शोभराज ने तालिबान को मुहैया कराए थे हथियार
सीरियल किलर चार्ल्स शोभराज ने तालिबान के लिए हथियारों के दलाल की भूमिका निभाई थी। काठमांडू जेल में बंद शोभराज ने खुद को अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआइए का एजेंट भी बताया है। भारतीय पिता और वियतनामी मां की संतान शोभराज ने ब्रिटिश मैगजीन 'जीक्यू' को दिए एक इंटरव्यू में यह दावा किया है। शोभराज का दावा है कि दिल्ली की तिहा

नई दिल्ली। सीरियल किलर चार्ल्स शोभराज ने तालिबान के लिए हथियारों के दलाल की भूमिका निभाई थी। काठमांडू जेल में बंद शोभराज ने खुद को अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआइए का एजेंट भी बताया है। भारतीय पिता और वियतनामी मां की संतान शोभराज ने ब्रिटिश मैगजीन 'जीक्यू' को दिए एक इंटरव्यू में यह दावा किया है।
शोभराज का दावा है कि दिल्ली की तिहाड़ जेल में जैश-ए-मुहम्मद के मुखिया मसूद अजहर से दोस्ती होने के बाद उसने तालिबान को हथियार मुहैया कराए थे। जेल में बंद अजहर और दो अन्य आतंकियों को दिसंबर, 1999 में इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट के अपहृत यात्रियों के बदले में छोड़ा गया था। अपनी रिहाई के बाद ही अजहर ने जैश-ए-मुहम्मद नामक आतंकी गुट खड़ा किया था। भारत की संसद पर हमले की साजिश भी उसने ही रची थी।
वर्ष 2003 से काठमांडू की सेंट्रल जेल में बंद शोभराज के हवाले से ब्रिटिश मैगजीन में कहा गया है, तालिबान हेरोइन बेचकर हथियार खरीदना चाहता था और मैंने अपने संबंधों से इस आतंकी गुट की मदद की थी। दरअसल, मेरे कुछ चीनी अपराधियों से संपर्क थे। तालिबान के लिए नेपाल में एक डील को लेकर मैं उनसे मिला था, मैं तब अमेरिका की सीआइए के लिए काम कर रहा था।
शोभराज ने दावा किया कि उसका इरादा दोनों पार्टियों को डबल-क्रास करना था और एक अपराध सिंडीकेट व आतंकी गुटों के बीच अंतरराष्ट्रीय ड्रग तस्करी व हथियारों की खरीद-फरोख्त को टक्कर देने के लिए सीआइए को मजबूत करना था। उसने कहा, मैंने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के लिए अपना जीवन दांव पर लगा दिया, लेकिन मेरी गिरफ्तारी के बाद सीआइए ने मुझे अकेला छोड़ दिया। उन्होंने मेरी कोई सहायता नहीं की।
'बिकनी किलर' के नाम से कुख्यात शोभराज ने कहा, वर्ष 2003 में इराक युद्ध से पहले सद्दाम हुसैन के एक आदमी ने रेड मरकरी खरीदने के लिए मुझसे संपर्क साधा था। रेड मरकरी का प्रयोग परमाणु हथियारों के निर्माण में होता है।

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