मुजफ्फरनगर तक पहुंचा लश्कर
मुजफ्फरनगर दंगों के नाम पर युवाओं को आतंकी बनाने की लश्कर-ए-तैयबा की साजिश परवान नहीं चढ़ सकी। इसके लिए लश्कर के आतंकियों ने मुजफ्फनगर और शामली के लियाकत और जमीरउल इस्लाम नाम के दो लोगों से संपर्क जरूर किया था, लेकिन दोनों ने आतंकी साजिश में शामिल होने से इन्कार कर दिया। किसी तरह दिल्ली पुलिस इन दोनों तक पहुंची और उन्हें सरकारी गवाह बना लिया। इसके बाद उनके बयान कोर्ट में भी दर्ज करा दिए। दिल्ली पुलिस ने यह भी साफ कर दिया है कि ये दोनों दंगा प्रभावित नहीं थे। इनसे संपर्क करने वाले आतंकी अब्दुल सुब्हान समेत लश्कर के तीन आतंकियों की तलाश जारी है। लेकिन इस ताजा खुलासे ने राहुल गांधी के उस बयान की याद दिला दी, जिसमें उन्होंने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ के दंगा पीड़ितों के संपर्क में होने की बात कही थी।

नई दिल्ली [राज्य ब्यूरो]। मुजफ्फरनगर दंगों के नाम पर युवाओं को आतंकी बनाने की लश्कर-ए-तैयबा की साजिश परवान नहीं चढ़ सकी। इसके लिए लश्कर के आतंकियों ने मुजफ्फनगर और शामली के लियाकत और जमीरउल इस्लाम नाम के दो लोगों से संपर्क जरूर किया था, लेकिन दोनों ने आतंकी साजिश में शामिल होने से इन्कार कर दिया। किसी तरह दिल्ली पुलिस इन दोनों तक पहुंची और उन्हें सरकारी गवाह बना लिया। इसके बाद उनके बयान कोर्ट में भी दर्ज करा दिए। दिल्ली पुलिस ने यह भी साफ कर दिया है कि ये दोनों दंगा प्रभावित नहीं थे। इनसे संपर्क करने वाले आतंकी अब्दुल सुब्हान समेत लश्कर के तीन आतंकियों की तलाश जारी है। लेकिन इस ताजा खुलासे ने राहुल गांधी के उस बयान की याद दिला दी, जिसमें उन्होंने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ के दंगा पीड़ितों के संपर्क में होने की बात कही थी।
दरअसल पाकिस्तान स्थित आतंकी सरगना से बातचीत की खुफिया एजेंसियों की सूचना के बाद दिल्ली पुलिस ने पिछले महीने मेवात से लश्कर के दो संदिग्ध आतंकियों मुहम्मद शाहिद व मुहम्मद राशिद को गिरफ्तार किया था। इनसे पूछताछ में पता चला कि मेवात निवासी आतंकी अब्दुल सुब्हान लश्कर का नया माड्यूल तैयार कर रहा था। सुब्हान 2001 में कोलकाता में अमेरिकन सेंटर हमले के आरोप में आफताब अंसारी के साथ गिरफ्तार हुआ था और दो साल पहले ही जेल से बाहर आया है। जेल से बाहर आने के बाद उसने सबसे पहले शाहिद व राशिद को लश्कर में शामिल किया। सुब्हान के मुजफ्फरनगर इलाके के कुछ लोगों के संपर्क होने की जानकारी भी इनसे मिली। यही नहीं, शाहिद व राशिद ने खुद भी दंगा प्रभावित इलाकों में जाने की बात स्वीकारी है। इन दोनों से पूछताछ के आधार पर दिल्ली पुलिस लियाकत व जहीर तक पहुंचने में सफल रही।
मुजफ्फरनगर में युवाओं को जोड़ने के लिए अब्दुल सुब्हान ने सबसे पहले पुराने जान पहचान वाले कुलहरी निवासी लियाकत से संपर्क किया। पेशे से सरकारी शिक्षक लियाकत की मदद से वह शामली के जलालाबाद निवासी जमीरउल इस्लाम तक पहुंचा। छोटे-मोटे अपराध करने वाले जमीर को अब्दुल सुब्हान ने मस्जिदों के निर्माण के बहाने लश्कर से जोड़ने की कोशिश की। इसके लिए उसने जमीर से कुछ लोगों का अपहरण कर रुपये की व्यवस्था करने को सुझाव दिया। लेकिन जल्द ही उसका असली रंग सामने आ गया और वह मुजफ्फरनगर में हुए दंगों का बदला लेने के लिए बड़ी वारदात करने की बात करने लगा। इससे जमीर डर गया और उसने सुब्हान से संपर्क तोड़ लिया। इस मामले में अब्दुल सुब्हान समेत लश्कर के तीन आतंकी सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर हैं। उनका मानना है कि सुब्हान का पश्चिमी उत्तर प्रदेश तथा मेवात में मजबूत नेटवर्क बन गया है।
दंगा प्रभावित इलाके में पहुंची दिल्ली पुलिस
दिल्ली पुलिस की टीम ने मंगलवार को मुजफ्फरनगर के लोई गांव पहुंचकर राहत शिविर से गायब दो लोगों समेत अन्य जानकारियां जुटाने की कोशिश की। दिल्ली पुलिस ने इसमें स्थानीय प्रशासन का सहयोग नहीं लिया। इस घटनाक्रम से हड़कंप मच गया। देर रात तक मुजफ्फरनगर से लेकर लखनऊ तक फोन घनघनाते रहे। शासन ने एटीएस को सक्रिय होने के निर्देश दिए हैं।
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