कोल ब्लॉक आवंटन मामले में सरकार ने मानी गलती
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। कोयला ब्लाक आवंटन घोटाले में लगभग चार साल से आरोपों को नकारती चली आ रही केंद्र सरकार ने अंतत: यह मान लिया है कि उससे कहीं न कहीं चूक हुई है। सरकार ने यह भी स्वीकार किया है कि आवंटन की प्रक्रिया पूरी तरह ठीक नहीं थी। सुप्रीम कोर्ट में अटार्नी जनरल की इस स्वीकारोक्ति ने सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। भाजपा ने इसे आधार बनाकर प्रधानमंत्री से इस्तीफा भी मांगा है।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। कोयला ब्लाक आवंटन घोटाले में लगभग चार साल से आरोपों को नकारती चली आ रही केंद्र सरकार ने अंतत: यह मान लिया है कि उससे कहीं न कहीं चूक हुई है। सरकार ने यह भी स्वीकार किया है कि आवंटन की प्रक्रिया पूरी तरह ठीक नहीं थी। सुप्रीम कोर्ट में अटार्नी जनरल की इस स्वीकारोक्ति ने सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। भाजपा ने इसे आधार बनाकर प्रधानमंत्री से इस्तीफा भी मांगा है।
कोयला ब्लाक आवंटन में अनियमितताओं पर चल रही सुनवाई में गुरुवार को केंद्र सरकार की ओर से पेश अटार्नी जनरल जीई वाहनवती ने स्वीकार किया कि कोयला ब्लाक आवंटन और बेहतर तरीके से हो सकते थे। उन्होंने कहा कि नीति और नीयत सही थी, लेकिन लगता है कि कोयला ब्लाकों के विकास और नियमन में कुछ गलतियां हुई हैं। आम तौर पर कोयला ब्लाक आवंटन से पहले केंद्र सरकार को राज्यों से भी सलाह मशविरा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पीछे निगाह डालें तो लगता है कि कुछ चूक हुई है और कुछ सुधार हो सकते हैं। वाहनवती की यह प्रतिक्रिया तब आई, जब मामले की सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति आरएम लोढा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि आवंटन प्रक्रिया और बेहतर हो सकती थी। पीठ के नजरिये से सहमति जताते हुए वाहनवती ने कहा कि चीजें और बेहतर व परिष्कृत तरीके से हो सकती थीं।
केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए वाहनवती ने सुप्रीम कोर्ट में कोयला ब्लाक आवंटन में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया का ब्योरा दिया। वाहनवती ने कहा कि 1976 से 1993 के बीच राज्यों को भी ब्लाक आवंटन का अधिकार था, लेकिन राज्यों ने आवंटन की कोशिश नहीं की। 1993 में देश में बिजली की भारी किल्लत थी। स्टील और सीमेंट परियोजनाओं की भी कमी थी। इसके पीछे ईंधन की कमी मुख्य कारण थी। कोल इंडिया पर्याप्त उत्पादन नहीं कर पा रहा था। इसीलिए केंद्र सरकार आगे आई। पीठ ने कहा कि नीलामी में ऊंची बोली लगाने वाला बेहतर नतीजे देता। पीठ ने जब वाहनवती से आवंटन में नीलामी की प्रक्रिया न अपनाए जाने पर सवाल किया तो वाहनवती ने कहा कि नीलामी से कंपनियों की लागत बढ़ जाती और उत्पाद महंगा हो जाता। वहीं 2005 के बाद निजी कंपनियों को हुए ब्लाक आवंटन को रद के बाबत पूछे गए सवाल पर वाहनवती ने कहा कि वह इस संबंध में अगले हफ्ते केंद्र का रुख कोर्ट में स्पष्ट करेंगे।
वाहनवती की दलील को आधार बनाते हुए भाजपा ने सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि आवंटन के दौरान (2006 से 2009 के बीच) प्रधानमंत्री के पास ही कोयला मंत्रालय था, इसलिए उन्हें पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। साथ ही जावड़ेकर ने संप्रग के मंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई पर सीबीआइ की चुप्पी को लेकर भी सवाल उठाए।
पढ़ें: कोल ब्लॉक आवंटनों को रद करने में बड़ा निवेश बाधक नहीं:सुप्रीम कोर्ट
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