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    भारतीय रेल बीमार है, पर 'मीठी' दवा सुधार सकती है मर्ज

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    Updated: Wed, 25 Jun 2014 11:43 AM (IST)

    भारतीय रेल बीमार है, इससे तो कोई इन्कार नहीं कर सकता। यह और बात है कि इसके लिए किराया और माल भाड़ा बढ़ाने की 'कड़वी दवा' ही जरूरी नहीं। भारतीय रेल महज विद्युतीकरण की रफ्तार को थोड़ा तेज कर आसानी से दस हजार करोड़ रुपये तक सालाना बचा सकता है। डीजल के मुकाबले लागत महज एक तिहाई होने के बावजूद

    नई दिल्ली [मुकेश केजरीवाल]। भारतीय रेल बीमार है, इससे तो कोई इन्कार नहीं कर सकता। यह और बात है कि इसके लिए किराया और माल भाड़ा बढ़ाने की 'कड़वी दवा' ही जरूरी नहीं। भारतीय रेल महज विद्युतीकरण की रफ्तार को थोड़ा तेज कर आसानी से दस हजार करोड़ रुपये तक सालाना बचा सकता है। डीजल के मुकाबले लागत महज एक तिहाई होने के बावजूद अब तक सिर्फ 38 फीसद रेल लाइन का ही विद्युतीकरण किया जा सका है। रेल मंत्री सदानंद गौड़ा आठ जुलाई को रेल बजट पेश करने वाले हैं।

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    रेल मंत्रालय के दस्तावेजों के मुताबिक, इस साल एक मार्च तक देश के 65,436 किमी रेल रूट में महज 38 फीसद का ही विद्युतीकरण हुआ है। जबकि मंत्रालय मानता है कि इससे होने वाले 1.1 अरब टन माल की ढुलाई में से 67 फीसद की ढुलाई बिजली वाले खंड से होती है। इसी तरह रेलवे के 51 फीसद यात्री बिजली वाले खंड से सफर करते हैं। रेलवे का इतना बड़ा बोझ उठाने वाली बिजली बहुत सस्ती भी है। रेलवे अपने कुल राजस्व का 20.5 फीसद डीजल पर खर्च करता है, लेकिन बिजली पर इसका खर्च सिर्फ 9.8 फीसद है।

    रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी इस बारे में पूछे जाने पर मानते हैं कि इस समय सालाना लगभग 1,300 किमी रेल लाइन का विद्युतीकरण हो पा रहा है। साथ ही वे यह भी मानते हैं कि इसे आसानी से दो हजार किमी तक पहुंचाया जा सकता है। अगर रेलवे अगले सात-आठ साल में सिर्फ 15 हजार किमी का भी विद्युतीकरण कर ले तो यह सालाना दस हजार करोड़ रुपये की बचत कर सकता है। इसके फायदे को देखते हुए चीन ने पिछले कुछ वर्षो के दौरान तेजी से इस पर काम किया है।

    केंद्र सरकार के आठ मंत्रालयों के सचिव और रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष सहित 20 सदस्यों वाली राकेश मोहन समिति ने आम चुनाव से ठीक पहले सौंपी अपनी रिपोर्ट में भी साफ तौर पर इसकी जरूरत बताई है। 31 जनवरी को सौंपी राष्ट्रीय परिवहन विकास नीति में समिति ने इसे न सिर्फ धन की बचत बल्कि प्रदूषण, विदेशी मुद्रा पर निर्भरता, ईधन आपूर्ति को लेकर असमंजस आदि दूर करने के लिहाज से भी जरूरी बताया है।

    पढ़ें : किराया वृद्धि में पारदर्शिता से मुंह चुराता है रेलवे

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