov 2016 09:41 PM (IST)

    राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में नई करेंसी की किल्लत न सिर्फ बरकरार है बल्कि इसके अगले दो दिनों के दौरान और गहराने के आसार है।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बैंकों के सामने नए नोट के लिए लगने वाली लाइन भले ही कम होती जा रही है लेकिन देश भर के बैंकों में नोटों की किल्लत बनी हुई है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में नई करेंसी की किल्लत न सिर्फ बरकरार है बल्कि इसके अगले दो दिनों के दौरान और गहराने के आसार है। सीमित मुद्रण क्षमता होने की वजह से केंद्रीय बैंक की तरफ से ही बैंकों को पर्याप्त नोटों की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। एनसीआर में तो बैंकों को साफ बता दिया गया है कि शुक्रवार को भी नए कैश की आपूर्ति नहीं होगी। शनिवार और रविवार को अवकाश है। ऐसे में एनसीआर में नए नोटों की आपूर्ति अगले हफ्ते ही सुधर पाएगी।

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    सूत्रों के मुताबिक तमाम कोशिशों के बावजूद नए नोटों की आपूर्ति बहुत तेजी से नहीं बढ़ पा रही है। वैसे केंद्र सरकार की तरफ से नासिक (महाराष्ट्र) और देवास (मध्य प्रदेश) में दो विशेष टीमें भेजी गई हैं जिन्हें नोट मुद्रण के काम में तेजी लाने और देश के हर हिस्से में निर्बाध तरीके से उसे पहुंचाने का जिम्मा दिया गया है। इन दोनों नोट प्रिंटिंग प्रेस में तीन शिफ्टों में काम हो रहा है लेकिन जिस तरह की डिमांड है उसे पूरा करना संभव नहीं दिख रहा। सरकार के अधिकारी भी मानते हैं कि नए नोट आपूर्ति की स्थिति पूरी तरह से सामान्य होने में तीन से चार हफ्ते का समय लग सकता है। लेकिन यह वस्तुस्थिति को देखते हुए काफी उम्मीदों भरा आकलन है। देश में नोट प्रिटिंग प्रेस की क्षमता व बाजार से बाहर किये गये नोटों की जगह पर नए नोटों की जरुरत को देखते हुए ऐसा लगता है कि छह महीने का समय भी लग सकता है।

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    दरअसल, नोट बंदी के समय भारत में प्रचलित कुल मुद्रा का 85 फीसद 500 व 1000 रुपये के नोट थे। इनकी संख्या 23 अरब होती है। इनमें 1000 रुपये के 6.84 अरब प्रचलित नोटों के स्थान पर 40 फीसद (2.74 अरब) 2000 के नोट और शेष 60 फीसद के बराबर (8 अरब नोट) 500 के नोट मुद्रित किये जाने हैं। इसके अलावा 500 के पहले से प्रचलन में रहे 15.50 अरब नोटों की जगह भी नए पांच सौ के नोट छापने हैं। इस तरह से 500 के ही 23-24 अरब नोटों का मुद्रण किया जाना है। 500 और 2000 रुपये के नए नोटों को मिला दिया जाए तो तकरीबन 27 अरब नए नोट छापने हैं। इसके अलावा बाजार में प्रवाह सामान्य रखने के लिए 100, 50, 20 व 10 के नोटों का मुद्रण भी जारी रखना होगा।

    दूसरी तरफ केंद्र सरकार व रिजर्व बैंक के सभी चारों नोट प्रिंटिंग प्रेस को जारी रखा जाए तो सालाना 40 अरब नोट छापे जा सकते हैं। यानी सामान्य आपूर्ति के लिए जरुरी सिर्फ 500 व 2000 के नोटों की आपूर्ति सामान्य रखने के लिए कम से कम छह महीने का समय लग सकता है। यही वजह है कि कई जानकार यह मान रहे हैं कि पूरी तरह से नोटों की आपूर्ति सामान्य होने में कम से कम चार महीने का समय लगेगा।

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