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आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की बड़ी टिप्पणी, उच्च शिक्षा में खत्म हो आरक्षण

सुप्रीम कोर्ट ने उच्‍च शिक्षण संस्‍थानों में आरक्षण खत्‍म करने की बात कही है। कोर्ट ने मंगलवार को आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु में सुपर स्‍पेशियलटी कोर्सेज में प्रवेश को लेकर योग्यता मानकों को चुनौती देने के संबंध में दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह बात कही।

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Published: Wed, 28 Oct 2015 11:28 AM (IST)Updated: Wed, 28 Oct 2015 01:54 PM (IST)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने उच्च शिक्षण संस्थानों में आरक्षण खत्म करने की बात कही है। कोर्ट ने मंगलवार को आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु में सुपर स्पेशियलटी कोर्सेज में प्रवेश को लेकर योग्यता मानकों को चुनौती देने के संबंध में दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह बात कही।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश को आजाद हुए 68 साल हो गए, लेकिन वंचितों के लिए जो सुविधा उपलब्ध कराई गई थी, उसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है। अदालत ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह इस संबंध में उचित कदम उठाए, क्योंकि राष्ट्रहित में ऐसा करना बेहद जरूरी हो गया है।

जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस पीसी पंत की पीठ ने कहा कि विशेषाधिकारों से हालत नहीं बदले हैं। चिकित्सा संस्थानों में सुपर स्पेशियलिटी कोर्सेज में आरक्षण मुद्दे के दो मामलों पर शीर्षस्थ अदालत ने यह भी कहा कि “वास्तव में कोई आरक्षण नहीं होना चाहिए। अब समय आ गया है कि उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया जाए और उपलब्ध स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ाकर देशवासियों को सुविधा उपलब्ध कराई जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने 27 साल पुरानी टिप्पणी का हवाला देते हुए मंगलवार को बेंच ने कहा कि वह उच्च शिक्षा संस्थानों में आरक्षण पर केंद्र और राज्यों को यही संदेश देना चाहती है।

बेंच ने आगे कहा, 'हम अन्य लोगों की भावनाओं और इच्छाओं को दोहरा रहे हैं ताकि अधिकारी स्थिति का निष्पक्ष होकर अनुमान लगाएं, स्थिति से सही तरह से पेश आएं और देशहित को प्रमुखता दें।'

बेंच ने कई आदेशों का हवाला देकर सरकारी अधिकारियों को कहा कि छात्रों को विभिन्न तरह की छूट देने से बेस्ट कैंडिडेट की बेस्ट ट्रेनिंग पर भी असर पड़ेगा।


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