गणतंत्र दिवस पर जापानी पीएम शिंजो एबी होंगे खास मेहमान
गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि का चयन भी भारत की रणनीतिक प्राथमिकताओं की निशानदेही करता है। एशिया में शक्ति संतुलन को लेकर जारी खींचतान के बीच बीते पांच सालों में भारत के राष्ट्रीय पर्व पर दक्षिण-पूर्व और पूर्वी एशियाई मुल्कों के शासनाध्यक्ष ही मुख्य अतिथि बनते रहे हैं। इस बार भी जापान के प्रधानमंत्री शिंजो एबी गणतंत्र दिवस परेड पर भारत के खास मेहमान होंगे। शिंजो के इस दौरे में रणनीतिक साझेदारी मजबूत करने के साथ ही भारत की कोशिश आर्थिक हालात सुधारने में भी जापान का सहयोग हासिल करने पर होगी।

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि का चयन भी भारत की रणनीतिक प्राथमिकताओं की निशानदेही करता है। एशिया में शक्ति संतुलन को लेकर जारी खींचतान के बीच बीते पांच सालों में भारत के राष्ट्रीय पर्व पर दक्षिण-पूर्व और पूर्वी एशियाई मुल्कों के शासनाध्यक्ष ही मुख्य अतिथि बनते रहे हैं। इस बार भी जापान के प्रधानमंत्री शिंजो एबी गणतंत्र दिवस परेड पर भारत के खास मेहमान होंगे। शिंजो के इस दौरे में रणनीतिक साझेदारी मजबूत करने के साथ ही भारत की कोशिश आर्थिक हालात सुधारने में भी जापान का सहयोग हासिल करने पर होगी।
विदेश मंत्रालय के मुताबिक जापानी प्रधानमंत्री 25 से 27 जनवरी के बीच भारत दौरे पर होंगे। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व उनके जापानी समकक्ष के बीच होने वाली बातचीत दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी और वैश्विक सहयोग का दायरा बढ़ाएगी। महत्वपूर्ण है कि चीन के साथ बढ़े तनाव के बीच जापान भी भारत से रिश्तों पर खासा जोर दे रहा है। भारत की कोशिश जापान के इस झुकाव को ठोस सहयोग में बदलने की है। बड़े व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल के साथ आ रहे जापानी प्रधानमंत्री की इस यात्रा में भारतीय खेमे की कोशिश विदेशी निवेश का ग्राफ और आर्थिक सहयोग बढ़ाने की है।
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शिंजो और मनमोहन के बीच आठ महीने में यह दूसरी मुलाकात होगी। दो महीने पहले जापानी सम्राट अकिहितो भी भारत आए थे। भारत के साथ जापान रक्षा व सैन्य सहयोग के साथ ही नाभिकीय साझेदारी भी बढ़ाना चाहता है। दोनों देशों के बीच परमाणु सहयोग को लेकर वार्ता चल रही है। लेकिन, शिंजो के इस दौरे पर अभी इसको लेकर किसी समझौते की उम्मीद कम है।
बीते करीब एक दशक में गणतंत्र दिवस समारोह में भारत के खास मेहमान ज्यादातर उन मुल्कों के शासनाध्यक्ष रहे हैं जिनके साथ चीन के क्षेत्रीय विवाद के मामले उभरते रहे हैं। इनमें ज्यादातर दक्षिण-पूर्व, पूर्वी और मध्य एशियाई देशों के शासन प्रमुख रहे हैं। पिछले साल भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक और उनकी पत्नी विशेष अतिथि थे। जबकि, 2012 में थाइलैंड की प्रधानमंत्री यिंगलुक शिनवात्रा खास मेहमान थीं। इससे पहले इंडोनेशियाई राष्ट्रपति सुसीलो बामबांग युधोयुनो और 2010 में तत्कालीन कोरियाई राष्ट्रपति ली म्युंग बाक विशेष मेहमान बनकर आए थे।
उल्लेखनीय है कि भूटान के साथ चीन के आधिकारिक तौर पर कोई कूटनीतिक संबंध नहीं हैं। भूटान नरेश 2005 में भी भारतीय गणतंत्र दिवस परेड पर मेहमान रह चुके हैं। भूटान के साथ भारत के मजबूत राजनयिक रिश्तों का अनुमान इस बात से भी लगाया जा सकता है कि भारतीय सेना वहां विशाल सैन्य प्रशिक्षण केंद्र चलाने के साथ ही सड़क निर्माण व ढांचागत विकास में भी व्यापक सहयोग करती है।
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