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पीएम का दावा- राज्य चाहते हैं भूमि कानून में बदलाव

भूमि अधिग्रहण बिल पर हमलावर विपक्ष को करारा जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि नई सरकार बनने के बाद करीब-करीब सभी राज्यों की सरकारों की तरफ से आग्रहपूर्वक मांग की गई कि इस कानून में परिवर्तन करे।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Tue, 02 Jun 2015 07:17 PM (IST)Updated: Tue, 02 Jun 2015 08:57 PM (IST)
पीएम का दावा- राज्य चाहते हैं भूमि कानून में बदलाव

नई दिल्ली। भूमि अधिग्रहण बिल पर हमलावर विपक्ष को करारा जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि नई सरकार बनने के बाद करीब-करीब सभी राज्यों की सरकारों की तरफ से आग्रहपूर्वक मांग की गई कि इस कानून में परिवर्तन करे।

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उन्होंने कहा कि आज राज्यों में सभी दलों की सरकारें हैं और हमारे भी ध्यान में आया है कि जल्दबाजी में बने हुए 2013 के कानून में, किसान विरोधी जितनी बातें हैं, विकास विरोधी जो प्रावधान हैं, अफसरशाही को बढ़ावा देने के लिए जो व्यवस्थाएं है, उनको ठीक करके किसान को संरक्षित करना चाहिए ।

एक साक्षात्कार के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि मेरा देश के नागरिकों से एक सवाल है कि इस झूठ को फैलाने वालों से यह सवाल पूछें क्या भारत सरकार के पास जमीन होती है? सबको मालूम है कि जमीन राज्य सरकारों के पास होती है। अपना कार्यालय बनाने के लिए भी भारत सरकार को जमीन राज्य सरकारों से मांगनी पड़ती है ।

सच्चाई का रोड़ा बने स्वार्थी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि राजनीतिक स्वार्थ एवं स्वार्थी माहौल के कारण सत्य लोगों तक पहुंचने में कई रुकावटें आई हैं। जैसे भूमि अधिग्रहण बिल से व्यावसायिक घरानों के लिए जमीन ली जाएगी, ये झूठ फैलाने में हमारे विरोधी दिन-रात एक कर रहे हैं।

हमने जो सुधार सूचित किए हैं उनसे एक इंच जमीन भी उद्योग को मिलने में सुविधा नहीं होगी। ये सरासर झूठ है लेकिन चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है जैसे-जैसे निष्पक्ष लोग सत्य जानते जाएंगे और जानने लगेंगे, वैसे-वैसे स्वार्थी राजनीतिक शक्तियां अलग-थलग पड़ जाएंगी।

किसान इस नए बिल से अधिक सुरक्षित महसूस करेगा, ऐसा मेरा पूरा विश्वास है। पहले के भूमि अधिग्रहण कानून में बदलाव करना, न भारतीय जनता पार्टी का एजेंडा था और न ही मेरी सरकार का।

नए विधेयक के जरिए किसान हित

मोदी ने कहा कि नए विधेयक के जरिए हम जो सुधार करना चाहते हैं अगर वो नहीं लाते, तो किसानों के लिए सिंचाई योजनाएं असंभव बन जातीं। गांवों में किसानों को पक्के रास्ते नहीं मिलते, गांव में गरीबों के लिए घर नहीं बन पाते।

इसलिए गांव के विकास के लिए, किसान की भलाई के लिए, कानून की जो कमियां थी वो दूर करनी जरूरी थीं। इसकी मांग राज्यों ने भी की थी। हमने किसान हित में एक पवित्र एवं प्रमाणिक प्रयास किया है। मुझे विश्वास है कि आने वाले दिनों में झूठ बेनकाब होगा और भ्रम से मुक्ति मिलेगी। जानबूझ के फैलाए गए भ्रम से देश को मुक्ति मिलेगी ।


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