Move to Jagran APP

35 दिनों तक साइकिल चला 2700 किमी. की दूरी तय कर मिला था कलाम से

मैं हमेशा साइकिल व अन्य साधनों से मक्का की यात्रा करने की योजना बनाता रहता था। कलाम साहब ने सुरक्षा के मुद्दों का हवाला देते हुए मुझे इसके खिलाफ सलाह दी

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Wed, 27 Jul 2016 04:36 PM (IST)Updated: Wed, 27 Jul 2016 06:35 PM (IST)
35 दिनों तक साइकिल चला 2700 किमी. की दूरी तय कर मिला था कलाम से

नई दिल्ली। अब्दुल कलाम के चाहने वालों में एक नाम नागूर मेरान का भी है। नागूर मेरान दिन में एक दर्जी हैं और रात में वे एक वॉचमैन हैं। सहज दिखने वाले 70 साल के मेरान की हकीकत एक वृक्ष की छाया में लगने वाली उनकी अस्थायी दुकान पर लटकी तस्वीर से बयां होती है जिसमें वे और पूर्व राष्ट्रपति कलाम एक साथ हैं।

loksabha election banner

पूर्व राष्ट्रपति कलाम के साथ की तस्वीर उन्हें उन दिनों में पहुंचा देती है जब वे वर्ष 2003 में अपने गृहनगर तेनकासी तमिलनाडु से साइकिल चलाकर राष्ट्रपति भवन नई दिल्ली पहुंचे थे। 2700 किमी. लंबी दूरी साइकिल से तय कर तब उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम से मुलाकात की थी।

नागूर मेरान को स्थानीय लायंस क्लब के सदस्य ने सुझाव दिया था कि वे अपने साइकिल चलाने के जुनून का इस्तेमाल कर मिसाइल मैन का ध्यान आकर्षित कर सकते हैं। ये बात नागूर मेरान के जेहन में घर कर गई थी और उन्होंने कलाम से मुलाकत के लिए अपनी यात्रा शुरू की जो कि 35वें दिन समाप्त हुई। चेन्नई, हैदराबाद, नागपुर, भोपाल और आगरा के रास्ते वे राष्ट्रपति भवन पहुंचे थे। इस लंबी यात्रा के दौरान उन्होंने पुलिस स्टेशनों, खुली जगह और यहां तक ​​कि अजनबियों के घरों में डेरे डाला था।

नागूर मेरान ने बताया कि "काफी दिलचस्प यह रहा कि इतनी लंबी यात्रा के दौरान उनकी साइकिल का टॉयर एक बार भी पंचर नहीं हुआ।'' मेरान कहते हैं कि ''मेरी यात्रा बहुत ही सहज थी, या यूं कह लीजिए कि खुद अल्लाह चाहते थे कि मेरान और कलाम की मुलाकात हो।''


उन्होंने बताया कि जब वे दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन पहुंचे तो कुछ देर के लिए पूर्व राष्ट्रपति से उनकी मुलाकात अनिश्चितता में बदल गई। वे दिल्ली पहुंचते ही कलाम से नहीं मिल सके। तब उन्होंने अपने मिशन के बारे में एक पत्र लिखा और राष्ट्रपति भवन के बाहर लगे अतिथि बॉक्स में डाल दिया। सौभाग्य से अब्दुल कलाम ने वह पत्र पढ़ा और उन्हें मुलाकात के लिए आमंत्रित किया।

मेरान और अब्दुल कलाम की मुलाकात 35 मिनट की थी। मेरान ने बताया कि "मैं मेरे साथ अब्दुल कलाम को भेंट करने के लिए एक शॉल ले गया था। लेकिन कलाम ने शॉल लेने से इंकार कर दिया था। कलाम ने तब कहा था कि राजधानी कई बेघर ठंड झेल रहे हैं। आप यह शॉल उनमें से ही किसी एक को दे देना।

नागूर मेरान ने कुछ राजनेताओं के साथ राष्ट्रपति भवन में ढाई दिन व्यतीत किया। मेरान ने बताया कि इस दौरान वहां विश्व शांति, मानवता और मेरान के गृहनगर के लिए मांगों के एक चार्टर जैसे मुद्दों पर चर्चा होती रही।

मेरान कहते हैं कि मुलाकात के दौरान "कलाम साहब ने मुझे स्कूल के छात्रों के साथ बातचीत करने की आदत में बने रहने को कहा। मैं हमेशा साइकिल व अन्य साधनों से मक्का की यात्रा करने की योजना बनाता रहता था। कलाम साहब ने सुरक्षा के मुद्दों का हवाला देते हुए मुझे इसके खिलाफ सलाह दी।"

तीन दशक से दर्जी का पेशा करने वाले मेरान ने अब्दुल कलाम की पहली पुण्यतिथि पर कहा कि "कलाम साहब को अभी जीवित रहना चाहिए था, चाहे मेरी जान चली जाती।"

उन्होंने कहा कि वे लघु कविताओं का संग्रह लिख रहे हैं और अगर उन्हें खरीदार मिले तो निकट भविष्य में ही वे अपनी कविताओं को प्रकाशित करने की योजना बनाएंगे।

'मैंने भगवान के दर्शन किए हैं, क्योंकि मैंने कलाम को देखा है'

ओवैसी ने कश्मीर को लेकर केंद्र पर आरोपों की झड़ी लगाई


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.