सुशांत रोहिला खुदकशी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने लिया संज्ञान
मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने सोमवार को कहा कि यह भी ध्यान रखने की बात है कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
नई दिल्ली,जागरण ब्यूरो । एमिटी छात्र सुशांत रोहिला खुदकशी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया है। कोर्ट ने कहा कि यह स्पष्ट होना चाहिए कि छात्र प्रताडि़त हुआ था या नहीं। कोर्ट ने मामले में सुनवाई का मन बनाते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता फली नरीमन को न्यायमित्र नियुक्त किया है। सुप्रीम कोर्ट ने रोहिला के मित्र राघव शर्मा के पत्र पर संज्ञान लेते हुए यह सुनवाई शुरू की है।
सुशांत रोहिला एमिटी लॉ कालेज में कानून का छात्र था। उसने गत 10 अगस्त को अपने घर में खुदकशी कर ली थी। आरोप है कि रोहिला को हाजिरी कम होने पर कॉलेज ने परीक्षा में बैठने से रोक दिया था जिसके चलते उसने यह कदम उठाया था। रोहिला के साथियों ने कॉलेज प्रशासन पर उसे परेशान करने का आरोप लगाया और सोशल मीडिया पर विरोध जताया।
रोहिला के मित्र राघव शर्मा ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिख कर अनुरोध किया है कि सुशांत की मौत की जांच के लिए एक स्वतंत्र कमेटी गठित की जाए। साथ ही पूरे देश के उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले छात्रों की मानसिक सेहत और परेशानियों पर ध्यान दिए जाने के लिए दिशानिर्देश तय किए जाने की भी मांग की। कोर्ट ने इस पत्र को रिट याचिका में तब्दील करते हुए सुनवाई शुरू की है।
मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने सोमवार को कहा कि यह भी ध्यान रखने की बात है कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों। हालांकि कोर्ट ने अभी फिलहाल एमिटी या अन्य पक्षों को औपचारिक नोटिस जारी नहीं किया है। पीठ ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो भविष्य में छात्रों को तनाव मुक्त करने और ऐसी घटनाओं की रोकथाम के लिए दिशानिर्देश जारी करेंगे। कोर्ट ने एमिटी की ओर से पहले से उपस्थित वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा से कहा कि वे इस मामले में जवाब और दस्तावेज दाखिल कर सकते हैं। इससे पहले लूथरा ने एमिटी का पक्ष रखते हुए कहा कि रोहिला की हाजिरी मात्र 43 फीसद थी जबकि न्यूनतम हाजिरी 75 फीसद होनी चाहिए। छात्र और उसके परिवार को इस बात की जानकारी दी गई थी।
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