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श्रीलंकाई राष्‍ट्रपति के भारत दौरे से आशान्वित होने की जरूरत नहीं: स्वामी

श्रीलंका के राष्‍ट्रपति मेथरीपाला सिरीसेना भारत पहुंच गए हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता सैयद अकबरुद्दीन ने श्रीलंकाई राष्‍ट्रपति के भारत दौरे पर खुशी जाहिर की है। उनका कहना है कि इससे भारत और श्रीलंका के बीच द्विपक्षीय संबंधों में मजबूती आएगी। हालांकि भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी का कहना है कि

By T empEdited By: Published: Mon, 16 Feb 2015 12:18 PM (IST)Updated: Mon, 16 Feb 2015 12:44 PM (IST)
श्रीलंकाई राष्‍ट्रपति के भारत दौरे से आशान्वित होने की जरूरत नहीं: स्वामी

नई दिल्ली। श्रीलंका के राष्ट्रपति मेथरीपाला सिरीसेना भारत पहुंच गए हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने श्रीलंकाई राष्ट्रपति के भारत दौरे पर खुशी जाहिर की है। उनका कहना है कि इससे भारत और श्रीलंका के बीच द्विपक्षीय संबंधों में मजबूती आएगी। हालांकि भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी का कहना है कि श्रीलंकाई राष्ट्रपति के भारत दौरे से हमें ज्यादा उम्मीद नहीं रखनी चाहिए।

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सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि श्रीलंकाई राष्ट्रपति का भारत दौरा कई मायनों में खास हैं। इससे भारत और श्रीलंका के बीच द्विपक्षीय संबंधों को बल मिलेगा। भारत और श्रीलंका के बीच असैन्य परमाणु समझौते पर भी वार्ता होनी है।

सुब्रमण्यम स्वामी का कहना है कि श्रीलंकाई राष्ट्रपति मेथरीपाला सिरीसेना के भारत दौर पर हमें ज्यादा आशान्वित होने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, 'देखिए मुझे लगता है कि श्रीलंकाई राष्ट्रपति भारत से ज्यादा अमेरिका के करीब हैं। इसलिए हमें उनसे ज्यादा उम्मीद रखने की जरूरत नहीं है। फिर श्रीलंका गठबंधन की सरकार है और वे आतंकवाद की समस्या से जूझ रहे हैं। ऐसे में यह उम्मीद करना की वह बहुत ज्यादा कुछ कर पाएंगे मुझे आशा नहीं है। भारत को सिर्फ उनके पड़ोसी के नाते अच्छे संबंध बनाने के लिए उम्मीद रखनी चाहिए।'

वहीं भारत और श्रीलंका के बीच चल रहे 'असैन्य परमाणु समझौते' पर सुब्रमण्यम स्वामी का कहना है कि यह कोई बड़ा समझौता नहीं है। भारत को अन्य देशों के साथ इससे कहीं बड़े परमाणु समझौते करने हैं।

श्रीलंका के राष्ट्रपति मेथरीपाला सिरीसेना सोमवार को राजघाट पहुंचे और महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित किए। इसके बाद वह भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मिले। बता दें कि राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने अपने विशाल पड़ोसी देश भारत के साथ द्विपक्षीय रिश्ते को मजबूत बनाने के संकेत दिए थे। चीन को दरकिनार कर उन्होंने अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए भारत को चुना है।

अपनी चार दिन की यात्रा के दौरान सिरिसेना भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात करेंगे। इस दौरान वह देश के दूसरे शीर्ष नेताओं से भी भेंट करेंगे। भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान कहा गया था कि श्रीलंकाई राष्ट्रपति के दौरे पर शांति और श्रीलंका में तमिलों के पुनर्वास का मुद्दा वार्ता के एजेंडे में शामिल किया गया है। इसके अलावा आर्थिक और व्यापारिक रिश्तों पर चर्चा भी होने की उम्मीद है। साथ ही दोनों देशों के शरणार्थियों की स्वदेश वापसी पर भी सिरिसेना और पीएम मोदी के बीच चर्चा हो सकती है।

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