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    समान खूबियों से धनी हैं मोदी-ओबामा, जानिए क्‍या हैं समानताएं

    By Jagran News NetworkEdited By:
    Updated: Sun, 25 Jan 2015 12:03 PM (IST)

    प्रधानमंत्री प्रोटोकॉल को तोड़कर ओबामा को रिसीव करने पहुंचे और उनको गले लगाकर भारतीय जमीं पर स्‍वागत किया। यहां पर मेहमान और मेजबान दोनों कई सारी एक सी खुबियों वाले थे। दोनों राष्‍ट्र प्रमुख देश के वंचित तबके से ऊपर पहुंचे हैं, यह किसी लोकतंत्र में ही संभव है।

    नई दिल्ली। दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की प्रोटोकॉल तोड़कर अगवानी की तो इस दृश्य का नजारा अद्भुत था। प्रधानमंत्री प्रोटोकॉल को तोड़कर ओबामा को रिसीव करने पहुंचे और उनको गले लगाकर भारतीय जमीं पर स्वागत किया।

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    यहां पर मेहमान और मेजबान दोनों कई सारी एक सी खूबियों वाले थे। दोनों राष्ट्र प्रमुख देश के वंचित तबके से ऊपर पहुंचे हैं, यह किसी लोकतंत्र में ही संभव है। यहीं गणतंत्र की गरिमा है जिसमें हर कोई अपनी काबिलियत के बूते कुछ भी हासिल कर सकता है। दोनों राष्ट्र प्रमुखों की समानताओं पर पेश है एक नजर -

    अभावों में बीता बचपन
    नरेंद्र मोदी :
    भारत के प्रधानमंत्री मोदी वंचित समुदाय से संबंध रखते हैं। जीवन के शुरुआती सालों में उनके लिए शिक्षा अर्जित करना आसान नहीं था क्योंकि आजीविका के लिए उन्हें अपने पिता की चाय की दुकान में भी काम करना पड़ता था।

    पढ़ें - पीएम मोदी ने गले लगाकर ओबामा का किया स्वागत

    बराक ओबामा : अमेरिका का अश्वेत नागरिक होने के कारण बराक ओबामा को बचपन में कई दिक्कतें आई। माता पिता के तलाक ने उन्हें इतना दुखी किया कि वे नशे के आदी तक हो गए।

    प्रखर वक्ता
    नरेंद्र मोदी :
    मोदी के बातचीत का तरीका जनता को उनसे जोड़ने का काम करता है। यही वजह है कि वह जहां भी जाते हैं उन्हें जनसमुदाय का जबरदस्त समर्थन मिलता है।

    बराक ओबामा : ओबामा भी एक प्रखर वक्ता हैं। वह प्रभावशाली तरीके से लोगों के हितों की बात करते हैं जिसके चलते उन्हें अमेरिकी जनता का भारी समर्थन मिला है।

    हुआ विरोध
    नरेंद्र मोदी : जब आम चुनाव के लिए मोदी का नाम प्रधानमंत्री पद के दावेदार के तौर पर घोषित किया गया तो उनके खिलाफ विरोध के स्वर उठने लगे। यहां तक कहा गया कि कोई चाय वाला देश का प्रधानमंत्री कैसे बन सकता है।

    बराक ओबामा : ओबामा का अमेरिकी राष्ट्रपति बनना आसान नहीं था। अश्वेत नागरिक होने के कारण उनके राष्ट्रपति बनने का जबरदस्त विरोध हुआ।

    भारी जनादेश
    नरेंद्र मोदी :
    मोदी को देश का प्रधानमंत्री बनाने के लिए जनता ने भारी जनादेश से उन्हें विजयी बनाया।

    बराक ओबामा : रिपब्लिकन पार्टी को हराने और बराक ओबामा को राष्ट्रपति की गद्दी तक पहुंचाने के लिए जनता ने उन्हें भारी बहुमत से जीत दिलाई।

    उम्मीद की किरण
    नरेंद्र मोदी :
    पूर्ववर्ती सरकार की नीतियों से हलकान हो चुके लोगों के लिए नरेंद्र मोदी आशा की किरण बनकर उभरे।

    बराक ओबामा : अमेरिका में रिपब्लिकन के साम्राज्य से तंग आ चुके लोगों को बराक ओबामा ने नई उम्मीद दी।

    युवा हैं भविष्य
    नरेंद्र मोदी :
    मोदी युवाओं को देश का भविष्य मानते हैं। यहीं वजह है कि उन्होंने अपने चुनाव प्रचार अभियान में युवाओं को आगे रखा।

    बराक ओबामा : बराक ओबामा भी देश की युवा शक्ति को तवज्जो देते हैं। युवाओं के भारी बहुमत ने उन्हें अमेरिकी राष्ट्रपति के पद तक पहुंचाने में काफी मदद की।

    टेक सेवी
    नरेंद्र मोदी :
    मोदी तकनीक का बखूबी इस्तेमाल करते हैं। फेसबुक, ट्विटर जैसी सोशल मीडिया साइटों पर वे सक्रिय रहते हैं।

    बराक ओबामा : सोशल नेटवर्किंग साइट का इस्तेमाल करने में बराक ओबामा भी पीछे नहीं हैं तभी तो उनके फॉलोअर्स की संख्या करोड़ों में है।

    प्रबंधन का तरीका
    नरेंद्र मोदी :
    शासन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मिनिमम गवर्नमेंट मैक्सिमम गवर्नेंस पर भरोसा करते हैं।

    बराक ओबामा : अमेरिकी राष्ट्रपति ने देश को स्मार्टर गवर्नमेंट का नारा दिया।

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