Move to Jagran APP

GST पर राज्यों ने जगाई उम्मीद, अब दलों के रुख से असमंजस

GST को लेकर दिल्ली में राज्यों के वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति की बैठक हुई। इसमें कई राज्यों ने अपनी सहमती दी। अब सरकार के लिए सिर्फ राज्य सभा में बाधा है।

By anand rajEdited By: Published: Tue, 26 Jul 2016 09:37 PM (IST)Updated: Tue, 26 Jul 2016 09:53 PM (IST)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बहुप्रतीक्षित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के लिए जरूरी संविधान संशोधन विधेयक संसद के मानसून सत्र से पारित होने की उम्मीदें बढ़ गयी हैं। इस विधेयक के मसौदे की भाषा पर राज्यों की सहमति बन गयी है। पर कांग्रेस ने चुप्पी साध रखी है। अपनी कुछ शर्ते मनवा कर ही वह आगे बढ़ना चाहती है। आशा यह जताई जा रही है कि राज्यों की आम राय के बाद विपक्षी दलों के जीएसटी विरोध की धार कुंद पड़ सकती है।

loksabha election banner

पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा की अध्यक्षता में राज्यों के वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति की मंगलवार को यहां बैठक हुई जिसमें कई मुद्दों पर सहमति बनी। बैठक के बाद मित्रा ने कहा कि जीएसटी लागू होने पर केंद्र सरकार राज्यों को पांच साल तक क्षतिपूर्ति का भुगतान करेगी। इस संबंध में विधेयक में ही प्रावधान हो जाएगा। उन्होंने कहा कि डेढ़ करोड़ रुपये सालाना से कम कारोबार वाले कारोबारी राज्य सरकारों के दायरे में आएंगे जबकि इस सीमा से अधिक के कारोबार पर केंद्र और राज्य दोनों का नियंत्रण होगा।

मित्रा ने कहा कि जीएसटी लागू करने के लिए जरूरी संविधान संशोधन विधेयक की भाषा के संबंध में भी राज्यों में सहमति बन गयी है। इसके अलावा जीएसटी की दरें तय करने का सिद्धांत भी तैयार कर लिया गया है। जीएसटी की दरें ऐसी होंगी जिससे न सिर्फ आम लोगों को राहत मिले बल्कि राज्यों को राजस्व हानि भी न हो।

वित्त मंत्री भी रहे मौजूद

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी बैठक में जाकर राज्यों के वित्त मंत्रियों से मुलाकात की। हालांकि उन्होंने इस संबंध में आधिकारिक तौर पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। जीएसटी के कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर राज्यों के बीच सहमति बनने का सीधा मतलब है कि सरकार अब इसके लिए जरूरी संविधान संशोधन विधेयक को राज्य सभा से पारित करने में सहयोग के लिए विपक्ष पर दवाब बनाएगी।

ये है कांग्रेस की शर्त

असल में कांग्रेस पार्टी कुछ शर्तो को लेकर जीएसटी का विरोध कर रही है। इनमें से एक शर्त यह है कि जीएसटी की दरें संविधान संशोधन विधेयक में ही तय कर दी जाएं और इस पर एक उच्च्चतम सीमा निर्धारित कर दी जाए। सरकार यह करने को तैयार नहीं है। वहीं राज्यों की भी यही राय है कि जीएसटी दर को संविधान संशोधन में फिक्स नहीं किया जाए।

उल्लेखनीय है कि सरकार ने अप्रैल 2017 से जीएसटी लागू करने का लक्ष्य रखा है। वित्त मंत्री कह चुके हैं कि राज्य सभा में जीएसटी समर्थक सदस्यों की संख्या अब बढ़ गयी है। हालांकि कांग्रेस के विरोध के चलते जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक अटका हुआ है। पिछले कुछ दिनों में वित्तमंत्री कांग्रेस नेताओं से मिल चुके हैं। पर्दे के पीछे यह माना भी जाता रहा है कि इस बार कांग्रेस भी जीएसटी पारित कराने के पक्ष में है और इक्के दुक्के नेताओं को छोड़कर सब समर्थन में हैं। बहरहाल अब तक कांग्रेस नेतृत्व ने खुलकर कुछ नहीं कहा है। सरकार अगले सप्ताह विधेयक लाना चाहती है।

ये भी पढ़ेंः देश की सभी खबरों के लिए यहां क्लिक करें

ये भी पढ़ेंः दुनिया की सभी खबरों के लिए यहां क्लिक करें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.