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चार लोगों में से किसी को सुनंदा की मौत की भनक नहीं लगी

सुनंदा पुष्कर हत्याकांड में एसआइटी ने बुधवार को संजय दिवान के बयान दर्ज किए। संजय दिवान सुनंदा व पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर के पारिवारिक मित्र हैं। संजय ने बताया कि सुनंदा जिस वक्त (17 जनवरी 2014) होटल लीला के सुइट नंबर-345 में मृत मिली थीं, सुइट के बगल वाले

By Sanjay BhardwajEdited By: Published: Thu, 15 Jan 2015 08:42 AM (IST)Updated: Thu, 15 Jan 2015 11:08 AM (IST)

नई दिल्ली [जासं]। सुनंदा पुष्कर हत्याकांड में एसआइटी ने बुधवार को संजय दिवान के बयान दर्ज किए। संजय दिवान सुनंदा व पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर के पारिवारिक मित्र हैं। संजय ने बताया कि सुनंदा जिस वक्त (17 जनवरी 2014) होटल लीला के सुइट नंबर-345 में मृत मिली थीं, सुइट के बगल वाले कमरे में शशि थरूर, चालक बजरंगी व घरेलू सहायक नारायण सिंह के साथ वह भी मौजूद थे। किसी को सुनंदा की मौत की भनक नहीं लगी। दिल्ली पुलिस इस बात को लेकर हैरान है कि इतने लोगों की मौजूदगी में आखिर किसने सुनंदा की हत्या की?

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संजय से वसंत विहार के एसडीएम आलोक शर्मा व दक्षिण जिला पुलिस पहले भी तीन बार पूछताछ कर चुकी है। घटना के अगले दिन थरूर के घरेलू सहायक नारायण सिंह ने एसडीएम के समक्ष बयान में संजय दिवान के बारे में जिक्र किया था। उसने बताया था कि 17 जनवरी को दोपहर 4:30 बजे उसके पास संजय का फोन आया था। उन्होंने पूछा था कि मैडम (सुनंदा) की तबीयत ठीक है या नहीं। उसने कहा कि मैडम की तबीयत ठीक नहीं है, तीन दिनों से उन्होंने कुछ भी नहीं खाया है। संजय शाम 5:50 बजे होटल पहुंचे।

उन्होंने दूसरे कमरे में चाय पी फिर सुनंदा के कमरे में गए। उन्होंने सुनंदा को जगाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं उठीं। इसी बीच नारायण के मोबाइल पर शशि थरूर ने एसएमएस भेजकर कहा कि जब सुनंदा जग जाएं, तो उन्हें जानकारी दे दे। कुछ देर बाद थरूर का एसएमएस फिर आया, लेकिन तब तक सुनंदा नहीं जगी थीं। थरूर पौने सात बजे होटल पहुंचे।

उन्होंने सुनंदा को जगाने की कोशिश की। जब वह नहीं जगीं तो थरूर ने संजय से कहा कि वह होटल मैनेजर से डॉक्टर को बुलाने को कहें। संजय ने मैनेजर को फोन कर डॉक्टर को भेजने को कहा। होटल का डॉक्टर व सर गंगाराम के डॉ. रजत मोहन करीब आठ बजे वहां पहुंचे। उन्होंने सुनंदा की जांच कर मृत होने की घोषणा की।

जांच के आधे घंटे के बाद (करीब नौ बजे) थरूर के निजी सहायक अभिनव ने सरोजनी नगर थाने में तत्कालीन एसएचओ अतुल सूद के मोबाइल पर फोन किया। सूचना मिलने के आधे घंटे बाद पुलिस होटल पहुंची। सवाल यह उठता है कि सूचना 100 नंबर पर पुलिस कंट्रोल रूम को क्यों नहीं दी गई? थाना पुलिस आधे घंटे बाद मौके पर क्यों पहुंची? होटल के पास खड़ी पीसीआर को तुरंत मौके पर क्यों नहीं भेजा गया?

'तुम्हारे साहब को छोड़ूंगी नहीं'

नई दिल्ली [राकेश कुमार सिंह]। सुनंदा पुष्कर हत्याकांड में एक साल बाद भी यह तस्वीर साफ नहीं हो पाई है कि आखिर हत्या किसने व क्यों की? जबकि ऐसे कई तथ्य हैं, जिनसे पुलिस को सुराग मिल जाना चाहिए।

पिछले साल 15 जनवरी की सुबह जब सुनंदा आइजीआइ एयरपोर्ट पर विमान से उतरी थीं, तो उन्होंने घरेलू सहायक नारायण सिंह से गुस्से में कहा, 'मैं तुम्हारे साहब (शशि थरूर) को छोड़ूंगी नहीं। उन्होंने मेहर (पाकिस्तानी महिला पत्रकार) को मेरे पूर्व पति के बारे में सबकुछ बता दिया है।'

सुनील टकरू व नारायण सिंह के साथ सुनंदा एयरपोर्ट से सीधे होटल लीला पहुंचीं। नारायण सिंह के बयान में यह बात सामने आई है। नारायण ने पिछले साल एसडीएम वसंत विहार आलोक कुमार के समक्ष दिए गए बयान में भी ये बातें कही थीं। एसआइटी इस बात की जांच कर रही है कि आखिर मेहर को बताई गई किस बात को लेकर सुनंदा इतना गुस्से में थीं।

सूत्रों की मानें तो एसआइटी मामले में कैटी से भी पूछताछ करने की कोशिश कर रही है। नारायण ने बयान में कहा है कि कैटी नाम की लड़की को लेकर मैडम व साहब (सुनंदा व शशि थरूर) के बीच झगड़ा होता था। नारायण ने बताया, 'दिसंबर 2013 में वह दुबई गया था। बाद में साहब और मैडम आए थे। मैंने पहली बार मैडम और साहब को लड़ाई करते देखा। उनके बीच बहुत लड़ाई हुई थी। मुझे झगड़े का कारण याद नहीं है। मैडम ने साहब को मारा, जिससे साहब के पैर में चोट लग गई थी। अक्सर झगड़ा होने के कारण मैडम पारिवारिक दोस्त संजय टकरू के यहां आ गई थीं।'

नारायण ने बताया कि त्रिवेंद्रम से वापस आते हुए भी सुनंदा व थरूर के बीच लड़ाई हुई थी। आइजीआइ एयरपोर्ट पर जहाज रुकने और दरवाजा खुलने तक वह रोती रहीं। जहाज से उतरकर सुनंदा बिना व्हीलचेयर के ही चल दीं। वह बाथरूम में गईं और 45 मिनट बाद वहां से निकलीं। तब तक शशि थरूर कांग्रेस की बैठक में जा चुके थे।

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