सुब्रह्मण्यम स्वामी बोले, पीएम बन सकते थे आडवाणी
सुब्रह्मण्यम स्वामी ने 'आडवाणी के साथ 32 साल' पुस्तक का विमोचन किया।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राज्यसभा सदस्य और वरिष्ठ भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी का मानना है कि लालकृष्ण आडवाणी देश के प्रधानमंत्री बन सकते थे। लेकिन जब समय आया, तो उन्होंने इस पद के लिए अटल बिहारी वाजपेयी का नाम आगे कर दिया।
स्वामी ने शुक्रवार को 'आडवाणी के साथ 32 साल' पुस्तक का विमोचन करते हुए यह बात कही। 32 सालों तक आडवाणी के सहयोगी रहे विश्वंभर श्रीवास्तव ने यह किताब लिखी है। इसमें उन्होंने बताया है कि आडवाणी नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित करने वाली संसदीय दल की बैठक में जाने के लिए तैयार थे। वह घर से निकलकर अपनी कार तक चले भी गए थे। लेकिन कुछ लोगों ने उन्हें रोक लिया। इस बीच, इस पुस्तक को लेकर आडवाणी के दो सहयोगियों की लड़ाई खुलकर सामने आ गई।
विश्वंभर श्रीवास्तव ने किताब पर आडवाणी की सहमति लेने का दावा किया है। उन्होंने भाजपा नेता के दूसरे सहयोगी दीपक चोपड़ा पर अपनी ओर से विवाद खड़ा करने का आरोप लगाया। श्रीवास्तव के अनुसार 2008 में ही उन्होंने आडवाणी को पुस्तक की पांडुलिपि दिखा दी थी। आडवाणी ने जिन अंशों पर आपत्ति जताई थी, उसे निकाल भी दिया। वे पुस्तक का प्रकाशन 2009 में कराना चाहते थे। लेकिन लोकसभा चुनावों को देखते हुए आडवाणी के कहने पर उन्होंने इसे टाल दिया था।
श्रीवास्तव ने कहा कि नौ महीने पहले भी उन्होंने आडवाणी को पांडुलिपि दी थी। लेकिन उन्होंने कोई आपत्ति नहीं जताई थी। आडवाणी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का पैरोकार बताते हुए उन्होंने कहा कि उनके एक करीबी को पुस्तक के प्रकाशन पर आपत्ति है। उनका इशारा दीपक चोपड़ा की ओर था। गुरुवार को दीपक चोपड़ा ने बयान जारी कर कहा था कि इस पुस्तक के लिए आडवाणी की सहमति नहीं ली गई है और उनकी इच्छा के विरुद्ध इसे प्रकाशित किया गया है।
विश्वंभर श्रीवास्तव के अनुसार आडवाणी राजनीति में भाई-भतीजावाद के प्रबल विरोधी थे। उन्होंने पुस्तक में बताया कि किस तरह के पार्टी के कुछ नेताओं ने आडवाणी के बेटे को अहमदाबाद से लोकसभा का टिकट देने की सलाह दी थी। लेकिन आडवाणी ने इससे साफ इन्कार कर दिया था।
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